
8th Pay Commission को लेकर भले ही केंद्र सरकार ने अभी तक पैनल का गठन नहीं किया है, लेकिन इससे जुड़ी चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस बार सिर्फ सैलरी स्ट्रक्चर ही नहीं, बल्कि नॉन-सैलरी बेनेफिट्स में भी बड़ा बदलाव संभव माना जा रहा है। केंद्रीय कर्मचारियों (Central Government Employees) के लिए बीमा कवर (Insurance Cover) को लेकर एक अहम प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। मौजूदा बीमा योजना Central Government Employees Group Insurance Scheme (CGEGIS) के तहत ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर अधिकतम ₹1,20,000 का बीमा मिलता है। अब इसे बढ़ाकर ₹10 लाख से ₹15 लाख तक करने की मांग जोरों पर है।
CGEGIS के तहत अभी कितना मिलता है बीमा कवर
वर्तमान में CGEGIS योजना के तहत विभिन्न ग्रुप्स को अलग-अलग बीमा राशि दी जाती है। यह योजना 1 जनवरी 1982 से लागू है और इसका उद्देश्य कर्मचारियों को बीमा और रिटायरमेंट के समय वित्तीय सुरक्षा देना था।
- 1 जनवरी 1990 को इसमें संशोधन किया गया था। संशोधित बीमा राशि इस प्रकार है:
- ग्रुप A: ₹1,20,000 (मासिक सब्सक्रिप्शन ₹120)
- ग्रुप B: ₹60,000 (मासिक सब्सक्रिप्शन ₹60)
- ग्रुप C: ₹30,000 (मासिक सब्सक्रिप्शन ₹30)
यह जानकारी लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दी गई थी। इस बीमा राशि को लेकर लंबे समय से कर्मचारियों के बीच नाराजगी बनी हुई है। कर्मचारियों का मानना है कि मौजूदा बीमा कवर आज की महंगाई और जीवनशैली के हिसाब से बेहद अपर्याप्त है।
8वें वेतन आयोग में क्या हो सकता है नया
सूत्रों की मानें तो 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) में CGEGIS को पूरी तरह से री-डिजाइन किया जा सकता है। बीमा कवर को ₹10 लाख से ₹15 लाख तक करने का प्रस्ताव है। इसके साथ मासिक सब्सक्रिप्शन को भी बढ़ाया जा सकता है। संभव है कि नया बीमा फ्रेमवर्क टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) मॉडल पर आधारित हो, जिससे कर्मचारियों के परिवारों को अधिक सुरक्षा मिल सके।
इसके तहत संभवतः:
- ₹15 लाख तक बीमा कवर
- मासिक सब्सक्रिप्शन ₹500 तक
- नया व्यावहारिक और समसामयिक मॉडल
सरकार और कर्मचारियों के बीच इस मुद्दे पर संवाद प्रारंभ हो चुका है। DoPT और वित्त मंत्रालय के बीच प्रारंभिक बातचीत भी हो चुकी है।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशें और उनका परिणाम
7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) ने भी CGEGIS में बीमा राशि बढ़ाने की सिफारिश की थी। आयोग ने ₹50 लाख, ₹25 लाख और ₹15 लाख के विकल्प सुझाए थे, जिनके लिए क्रमशः ₹5,000, ₹2,500 और ₹1,500 मासिक सब्सक्रिप्शन का प्रस्ताव था। लेकिन कर्मचारियों ने इसे अत्यधिक महंगा बताते हुए विरोध किया, जिसके चलते सरकार ने इन सिफारिशों को लागू नहीं किया।
इस बार उम्मीद की जा रही है कि सरकार कर्मचारियों की राय के आधार पर एक व्यावहारिक बीमा मॉडल तैयार करेगी जो आर्थिक रूप से भी संतुलित हो और परिवार की सुरक्षा भी सुनिश्चित करे।
कर्मचारी यूनियनों की सक्रियता और मांग
अखिल भारतीय केंद्रीय कर्मचारी महासंघ (AISGEF) और अन्य यूनियनों ने बीमा कवर को बढ़ाने की मांग को अपने प्रमुख एजेंडे में शामिल किया है। यूनियनों का कहना है कि अगर सरकार ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले कर्मचारी को ₹15 लाख तक का बीमा नहीं दे सकती, तो यह बहुत बड़ा अन्याय होगा।
यूनियनों का तर्क है कि एक कर्मचारी राष्ट्र की सेवा करते हुए यदि अपनी जान गंवाता है, तो उसके परिवार को सिर्फ ₹1,20,000 देना अपमानजनक है। सरकार को इस संवेदनशील विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
8वें वेतन आयोग की अधिसूचना कब तक?
8वें वेतन आयोग की अधिसूचना वर्ष 2025 में आने की संभावना है। यह 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। यदि बीमा कवर से जुड़े प्रस्तावों को शामिल किया जाता है, तो नया बीमा नियम भी उसी तिथि से प्रभावी होगा।
कर्मचारियों के लिए होगी बड़ी राहत
बीमा कवर को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांग अगर 8th Pay Commission में पूरी होती है, तो यह लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत होगी। मौजूदा बीमा राशि जहां आज की जरूरतों के अनुरूप नहीं है, वहीं नया प्रस्तावित बीमा मॉडल सुरक्षा और सम्मान दोनों प्रदान कर सकता है।
सरकार अगर इस दिशा में सकारात्मक निर्णय लेती है तो यह सिर्फ वित्तीय सुरक्षा नहीं, बल्कि कर्मचारियों की नौकरी के प्रति मानसिक संतुलन और भरोसे को भी मजबूती देगा।