पासपोर्ट नियमों में बड़ा बदलाव! अब पहचान के लिए सिर्फ इस एक दस्तावेज की होगी जरूरत

सरकार ने पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण संशोधन किया है, जिससे अब 1 अक्टूबर 2023 या उसके बाद जन्मे आवेदकों के लिए जन्म प्रमाणपत्र अनिवार्य होगा। जानें कैसे यह नया नियम आपकी आवेदन प्रक्रिया को प्रभावित करेगा और किन दस्तावेज़ों की अब होगी जरूरत।

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Written byRohit Kumar

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पासपोर्ट नियमों में बड़ा बदलाव! अब पहचान के लिए सिर्फ इस एक दस्तावेज की होगी जरूरत
पासपोर्ट नियमों में बड़ा बदलाव! अब पहचान के लिए सिर्फ इस एक दस्तावेज की होगी जरूरत

भारत सरकार ने पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है, जिससे आवेदकों के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों में परिवर्तन हुआ है। अब, 1 अक्टूबर 2023 या उसके बाद जन्मे व्यक्तियों के लिए पासपोर्ट आवेदन के समय जन्म प्रमाणपत्र (बर्थ सर्टिफिकेट) अनिवार्य होगा। यह नया नियम पासपोर्ट नियम 1980 में संशोधन के तहत लागू किया गया है।

इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है। जन्म प्रमाणपत्र को जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में स्वीकार करने से आवेदकों की पहचान सुनिश्चित होगी और फर्जी दस्तावेज़ों के उपयोग पर अंकुश लगेगा।

1 अक्टूबर 2023 से पहले जन्मे आवेदकों के लिए विकल्प

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जो आवेदक 1 अक्टूबर 2023 से पहले जन्मे हैं, उनके लिए जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में अन्य दस्तावेज़ों का उपयोग करने की सुविधा बनी रहेगी। इन दस्तावेज़ों में ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) और शैक्षणिक प्रमाणपत्र शामिल हैं। यह लचीलापन उन आवेदकों के लिए राहत प्रदान करता है जिनके पास जन्म प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं है। citeturn0search1

डिजिलॉकर के माध्यम से दस्तावेज़ प्रबंधन

पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया को और सुगम बनाने के लिए सरकार ने डिजिलॉकर के उपयोग को प्रोत्साहित किया है। डिजिलॉकर एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जहां नागरिक अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज़ सुरक्षित रूप से स्टोर कर सकते हैं। आवेदक अपने जन्म प्रमाणपत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ डिजिलॉकर पर अपलोड कर सकते हैं, जिससे फिजिकल दस्तावेज़ ले जाने की आवश्यकता कम हो जाएगी और प्रक्रिया तेज़ होगी। यह कदम डिजिटल इंडिया पहल को भी समर्थन देता है।

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पासपोर्ट सत्यापन प्रक्रिया में सुधार

सरकार ने पासपोर्ट सत्यापन प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिजिटल प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। अब आवेदकों का सत्यापन क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) के माध्यम से किया जाएगा। इस प्रणाली के माध्यम से पुलिस को आवेदनकर्ता की पूरी पृष्ठभूमि की जांच करने में आसानी होगी और पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया अधिक सुगम व निष्पक्ष बनेगी।

नए नियमों का प्रभाव

इन परिवर्तनों का उद्देश्य पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना है, जिससे आवेदकों को बेहतर सेवा मिल सके। जन्म प्रमाणपत्र की अनिवार्यता से दस्तावेज़ों की सत्यता सुनिश्चित होगी, जबकि डिजिलॉकर और डिजिटल सत्यापन प्रणाली के उपयोग से प्रक्रिया में तेजी आएगी और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होंगी।

निष्कर्ष

पासपोर्ट नियमों में किए गए ये बदलाव नागरिकों के लिए एक सकारात्मक कदम हैं, जो आवेदन प्रक्रिया को सरल, तेज़ और सुरक्षित बनाएंगे। आवेदकों को सलाह दी जाती है कि वे इन नए नियमों के अनुसार अपने दस्तावेज़ तैयार रखें और डिजिलॉकर जैसी डिजिटल सुविधाओं का उपयोग करके प्रक्रिया को और भी सुविधाजनक बनाएं।

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