
8th Pay Commission Latest Update को लेकर न सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारी, बल्कि संसद सदस्य भी लगातार जानकारी मांग रहे हैं। संसद के भीतर और बाहर इस मुद्दे को लेकर खासा उत्साह और जिज्ञासा बनी हुई है। हाल ही में राज्यसभा में एक बार फिर यह सवाल उठाया गया कि आखिर 8वें केन्द्रीय वेतन आयोग (8th CPC) का गठन कब होगा और उसकी प्रक्रिया क्या है।
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राज्यसभा में उठा सवाल, सरकार ने दिया जवाब
25 मार्च 2025 को राज्यसभा में तीन सदस्यों—शंभू शरण पटेल, मदन राठौर और किरण चौधरी—ने संयुक्त रूप से वित्त मंत्री से सवाल किया कि क्या सरकार ने 8th Pay Commission को मंजूरी दे दी है? यदि हां, तो उससे जुड़ी विस्तृत जानकारी क्या है?
इस सवाल का जवाब वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिया। उन्होंने कहा, “सरकार ने 8वें केन्द्रीय वेतन आयोग (8th CPC) के गठन का निर्णय ले लिया है।” हालांकि, मंत्री ने इस जवाब में आयोग की संरचना, अध्यक्ष, सदस्यों या रिपोर्ट की समयसीमा को लेकर कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की।
‘उचित समय’ पर होगा पूरा ऐलान
वित्त राज्य मंत्री के बयान से यह तो स्पष्ट हो गया कि 8th Pay Commission का गठन अब केवल औपचारिकता भर है, लेकिन इसकी औपचारिक अधिसूचना (notification), टर्म्स ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference), चेयरमैन और सदस्यों की घोषणा “उचित समय” पर की जाएगी।
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सरकार के इस रवैये से अनुमान लगाया जा रहा है कि अंदरखाने में प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है, लेकिन इसे सार्वजनिक रूप से घोषित करने के लिए सरकार रणनीतिक समय का इंतजार कर रही है।
अप्रैल 2025 तक हो सकती है बड़ी घोषणा
Moneycontrol की रिपोर्ट के अनुसार, 8वें वेतन आयोग (8th CPC) की शर्तों को केंद्र सरकार अप्रैल 2025 की शुरुआत तक मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेज सकती है। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि सरकार वेतन आयोग की अधिसूचना को जल्द ही जारी कर सकती है।
1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं सिफारिशें
पिछले वेतन आयोगों की प्रक्रिया को देखें तो किसी भी Pay Commission को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में लगभग एक साल का समय लगता है। इस पैटर्न को देखते हुए कर्मचारी संगठनों को उम्मीद है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं।
इससे केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 60 लाख पेंशनभोगियों को लाभ मिलेगा।
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क्यों है 8th Pay Commission का इंतजार?
पिछली बार 7वें वेतन आयोग (7th CPC) की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू हुई थीं। अब लगभग एक दशक होने को है, और इस दौरान महंगाई दर (Inflation Rate), जीवनयापन की लागत (Cost of Living) और बाजार की परिस्थितियों में भारी बदलाव आया है।
सरकारी कर्मचारी संगठनों का मानना है कि इस अंतराल में वेतन संशोधन जरूरी हो गया है। साथ ही, मौजूदा डीए-Dearness Allowance प्रणाली को भी एक नई आधारशिला की जरूरत है, जो 8th Pay Commission के जरिये ही संभव है।
सांसदों की भी है गहरी रुचि
सिर्फ कर्मचारी ही नहीं, बल्कि कई सांसद भी इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं। जनवरी 2025 से अब तक कई बार संसद में इस विषय पर सवाल उठ चुके हैं। इसका मुख्य कारण है कि वेतन आयोग के निर्णय का प्रभाव व्यापक होता है—केवल सैलरी ही नहीं, बल्कि पेंशन, भत्ते, ग्रेच्युटी और भविष्य निधि पर भी इसका असर होता है।
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सरकार की रणनीति: लोकलुभावन निर्णय?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र सरकार इस घोषणा को एक लोकलुभावन फैसले के रूप में भी देख सकती है। खासकर तब, जब देश अगले आम चुनावों की ओर बढ़ रहा हो, ऐसे समय में कर्मचारी वर्ग को खुश करना एक अहम रणनीति हो सकती है।