
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष भी Public Holiday Cancel कर दिया है, जिससे भगवान परशुराम जयंती के दिन कोई सार्वजनिक अवकाश नहीं होगा। इस निर्णय से ब्राह्मण समाज और कई सामाजिक संगठनों में निराशा की लहर दौड़ गई है। राज्य में सभी स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर 24 अप्रैल को सामान्य रूप से खुले रहेंगे। हालांकि देश के कुछ अन्य राज्यों में परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।
छुट्टी की पुरानी मांग फिर रह गई अधूरी
भगवान परशुराम की जयंती को लेकर सार्वजनिक अवकाश की मांग कोई नई नहीं है। हर वर्ष की तरह इस बार भी विभिन्न सामाजिक संगठनों ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस दिन को सरकारी अवकाश घोषित करने की मांग की थी। लेकिन एक बार फिर यह मांग अधूरी रह गई है। राज्य सरकार की ओर से इस विषय में कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है, जिससे एक वर्ग विशेष में असंतोष व्याप्त है।
केंद्रीय मंत्री से की गई मुलाकात, उठाई दो प्रमुख मांगे
हाल ही में भाजपा कार्यकर्ता विजय द्विवेदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री जितिन प्रसाद से दिल्ली में भेंट की। इस मुलाकात में प्रतिनिधिमंडल ने दो महत्वपूर्ण मांगे रखीं – पहली, परशुराम जयंती को लेकर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए और दूसरी, प्रयागराज में श्यामा प्रसाद मुखर्जी सेतु के पास भगवान परशुराम की आदमकद प्रतिमा स्थापित की जाए।
अन्य राज्यों में घोषित हुआ अवकाश
उत्तर प्रदेश की तरह हर राज्य ने छुट्टी को नकारात्मक रूप से नहीं लिया है। पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में सरकारी अवकाश की घोषणा की है। पंजाब में इस दिन सभी सरकारी दफ्तर, स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद रहेंगे। हालांकि, जरूरी सेवाएं जैसे कि अस्पताल, एम्बुलेंस, बिजली और जल आपूर्ति यथावत जारी रहेंगी।
भगवान परशुराम: धर्म और आस्था का प्रतीक
भगवान परशुराम, जिन्हें हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है, की जयंती अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है। यह दिन धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे देशभर में पूजा-पाठ, भंडारे, और शोभायात्राओं के साथ बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। खासकर ब्राह्मण समाज में इस दिन का विशेष महत्व है।
उत्तर प्रदेश में प्रतिक्रिया और असंतोष
राज्य में छुट्टी की मांग पूरी न होने से ब्राह्मण समाज और परशुराम अनुयायी संगठनों में गहरा असंतोष देखने को मिला है। समाज के लोगों का कहना है कि जहां एक ओर अन्य राज्यों में इस दिन को सम्मान के साथ मनाया जा रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश में लगातार इस मांग को अनदेखा किया जा रहा है।
भविष्य में क्या लेगी सरकार कोई सकारात्मक फैसला?
इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी समाज के एक वर्ग को चिंतित कर रही है। अभी तक इस विषय में कोई ठोस सरकारी घोषणा नहीं आई है। हालांकि, प्रतिनिधिमंडल की सक्रियता और लगातार बढ़ रही सामाजिक मांगों को देखते हुए भविष्य में इस पर सकारात्मक निर्णय लिया जा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार परशुराम जयंती को लेकर कोई ठोस और समाज के अनुकूल नीति अपनाती है या नहीं।