
Ramadan 2025 Date: मजान इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना होता है, जो शाबान के बाद आता है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह महीना आध्यात्मिक महत्व रखता है, जिसमें वे रोजा रखते हैं और इबादत में लीन रहते हैं। रमजान 2025 की शुरुआत शुक्रवार, 28 फरवरी की शाम को होने की संभावना है, जबकि इसका समापन रविवार, 30 मार्च 2025 की शाम को होगा। हालांकि, इसकी सटीक तिथि चांद के दिखने पर निर्भर करती है।
रमजान कब से शुरू होगा?
रमजान की शुरुआत इस्लामी हिजरी कैलेंडर के अनुसार शाबान महीने की समाप्ति के बाद होती है। यह महीना 29 या 30 दिनों का होता है, और इसकी पुष्टि नए चांद के दिखने पर की जाती है। इस साल रमजान शुक्रवार, 28 फरवरी 2025 या शनिवार, 1 मार्च 2025 से शुरू होने की संभावना है। इसकी सही तिथि इस्लामी विद्वानों द्वारा चंद्रमा के अवलोकन के बाद घोषित की जाएगी।
रोजा रखने का महत्व
रोजा इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है और यह हर सक्षम मुस्लिम पुरुष और महिला के लिए अनिवार्य होता है। रोजा रखने की प्रक्रिया में सहरी और इफ्तार का विशेष महत्व होता है। सहरी सुबह फज्र की अज़ान से पहले खाई जाती है, जबकि इफ्तार सूर्यास्त के बाद किया जाता है।
इस्लामी परंपरा के अनुसार, रमजान के महीने को तीन भागों में विभाजित किया जाता है:
- पहला अशरा (रहमत): पहले 10 दिनों में अल्लाह की रहमत मांगी जाती है।
- दूसरा अशरा (बरकत): अगले 10 दिनों में अल्लाह से बरकत की दुआ की जाती है।
- तीसरा अशरा (मगफिरत): अंतिम 10 दिनों में अल्लाह से मगफिरत (माफी) की गुजारिश की जाती है।
लेयलतुल क़द्र, सबसे पवित्र रात
रमजान की आखिरी दस रातों में से एक को लेयलतुल क़द्र कहा जाता है, जिसे ‘शब-ए-क़द्र’ भी कहते हैं। इस रात को कुरान नाजिल हुई थी, और इसे हजार महीनों से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रात में इबादत करने से अल्लाह की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
रमजान के समापन पर ईद-उल-फित्र
रमजान के अंत में शव्वाल महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फित्र मनाई जाती है। यह दिन विशेष प्रार्थनाओं और भाईचारे के जश्न का प्रतीक होता है। इस दिन मुस्लिम समुदाय एक-दूसरे से गले मिलते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और जरूरतमंदों को फितरा देकर अपनी इबादत को पूरा करते हैं।