घर खरीदें या किराए पर रहें? एक्सपर्ट्स का जवाब आपको हैरान कर देगा!

घर खरीदने या किराए पर रहने का फैसला मुश्किल हो सकता है। लेकिन क्या अगर हम कहें कि दोनों के फायदे-नुकसान लगभग बराबर हैं? जानिए एक्सपर्ट्स की राय और समझिए कैसे आपकी वित्तीय स्थिति इस निर्णय को बदल सकती है। क्या आपके लिए सही विकल्प घर खरीदना है या किराए पर रहना?

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Written byRohit Kumar

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घर खरीदें या किराए पर रहें? एक्सपर्ट्स का जवाब आपको हैरान कर देगा!
घर खरीदें या किराए पर रहें? एक्सपर्ट्स का जवाब आपको हैरान कर देगा!

आजकल, घर खरीदने और किराए के घर में रहने का सवाल बहुत से लोगों के दिमाग में घूमता रहता है। खासकर जब बात आती है कि किसी को अपना घर खरीदना चाहिए या फिर किराए के घर में रहना ज्यादा फायदेमंद होगा। इस फैसले में कई पहलुओं का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे कि व्यक्ति की उम्र, लॉन्ग टर्म प्लान और वित्तीय स्थिति। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई एक सही जवाब नहीं हो सकता। यह पूरी तरह से व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति पर निर्भर करता है।

घर खरीदने की मजबूरी और फायदे

मुम्बई जैसे शहर में जहां रेंट काफी हाई होते हैं, कई लोग यह मानते हैं कि घर खरीदना एक अच्छा निवेश हो सकता है। बेंगलुरु से मुम्बई शिफ्ट हुए अंकित पटेल ने 2014 में किराए पर घर लिया था, लेकिन कुछ महीनों बाद उन्हें हर महीने 35,000 रुपये का किराया देने में परेशानी होने लगी। उन्होंने महसूस किया कि यह रकम उनके लिए एक लम्बे समय तक बोझ बन सकती है, इसलिए उन्होंने अपना घर खरीदने का फैसला लिया। पटेल ने 60 लाख रुपये का होम लोन लिया, जिससे उनकी EMI करीब 60,000 रुपये हो गई। उनका मानना है कि घर खरीदने से दो प्रमुख फायदे हैं: पहला, उन्हें हर महीने किराए का भुगतान नहीं करना पड़ेगा, और दूसरा, कुछ वर्षों में घर की कीमत में वृद्धि हो सकती है।

किराए पर घर रहना, क्या है इसके फायदे?

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वहीं, पटेल के दोस्त गौरव सावंत की राय इस मामले में बिल्कुल अलग है। गौरव पिछले एक दशक से किराए पर रह रहे हैं और उनका मानना है कि हर महीने एक निश्चित EMI चुकाने की बजाय, किराए के रूप में 18,000 रुपये का भुगतान करना ज्यादा आसान है। वह यह मानते हैं कि किराए पर रहना ज्यादा लचीला होता है, क्योंकि यदि किसी वजह से घर बदलने की जरूरत पड़े, तो आसानी से घर छोड़ा जा सकता है।

घर खरीदने और किराए पर रहने के बीच क्या है अंतर?

विशेषज्ञों के अनुसार, घर खरीदने और किराए पर रहने का फैसला पूरी तरह से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, उम्र और भविष्य की योजनाओं पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त बचत नहीं है और वह लंबे समय तक EMI चुकाने के लिए तैयार नहीं है, तो उसे किराए के घर में रहने का विकल्प ज्यादा बेहतर लग सकता है। वहीं, यदि व्यक्ति के पास स्थिर आय है और लंबी अवधि तक एक घर के लिए EMI चुकाने का मन है, तो घर खरीदना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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क्या घर खरीदने के बाद ज्यादा खर्च आता है?

आइए अब समझते हैं कि अगर आप घर खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो आपको क्या खर्च हो सकता है। मान लीजिए कि आप एक घर खरीदना चाहते हैं जिसकी कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है। यदि आप 25% डाउन पेमेंट (जो कि इस स्थिति में 25 लाख रुपये होगा) करते हैं, तो आपको 75 लाख रुपये का लोन लेना पड़ेगा। बैंक से 20 साल की अवधि पर 8.5-10% ब्याज दर पर यह लोन लिया जा सकता है। इस स्थिति में आपको हर महीने करीब 65,000-70,000 रुपये की EMI चुकानी होगी। ऐसे में 20 साल में आप कुल 1.60 करोड़ रुपये का भुगतान करेंगे, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होंगे।

अगर इस घर को किराए पर लिया जाए तो आपको 20 साल में कुल 1.61 करोड़ रुपये का किराया चुकाना पड़ेगा। इसमें किराए में हर साल 8-10% वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, शुरुआत में किराया कम होता है, लेकिन यह धीरे-धीरे बढ़ता रहता है। इस प्रकार, घर खरीदने और किराए पर रहने का खर्च लगभग समान हो सकता है, लेकिन इसमें आपकी वित्तीय स्थिति और भविष्य की योजनाओं का बड़ा हाथ होता है।

घर खरीदने के बाद की जिम्मेदारियाँ

घर खरीदने के बाद, एक बडी जिम्मेदारी बन जाती है क्योंकि यह घर आपकी संपत्ति बन जाती है। हालांकि, आपको डाउन पेमेंट के रूप में बड़ी राशि जुटानी पड़ती है, लेकिन लंबी अवधि में यह निवेश आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। दूसरी तरफ, किराए पर रहने से आपको फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है। आप अपने स्थान को बदल सकते हैं अगर आपको जरूरत महसूस हो, लेकिन घर खरीदने के बाद आपको अपनी EMI लगातार चुकानी पड़ेगी, चाहे आप उस घर में रहें या न रहें।

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