सौर ऊर्जा के प्रयोग से पर्यावरण को बिना प्रदूषित किये ही बिजली प्राप्त की जा सकती है, ऐसे में सोलर पैनल जैसे आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। सोलर एनर्जी के प्रयोग को बढ़ावा देने के सरकार भी नागरिकों को सोलर सब्सिडी योजना के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है। सोलर सिस्टम की सुरक्षा के लिए सोलर चार्ज कंट्रोलर (Solar Charge Controller) का प्रयोग किया जाता है।
सोलर चार्ज कंट्रोलर क्या है?
सोलर सिस्टम में सोलर पैनल द्वारा असमान रूप से बिजली का उत्पादन किया जाता है, ऐसे में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली का डायरेक्ट प्रयोग करने पर सिस्टम और अन्य उपकरण खराब हो सकते हैं। ऐसे में सोलर पैनल से आने वाली बिजली को कंट्रोल करने के लिए सोलर चार्ज कंट्रोलर को सिस्टम में जोड़ा जाता है। सोलर चार्ज कंट्रोलर के प्रयोग से बिजली को समान किया जाता है, जिसे बैटरी में स्टोर कर सकते हैं।
सोलर चार्ज कंट्रोलर की तकनीक
मुख्यतः दो तकनीक के चार्ज कंट्रोलर बाजारों में देखे जाते हैं। चार्ज कंट्रोलर PWM एवं MPPT तकनीक में बाजार में उपलब्ध रहते हैं, इनमें से PWM (Pulse Width Modulation) तकनीक के चार्ज कंट्रोलर कम कीमत में मिल जाते हैं, यह पारंपरिक तकनीक है। MPPT (Maximum Power Point Tracking) तकनीक के चार्ज कंट्रोलर की कीमत अधिक रहती है, ये चार्ज कंट्रोलर एडवांस टेक्नोलॉजी के होते हैं।
PWM तकनीक के चार्ज कंट्रोलर सोलर पैनल से प्राप्त होने वाली बिजली की वोल्टेज को कंट्रोल करने का काम करता है, जबकि MPPT तकनीक के चार्ज कंट्रोलर से बिजली की करंट और वोल्टेज दोनों को ही नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे में बड़े और पावरफुल सिस्टम में MPPT तकनीक के चार्ज कंट्रोलर को जोड़ा जा सकता है।
सोलर चार्ज कंट्रोलर खरीदें मात्र 452 रुपये में
PWM तकनीक के चार्ज कंट्रोलर को ऑनलाइन माध्यम से मात्र 452 रुपये में खरीदा जा सकता है। यह सोलर चार्ज कंट्रोलर फ्लिपकार्ट से ऑर्डर कर सकते है। इस कंट्रोलर की एम्पियर रेटिंग 12A रहती है। इस पर 12V एवं 24V की बैटरी को कनेक्ट किया जा सकता है। यूजर फ़्रेंडली बनाने के लिए इस पर LCD डिस्प्ले प्रदान की गई है, जिसमें सिस्टम में कार्य करने वाली प्रक्रिया देखी जा सकती है। इस पर अधिकतम इनपुट पावर 240W है। यह 4 स्टेज में चार्ज करने की सुविधा प्रदान करता है।
सोलर सिस्टम को एक बार सही से स्थापित करने के बाद लंबे समय तक बिजली का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सिस्टम के प्रयोग से बिजली के बिल को कम किया जा सकता है। साथ ही यूजर अपनी बिजली की पूरी जरूरतों को प्राप्त कर सकता है। चार्ज कंट्रोलर को स्थापित करने के बाद किसी भी उपकरण का प्रयोग सही से किया जा सकता है। और सिस्टम में ओवरलोड जैसी समस्या को यह आसानी से हल कर सकता है।