अगर आप लगातार बढ़ती पेट्रोल की कीमतों से परेशान हैं, तो आपके लिए राहत की खबर है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि जल्द ही इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल देशभर के पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध होगा। यह पेट्रोल मौजूदा कीमत से 20 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता होगा। सरकार की इस पहल से आम आदमी को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।
गडकरी के अनुसार, इथेनॉल से बनी कारों और फ्लेक्स-फ्यूल तकनीक के जरिए वाहन चलाने की लागत घटकर 65 रुपये प्रति लीटर तक आ सकती है। इतना ही नहीं, इथेनॉल और बिजली के संयोजन से पेट्रोल की कीमत 20 रुपये प्रति लीटर तक लाने की संभावनाएं हैं।
पेट्रोल की कीमतों में आएगा सुधार
इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने और शर्करा वाली फसलों से किया जाता है। इसका उपयोग पेट्रोल के साथ मिश्रण के रूप में किया जाता है, जिससे पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है। गडकरी ने बताया कि यह पहल केवल सस्ती नहीं है, बल्कि रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में भी एक बड़ी उपलब्धि है।
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के जरिए सरकार पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को काबू में लाने और वैकल्पिक ईंधन का उपयोग बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
टोयोटा की इथेनॉल से चलने वाली कार
टोयोटा ने भारत में पहली इथेनॉल से चलने वाली कार लॉन्च की है। यह कार गन्ने के जूस से तैयार इथेनॉल पर चलती है और इसकी ईंधन लागत मात्र 25 रुपये प्रति लीटर है। गडकरी ने यह भी जानकारी दी कि जल्द ही अन्य कंपनियां भी इथेनॉल आधारित वाहनों को बाजार में लाएंगी।
इस नई तकनीक से कारों की ईंधन दक्षता में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल के बढ़ते खर्च से राहत मिलेगी।
नई ऊर्जा क्रांति की ओर कदम
फ्लेक्स-फ्यूल एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पेट्रोल को इथेनॉल या मेथनॉल के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। गडकरी ने बताया कि फ्लेक्स-फ्यूल तकनीक से तैयार इंजन कम लागत में बनाए जा सकते हैं। इससे न केवल वाहनों की कीमत में कमी आएगी, बल्कि फ्यूल की लागत भी 25 रुपये प्रति लीटर के आसपास हो जाएगी।
सरकार का बड़ा लक्ष्य
केंद्र सरकार ने 2030 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा है। इससे न केवल पेट्रोल की कीमतों में कमी आएगी, बल्कि देश की तेल आयात पर निर्भरता भी घटेगी। इसके साथ ही, सरकार ने तेल कंपनियों को सीधे इथेनॉल बेचने की मंजूरी दे दी है।
यह कदम क्लाइमेट चेंज और बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ-साथ देश को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।