High Court: क्या पत्नी के नाम खरीदी प्रोपर्टी मानी जाएगी बेनामी संपत्ति, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस फैसले में स्पष्ट किया गया है कि हर ऐसी संपत्ति को बेनामी संपत्ति नहीं माना जाएगा।

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Written byRohit Kumar

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High Court: क्या पत्नी के नाम खरीदी प्रोपर्टी मानी जाएगी बेनामी संपत्ति, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

अगर आपने अपनी पत्नी के नाम से संपत्ति खरीदी है, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई हर संपत्ति को बेनामी संपत्ति नहीं माना जा सकता। यह फैसला उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो अपनी संपत्ति को कानूनी विवादों में फंसने से बचाना चाहते हैं। हाई कोर्ट का यह निर्णय उन मामलों में स्पष्टता लाता है जहां पति-पत्नी के बीच संपत्ति का हस्तांतरण किया गया हो और बेनामी संपत्ति की संभावना पर संदेह हो।

क्या है बेनामी संपत्ति?

बेनामी संपत्ति वह संपत्ति होती है जो एक व्यक्ति किसी अन्य के नाम पर खरीदता है लेकिन उसका असली मालिक खुद को मानता है। ऐसी संपत्तियों का लेनदेन गुप्त होता है और इसे किसी अन्य के नाम पर छिपाकर रखा जाता है। इसे मुख्यतः दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  1. जहां असली मालिक छुपा रहता है: यहां कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी अन्य के नाम पर रजिस्टर करवाता है, जबकि असली स्वामित्व उसी के पास रहता है।
  2. जहां अधिकार दूसरे को सौंप दिए जाते हैं: इस स्थिति में संपत्ति का वास्तविक मालिक इसे किसी अन्य को स्वामित्व में सौंप देता है।
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कलकत्ता हाई कोर्ट का यह फैसला उन कानूनी भ्रांतियों को दूर करने में सहायक है जो पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों के बारे में प्रचलित थीं।

बेटे द्वारा बेनामी संपत्ति का आरोप

इस मामले की सुनवाई एक परिवारिक विवाद के तहत हुई। बेटे ने अपने पिता के निधन के बाद अपनी माँ के पास बची संपत्ति को बेनामी घोषित करने की मांग की। बेटे ने कोर्ट में दावा किया कि यह संपत्ति उसके पिता द्वारा मां के नाम पर खरीदी गई थी, इसलिए इसे बेनामी माना जाए। बेटे ने तर्क दिया कि इस संपत्ति का असल स्वामित्व उसके पिता के पास था, और इसे अस्थायी रूप से मां को सौंपा गया था।

हाई कोर्ट का निर्णय

कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को बेनामी संपत्ति की श्रेणी में लाने से पहले संपत्ति का वास्तविक स्वामित्व और धन का स्रोत देखा जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि बेनामी संपत्ति के आरोप को साबित करने का भार आरोप लगाने वाले पक्ष पर होता है। अगर कोई व्यक्ति यह साबित नहीं कर पाता कि संपत्ति बेनामी है, तो इसे बेनामी संपत्ति नहीं माना जाएगा।

पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार में संपत्ति का अधिकार

न्यायालय ने यह भी देखा कि मृतक पिता ने अपनी पत्नी के नाम पर यह संपत्ति अपने पैसों से खरीदी थी। पति की मृत्यु के बाद, यह संपत्ति उत्तराधिकार कानून के अनुसार उसकी पत्नी, बेटा और बेटी के बीच विभाजित होनी थी। इस मामले में मां ने अपनी संपत्ति का हिस्सा बेटी को गिफ्ट कर दिया, जिससे बेटे ने ऐतराज जताया और इसे बेनामी संपत्ति घोषित करने की मांग की। अदालत ने इस विवाद में बेटे का दावा खारिज कर दिया और मां द्वारा बेटी को गिफ्ट किया गया हिस्सा वैध माना।

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

यह फैसला समाज में प्रचलित उस धारणा को तोड़ता है कि पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति हमेशा बेनामी संपत्ति मानी जाएगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संपत्ति को बेनामी संपत्ति घोषित करने के पहले यह देखना जरूरी है कि संपत्ति खरीदने का धन कहां से आया और क्या इसका स्वामित्व असल में हस्तांतरित किया गया है या नहीं। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि हर स्थिति में पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति बेनामी नहीं होती।

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क्या संदेश देता है यह फैसला?

हाई कोर्ट का यह निर्णय समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि कानून बेनामी संपत्ति के मुद्दे पर स्पष्ट है और हर पक्ष को सुनने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। यह फैसला उन परिवारों के लिए राहत का कारण है, जो अपने जीवनसाथी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं और कानूनी विवादों से बचना चाहते हैं।

आम जनता के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश

इस फैसले से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि हर संपत्ति को बेनामी संपत्ति मान लेना सही नहीं है। अगर संपत्ति की खरीदारी पारदर्शी है और उसका वास्तविक स्वामित्व स्पष्ट है, तो उसे बेनामी नहीं माना जाएगा। यह निर्णय परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए किए गए संपत्ति हस्तांतरण को कानूनी रूप से सुरक्षित बनाता है।

Frequently Asked Questions (FAQs)

Q1: क्या पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई हर संपत्ति बेनामी मानी जाएगी?
A1: नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हर ऐसी संपत्ति को बेनामी नहीं माना जाएगा। अगर संपत्ति का स्वामित्व और धन का स्रोत स्पष्ट है, तो इसे बेनामी की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।

Q2: बेनामी संपत्ति क्या होती है?
A2: बेनामी संपत्ति वह संपत्ति है जो एक व्यक्ति किसी अन्य के नाम पर खरीदता है लेकिन उसका असली स्वामित्व खुद के पास रखता है।

Q3: क्या पति की मृत्यु के बाद पत्नी को संपत्ति का उत्तराधिकार मिलेगा?
A3: हां, उत्तराधिकार कानून के अनुसार, पति की मृत्यु के बाद पत्नी को संपत्ति का अधिकार मिलता है, यदि संपत्ति उसके नाम पर रजिस्टर्ड हो।

Q4: क्या बेटे द्वारा मां को दिए गए संपत्ति गिफ्ट को अवैध माना जाएगा?
A4: नहीं, कोर्ट ने इसे वैध माना है। मां के पास संपत्ति का स्वामित्व होने पर, उसे अपनी संपत्ति को गिफ्ट करने का अधिकार होता है।

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