
फास्टटैग (FASTag) के जरिए झूठी टोल कटौती के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सख्त ऐक्शन लिया है। टोल प्लाजा ऑपरेटर्स की गलती पर अब भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। हाल ही में, एक टोल कलेक्टर पर झूठी टोल कटौती के कारण 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
NHAI के अधिकारियों के अनुसार, इस कदम से फास्टटैग से गलत तरीके से टोल काटने की घटनाओं में 70% तक की कमी आई है। इस फैसले से वाहन मालिकों को बड़ी राहत मिली है, जो बिना यात्रा किए भी टोल कटने की शिकायतें कर रहे थे।
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गाड़ी घर में थी, फिर भी टोल कटा! क्या है वजह?
कई वाहन मालिकों ने शिकायत की कि उनकी गाड़ी कहीं खड़ी थी, फिर भी उनके फास्टटैग अकाउंट से टोल कट गया। इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- टोल प्लाजा पर तकनीकी खामी – कभी-कभी फास्टटैग स्कैनर की त्रुटि से गलत नंबर स्कैन हो सकता है।
- डुप्लिकेट या क्लोन फास्टटैग – कुछ धोखाधड़ी वाले मामले सामने आए हैं, जहां फास्टटैग को क्लोन करके गलत तरीके से पैसे काटे गए।
- गलत प्लाजा एंट्री – कुछ मामलों में गलत टोल प्लाजा से ट्रांजेक्शन जुड़ जाता है।
- डेटाबेस की गड़बड़ी – टोल प्लाजा पर डेटा अपडेट न होने के कारण पुराने एंट्री-एग्जिट टाइम के आधार पर कटौती हो सकती है।
अगर किसी को गलत टोल कटौती का संदेश मिलता है, तो वे NHAI के हेल्पलाइन नंबर 1033 पर संपर्क कर सकते हैं या फास्टटैग जारी करने वाली बैंक से शिकायत कर सकते हैं।
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कैसे रोक सकते हैं झूठी टोल कटौती?
- फास्टटैग की नियमित जांच करें – बैंक की एप या वेबसाइट पर जाकर लेन-देन का विवरण देखें।
- ट्रांजेक्शन मैसेज को क्रॉस-चेक करें – अगर संदेह हो, तो तुरंत हेल्पलाइन पर शिकायत करें।
- टोल प्लाजा की रसीद मांगें – जब भी टोल प्लाजा से गुजरें, तो वहां से रसीद लें और अपने ट्रांजेक्शन का मिलान करें।
- बैंक से रिफंड की मांग करें – अगर टोल गलत तरीके से कटा है, तो संबंधित बैंक से रिफंड के लिए आवेदन करें।
NHAI ने झूठी टोल कटौती पर कसी नकेल
NHAI ने स्पष्ट किया है कि टोल ऑपरेटर्स को अब अधिक सतर्कता बरतनी होगी। किसी भी तरह की लापरवाही पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। 1 लाख रुपये का जुर्माना लगने के बाद से टोल ऑपरेटर्स अधिक सतर्क हो गए हैं, जिससे गलत कटौती की घटनाओं में 70% की कमी आई है।
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में यह नियम और सख्त किया जाएगा, ताकि वाहन मालिकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।