
गर्मियों के मौसम में कार में बैठे यात्रियों को तेज धूप से बचाने के लिए कई लोग कार की विंडो पर ब्लैक फिल्म (Black Film on Car Windows) लगवाते हैं। हालांकि, ऐसा करने से उन्हें ट्रैफिक चालान भरना पड़ सकता है। भारत में इसको लेकर भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट नियम बनाए हैं।
नियमों के अनुसार, कार के सामने और पीछे के शीशों पर कम से कम 70% विजिबिलिटी होनी चाहिए, जबकि साइड विंडो पर यह सीमा 50% तय की गई है। अगर किसी वाहन की विंडो फिल्म इन निर्धारित मानकों से अधिक डार्क पाई जाती है, तो इसे कानून का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे में वाहन स्वामी को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
ब्लैक फिल्म पर कितना ट्रैफिक चालान?
अगर कोई वाहन चालक अपनी कार की विंडो पर अधिक डार्क ब्लैक फिल्म लगवाता है, तो उसे 5000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक का चालान भरना पड़ सकता है। इसके अलावा, पुलिस कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है।
अगर पहली बार पकड़े जाते हैं तो 5000 रुपये का चालान कट सकता है। बार-बार नियम तोड़ने पर 10,000 रुपये तक का चालान लगाया जा सकता है। पुलिस वाहन चालक को ब्लैक फिल्म हटाने का आदेश भी दे सकती है। लगातार नियमों का उल्लंघन करने पर वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।
इस तरह लगवाएं ब्लैक फिल्म, नहीं कटेगा चालान
अगर आप ब्लैक फिल्म का उपयोग करना चाहते हैं और ट्रैफिक चालान (Traffic Challan on Black Film) से बचना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।
लाइट टिंटेड फिल्म का इस्तेमाल करें, जो 50% से अधिक विजिबिलिटी प्रदान करे। मार्केट में उपलब्ध रिमूवेबल शेड्स का इस्तेमाल करें, जिन्हें जरूरत पड़ने पर हटाया जा सकता है। सन शेड्स और कर्टेन का उपयोग करें, जो ट्रैफिक नियमों के दायरे में आते हैं। अगर आपकी कार में पहले से डार्क टिंट लगी है, तो इसे तुरंत हटा दें और नियमों के अनुसार नई फिल्म लगवाएं।
भारत के अलग-अलग राज्यों में ब्लैक फिल्म पर अलग नियम
भारत के अलग-अलग राज्यों में ब्लैक फिल्म को लेकर अलग-अलग नियम हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में इस पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। वहीं, कुछ छोटे राज्यों में पुलिस की कार्रवाई थोड़ी ढीली हो सकती है, लेकिन नियम हर जगह समान हैं। इसलिए, अगर आप किसी अन्य राज्य में गाड़ी चला रहे हैं, तो वहां के नियमों को जरूर जान लें।
ब्लैक फिल्म लगाने से क्या हैं फायदे और नुकसान?
गर्मियों में गर्मी और धूप से बचाव होता है। कार के इंटीरियर को ठंडा रखने में मदद मिलती है। कार के अंदर बैठे यात्रियों को सीधे धूप की चुभन से राहत मिलती है।