
आज के समय में कई लोग नौकरी या अन्य कारणों से अपने घर से दूर दूसरे शहरों में किराए के मकान में रहते हैं। लेकिन कई बार मकान मालिक अपनी मनमानी करते हुए किराएदारों को परेशान करने लगते हैं। ऐसे में हर किराएदार को अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि वे किसी भी तरह की परेशानी से बच सकें।
किराएदार को बार-बार परेशान करने का हक नहीं
पटियाला हाउस कोर्ट के वकील महमूद आलम के अनुसार, मकान मालिक को किसी भी किराएदार की सही से जांच (Enquiry) करने का अधिकार है। मकान मालिक किराए पर देने से पहले किराएदार की पृष्ठभूमि की जांच कर सकते हैं और फिर तय कर सकते हैं कि उन्हें घर देना है या नहीं। लेकिन एक बार किराएदार को घर देने के बाद, मकान मालिक को बार-बार किसी भी बहाने से पूछताछ या अनावश्यक परेशान करने का हक नहीं है।
मकान मालिक नहीं करा सकते जबरदस्ती घर खाली
कोई भी मकान मालिक किराएदार को बिना उचित नोटिस के घर खाली करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। एग्रीमेंट में तय नियमों के अनुसार ही घर खाली करवाने की प्रक्रिया होगी। किराएदार को कम से कम नोटिस पीरियड दिया जाना चाहिए, जो आमतौर पर एक महीने या उससे अधिक होता है। किसी भी परिस्थिति में मकान मालिक अपनी मनमानी नहीं कर सकते।
सिक्योरिटी मनी को लेकर नियम
सिक्योरिटी मनी को लेकर भी कई कानूनी नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। मकान मालिक को दो महीने से अधिक का सिक्योरिटी डिपॉजिट लेने का अधिकार नहीं है। यदि कोई मकान मालिक इससे अधिक राशि मांगता है, तो यह एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से दर्ज होना चाहिए। साथ ही, घर खाली करते समय मकान मालिक को यह राशि किराएदार को लौटानी होगी। यदि कोई कटौती की जाती है, तो उसका स्पष्ट कारण दिया जाना चाहिए।
किराएदार नहीं करा सकता कोई भी कंस्ट्रक्शन
अगर किसी किराएदार को मकान में किसी तरह का निर्माण (Construction) कराना हो तो इसके लिए मकान मालिक से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। मकान मालिक की अनुमति के बिना कोई भी किराएदार मकान में बदलाव या निर्माण कार्य नहीं कर सकता। यदि मकान मालिक को किसी प्रकार का निर्माण कार्य कराना हो, तो उसे एग्रीमेंट में तय नियमों के अनुसार ही किराएदार को अस्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए कहना होगा।
मकान मालिक कभी भी किराया बढ़ा नहीं सकता
रेंट एग्रीमेंट में किराए की बढ़ोतरी को लेकर स्पष्ट नियम दर्ज होने चाहिए। कई बार मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया बढ़ाने की कोशिश करते हैं, जो कि गलत है। आमतौर पर किराए में बढ़ोतरी एक निश्चित समय अंतराल पर और निश्चित प्रतिशत में की जा सकती है। इसलिए किराएदार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रेंट एग्रीमेंट में किराए की बढ़ोतरी से जुड़ी सभी शर्तें पहले से लिखित रूप में मौजूद हों।