जमीन पर कब्जा करने वालों की खैर नहीं! सरकार JAG के जरिए इंच-इंच वापस लेगी, जानें कैसे

जमीन पर कब्जा करने वालों की खैर नहीं! सरकार JAG के जरिए इंच-इंच वापस लेगी, जानें कैसे
जमीन पर कब्जा करने वालों की खैर नहीं! सरकार JAG के जरिए इंच-इंच वापस लेगी, जानें कैसे
जमीन पर कब्जा करने वालों की खैर नहीं! सरकार JAG के जरिए इंच-इंच वापस लेगी, जानें कैसे

देश में एक ओर नया विवाद खड़ा भारत के रक्षा मंत्रालय की 17 लाख एकड़ जमीन पर कब्जे को लेकर अब नया संकट शुरू कर दिया है। जिसमें सरकार ने साफ कह दिया है, कि अगर आपने इस भूमि पर अवैध कब्जा किया है, तो अब इसे किसी भी कीमत पर वापस लिया जाएगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर एक अहम कदम उठाते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया है, कि वह जज एडवोकेट जरनल (JAG) के अधिकारियों के माध्यम से इन जमीनों पर कब्जा हटाए, ताकि कब्जा हटाने की प्रक्रिया तेज और निष्पक्ष तरीके से हो सके।

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण सुझाव

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) के तहत उठाया गया था। याचिका में दावा किया गया था कि रक्षा मंत्रालय की भूमि पर निजी लोग और संगठन अवैध कब्जे कर रहे हैं, और इसका दुरुपयोग भी हो रहा है। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की और केंद्र सरकार को अपने जज एडवोकेट जनरल (JAG) के अफसरों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। जेजे अधिकारियों को इस काम में इसलिए चुना गया है, क्योंकि वे कानूनी दृष्टिकोण से प्रशिक्षित होते हैं, और वे तेजी से काम कर सकते हैं। इससे राज्य सरकार के अधिकारियों पर निर्भरता कम होगी, और कब्जा हटाने की प्रक्रिया तेज होगी।

17 लाख एकड़ रक्षा भूमि का मामला

रक्षा मंत्रालय के पास कुल 17 लाख एकड़ जमीन है, जिसमें से 1.6 लाख एकड़ छावनी क्षेत्रों में स्थित है, जबकि बाकी 16 लाख एकड़ भूमि अन्य क्षेत्रों में फैली हुई है। यह जानकारी कोर्ट में याचिका कर्ता के वकील प्रशांत भूषण द्वारा प्रस्तुत की गई। हालांकि, सरकार अब तक केवल 75,000 एकड़ भूमि (जो कि कुल भूमि का 5% से भी कम है) का हिसाब दे पाई है, जबकि बाकी भूमि पर कब्जा होने की बात सामने आई है।

अवैध कब्जे और उनकी जांच

प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि करीब 2,000 एकड़ भूमि पर निजी लोगों का कब्जा है, और 1,500 एकड़ भूमि पर कृषि पट्टेदारों का अवैध कब्जा है। यह आंकड़े बताते हैं कि भूमि पर अवैध कब्जे की समस्या गंभीर होती जा रही है। 2017 में यह आंकड़ा 87% था, लेकिन अब यह घटकर 85% रह गया है, जो चिंता का विषय है।

जज एडवोकेट जनरल (JAG) अफसरों की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने जज एडवोकेट जनरल (JAG) के अफसरों को भूमि कब्जा हटाने की जिम्मेदारी सौंपने का सुझाव दिया। JAG अफसर कानूनी रूप से प्रशिक्षित होते हैं और उन पर कार्रवाई की निष्पक्षता का पूरा भरोसा किया जा सकता है। इससे राज्य सरकारों पर दबाव कम होगा और सरकारी प्रक्रिया में तेजी आएगी।

रसूखदारों द्वारा अवैध कब्जा

इस सुनवाई में जस्टिस सूर्य कांत ने एक उदाहरण पेश किया, जहां “बड़े रसूखदार” लोग रक्षा मंत्रालय की पांच से छह एकड़ कीमती जमीन पर कब्जा करके आलीशान बंगला बना चुके हैं। छावनी बोर्ड के नियमों को नजरअंदाज करते हुए इस बंगले को बेचा गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर धोखाधड़ी करार दिया और इस पर सख्त कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया।

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सरकार के कदम और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सरकार ने इन अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए रक्षा भूमि का डिजिटलीकरण शुरू किया है। ‘सुरक्षा भू-सॉफ्टवेयर’ और रीयल-टाइम रिकॉर्ड सिस्टम जैसे कदम उठाए गए हैं, ताकि जमीन की निगरानी की जा सके। इसके अलावा, एक स्वतंत्र समिति का गठन भी किया गया है जो रक्षा भूमि की निगरानी करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से और ठोस कदम उठाने की मांग की और कहा कि रक्षा भूमि की एक-एक इंच की रक्षा होनी चाहिए।

भविष्य में क्या होगा?

अब देखना यह है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के इन सुझावों पर कितनी जल्दी अमल करती है। यदि JAG अफसरों को मैदान में उतारा जाता है तो यह कार्रवाई तेज़ और निष्पक्ष तरीके से हो सकती है, जिससे देश की रक्षा भूमि पर कब्जा करने वाले रसूखदारों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्या सरकार इस बड़े कदम को उठाकर रक्षा भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएगी, यह भविष्य में देखने वाली बात होगी।

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By Rohit Kumar

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