New Property Registry Law Update: रजिस्ट्री का पैसा अब वापस नहीं मिलेगा? नया प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कानून जानें तुरंत!

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान जरूरी होता है, लेकिन अगर डील कैंसल हो जाए तो क्या पैसा वापस मिलेगा? जानें Property Registry Law के तहत रिफंड से जुड़े नियम, प्रक्रियाएं और जरूरी सावधानियां, ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो।

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Written byRohit Kumar

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New Property Registry Law Update: रजिस्ट्री का पैसा अब वापस नहीं मिलेगा? नया प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कानून जानें तुरंत!
New Property Registry Law Update

भारत में प्रॉपर्टी खरीदने और बेचने की प्रक्रिया में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्जेस का भुगतान अनिवार्य होता है। यह शुल्क प्रॉपर्टी के दस्तावेज़ों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए लिया जाता है। लेकिन कई बार जब किसी कारणवश रजिस्ट्री नहीं हो पाती या डील कैंसल हो जाती है, तो सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या रजिस्ट्रेशन शुल्क और स्टाम्प ड्यूटी वापस मिल सकती है? इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि Property Registry Law के तहत क्या नियम हैं और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क

प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के दौरान खरीदार को स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करना होता है। ये शुल्क सरकार द्वारा तय किए जाते हैं और राज्य के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन शुल्क आमतौर पर प्रॉपर्टी की कुल मार्केट वैल्यू का 1% होता है, जबकि स्टाम्प ड्यूटी 3% से 10% तक हो सकती है।

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यदि किसी कारणवश रजिस्ट्री नहीं हो पाती, तो रजिस्ट्रेशन शुल्क का रिफंड नहीं किया जाता, क्योंकि यह सरकार की आय में जुड़ जाता है। हालांकि, कुछ राज्यों में स्टाम्प ड्यूटी का आंशिक रिफंड संभव है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना अनिवार्य है।

स्टाम्प ड्यूटी रिफंड की प्रक्रिया

अगर स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान हो चुका है लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई है, तो कुछ राज्यों में इसके रिफंड के लिए आवेदन किया जा सकता है।

आवेदन प्रक्रिया:

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  1. राज्य के रजिस्ट्रेशन विभाग में निर्धारित फॉर्म भरें।
  2. ओरिजनल अग्रीमेंट और कैंसलेशन डीड जमा करें।
  3. जरूरी दस्तावेजों में भुगतान की रसीद, आधार कार्ड, और बैंक डिटेल्स दें।
  4. सत्यापन के बाद स्टाम्प ड्यूटी का 98% तक रिफंड संभव हो सकता है।

ध्यान दें कि यह प्रक्रिया हर राज्य में अलग-अलग हो सकती है और इसके लिए समय सीमा निर्धारित होती है, जो आमतौर पर 6 महीने से 2 साल के बीच होती है।

Property Registry Law और कानूनी प्रावधान

अगर रजिस्ट्री से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया में धोखाधड़ी होती है या रजिस्ट्री नहीं हो पाती, तो भारतीय कानून में इसके लिए अलग-अलग धाराएं मौजूद हैं:

  • धारा 420 (IPC): धोखाधड़ी से संबंधित मामलों में लागू होती है।
  • धारा 126 (ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट): यह प्रॉपर्टी गिफ्ट डीड को रद्द करने से संबंधित है।
  • धारा 80C (इनकम टैक्स एक्ट): इसमें स्टाम्प ड्यूटी पर टैक्स छूट का प्रावधान है।

रजिस्ट्री से जुड़ी सावधानियां

प्रॉपर्टी खरीदने और रजिस्ट्रेशन कराने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है:

  • सभी कानूनी दस्तावेजों की जांच करें और ओरिजिनल पेपर्स देखें।
  • किसी भी संदेह की स्थिति में कानूनी सलाहकार से परामर्श लें।
  • स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का सही तरीके से भुगतान करें।
  • फर्जी एजेंट्स या दलालों से सावधान रहें।

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