यदि आप भी पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं, तो आपके लिए एक राहत भरी खबर है। भारतीय सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम करने और इसकी बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इस दिशा में, सरकार ने मिश्रित ईंधन (फ्लेक्स फ्यूल) को बढ़ावा देने की योजना बनाई है, जिसमें पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण होगा।
मिश्रित ईंधन से चलेंगी कारें
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में घोषणा की कि देश में जल्द ही मिश्रित पेट्रोल का उपयोग शुरू किया जाएगा, जिसमें 20% इथेनॉल की मात्रा होगी। इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी आने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से पेट्रोल की कीमत में करीब ₹10 प्रति लीटर की गिरावट हो सकती है। सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है, और जल्द ही यह सुविधा सभी पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध हो सकती है।
इथेनॉल से चलने वाली कारें होंगी किफायती
गडकरी ने बताया कि टोयोटा ने भारत में इथेनॉल से चलने वाली कारें लॉन्च की हैं, जो गन्ने के जूस से बने इथेनॉल पर चलती हैं। इथेनॉल की कीमत पेट्रोल से काफ़ी कम होती है, लगभग ₹25 प्रति लीटर। इससे लोगों को महंगे पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता से राहत मिलेगी। सरकार अन्य कार निर्माताओं के साथ भी बातचीत कर रही है ताकि भविष्य में इथेनॉल से चलने वाले वाहन अधिक संख्या में बाजार में उपलब्ध हो सकें।
फ्लेक्स फ्यूल का उपयोग
फ्लेक्स फ्यूल एक ऐसा ईंधन है जिसमें गैसोलीन के साथ इथेनॉल या मेथनॉल का संयोजन होता है। यह न केवल पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का सस्ता विकल्प है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। गडकरी के अनुसार, फ्लेक्स इंजन की लागत सामान्य इंजन की तुलना में कम होती है, जिससे वाहन की कीमतों में भी कमी आ सकती है। फ्लेक्स फ्यूल के उपयोग से देश में पेट्रोल-डीजल की खपत कम होगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन को भी घटाया जा सकेगा।
कब से उपलब्ध होंगी इथेनॉल से चलने वाली कारें?
हालांकि इथेनॉल से चलने वाली कारें आम जनता के लिए कब उपलब्ध होंगी, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। फिर भी, नितिन गडकरी का मानना है कि इस बदलाव से जल्द ही लोग महंगे ईंधन से राहत पा सकेंगे और यह कदम भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
इथेनॉल के लाभ
इथेनॉल न केवल सस्ता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है। गन्ने और अन्य जैविक स्रोतों से प्राप्त यह ईंधन पारंपरिक पेट्रोल की तुलना में कार्बन उत्सर्जन में कमी करता है। इससे न केवल ईंधन की कीमतों में कमी आएगी, बल्कि भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिलेगा, क्योंकि इथेनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल की जरूरत स्थानीय किसानों से पूरी की जाएगी।
मिश्रित ईंधन का उपयोग कैसे करेगा मदद?
सरकार का मानना है कि मिश्रित ईंधन का उपयोग देश के लिए एक बड़ी राहत बन सकता है। निम्नलिखित बिंदुओं से इसे समझा जा सकता है:
- इथेनॉल के साथ मिश्रण से पेट्रोल की कीमतों में कमी संभव है।
- फ्लेक्स फ्यूल कम कार्बन उत्सर्जन करता है, जिससे प्रदूषण कम होगा।
- घरेलू इथेनॉल उत्पादन से विदेशी तेल पर निर्भरता कम होगी।
- किसानों को गन्ना और अन्य जैविक उत्पादों की बिक्री का नया अवसर मिलेगा।
FAQs
1. मिश्रित ईंधन क्या है और यह कैसे काम करता है?
मिश्रित ईंधन में 20% इथेनॉल और 80% पेट्रोल का संयोजन होता है, जो पारंपरिक पेट्रोल के मुकाबले सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल है।
2. क्या इथेनॉल से चलने वाली कारें पेट्रोल से सस्ती होती हैं?
हां, इथेनॉल से चलने वाली कारें अपेक्षाकृत सस्ती होती हैं और इथेनॉल की कीमत भी पेट्रोल से काफी कम होती है।
3. इथेनॉल उत्पादन में किन फसलों का उपयोग होता है?
इथेनॉल उत्पादन में गन्ना, मक्का और अन्य जैविक उत्पादों का उपयोग होता है, जिससे किसानों को भी फायदा मिलता है।
4. क्या फ्लेक्स फ्यूल इंजन का रखरखाव सामान्य इंजन की तुलना में अलग होता है?
फ्लेक्स फ्यूल इंजन का रखरखाव अधिक जटिल नहीं होता, और इसे सामान्य इंजन की तरह ही संभाला जा सकता है।