
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। UP Samvida Shikshamitra के तहत राज्य सरकार ने 270 शिक्षामित्रों की संविदा समाप्त करने का आदेश जारी किया है। यह कार्रवाई उन शिक्षामित्रों पर की गई है जो अवैतनिक अवकाश (Unpaid Leave) का सहारा लेकर स्कूल नहीं जा रहे थे और अन्य कार्यों में संलिप्त थे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी संविदा समाप्त करने के निर्देश दिए हैं।
किन शिक्षामित्रों पर गिरी गाज?
सरकार ने उन शिक्षामित्रों पर कार्रवाई की है जो अवैतनिक अवकाश लेकर स्कूल से अनुपस्थित थे और अपने व्यक्तिगत कार्यों में संलिप्त थे। रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, लखीमपुर-खीरी और हरदोई जिलों में तैनात लगभग 270 शिक्षामित्रों की सेवाएं समाप्त की जाएंगी। सरकार की जांच में यह पाया गया कि ये शिक्षामित्र लंबे समय से स्कूलों में उपस्थित नहीं थे और वेतन लेते रहे।
जनवरी में सामने आया था मामला
यह पूरा मामला जनवरी महीने में संज्ञान में आया था। इसके बाद महानिदेशक कंचन वर्मा ने मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक, लखनऊ मंडल से इसकी विस्तृत जांच कराई। जांच में पुष्टि हुई कि ये शिक्षामित्र बिना किसी ठोस कारण के लंबे समय से स्कूल नहीं जा रहे थे। रिपोर्ट आने के बाद, तुरंत कार्रवाई करते हुए शिक्षामित्रों की संविदा समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
आदेश में क्या कहा गया?
महानिदेशक कंचन वर्मा द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी जिलों के सहायक शिक्षा निदेशकों को निर्देश दिया गया है कि वे इस तरह के शिक्षामित्रों को तत्काल चिन्हित करें और उन्हें नोटिस जारी करें। साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि शिक्षामित्रों के खिलाफ जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो 5 दिनों के भीतर उनकी संविदा समाप्त करने की प्रक्रिया पूरी की जाए।
शिक्षामित्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
सरकार का यह कदम शिक्षामित्रों के लिए एक कड़ा संदेश है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जो शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि भविष्य में भी अगर किसी शिक्षामित्र की अनुपस्थिति, फर्जी दस्तावेज, अनुशासनहीनता जैसी शिकायतें मिलती हैं, तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
शिक्षामित्रों पर पहले भी हुई हैं कार्रवाईयां
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की भर्ती को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं। सरकार ने कई बार शिक्षामित्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। इससे पहले भी सैकड़ों शिक्षामित्रों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं। इस बार भी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी गैर-जिम्मेदार शिक्षामित्र राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नुकसान न पहुंचा सके।
सरकार का कड़ा संदेश
उत्तर प्रदेश सरकार की यह कार्रवाई राज्य के शिक्षा सुधार (Education Reforms) के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है। यह कदम उन शिक्षकों और शिक्षामित्रों के लिए चेतावनी है, जो अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि जो भी शिक्षामित्र बिना किसी वैध कारण के स्कूलों से अनुपस्थित रहेंगे, उनकी संविदा समाप्त कर दी जाएगी।
क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी?
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, शिक्षामित्रों की अनुपस्थिति से छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा था। स्कूलों में शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है कि वे नियमित रूप से कक्षाओं में उपस्थित रहें और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करें। जो शिक्षामित्र इस जिम्मेदारी को नहीं निभा रहे थे, उन पर यह कार्रवाई की गई है।
आगे क्या?
सरकार ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने क्षेत्रों में शिक्षामित्रों की उपस्थिति और कार्य प्रणाली की निगरानी करें। इस आदेश के बाद, अन्य शिक्षामित्रों को भी सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि अब राज्य सरकार किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी।