मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी ठेकों में आरक्षण? विरोध के बीच इस सरकार की बड़ी तैयारी, जानिए पूरी डिटेल

👉 क्या सरकारी ठेकों में नया आरक्षण राजनीतिक चाल है या अल्पसंख्यकों के हक की लड़ाई? जानिए सिद्धारमैया सरकार की नई नीति, विरोध और इससे जुड़ा पूरा विवाद 🔥📜

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Written byRohit Kumar

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मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी ठेकों में आरक्षण? विरोध के बीच इस सरकार की बड़ी तैयारी, जानिए पूरी डिटेल
मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी ठेकों में आरक्षण? विरोध के बीच इस सरकार की बड़ी तैयारी, जानिए पूरी डिटेल

कर्नाटक सरकार एक बार फिर मुस्लिम ठेकेदारों को 4% आरक्षण देने के प्रस्ताव को आगे बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार इसके लिए कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स एक्ट, 1999 में संशोधन करने की योजना बना रही है। इससे पहले भी सरकार ने यह प्रस्ताव रखा था, लेकिन विवाद और तुष्टिकरण के आरोपों के चलते इसे वापस ले लिया गया था। अब सरकार इस योजना को लागू करने के लिए फिर से कदम बढ़ा रही है।

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आरक्षण का प्रस्ताव और योजना

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मौजूदा योजना के तहत कर्नाटक सरकार सार्वजनिक सिविल कार्यों में मुस्लिम ठेकेदारों को 4% आरक्षण देने जा रही है। यह आरक्षण OBC की कैटेगरी-2B के तहत दिया जाएगा। सरकार ने इसके लिए संशोधन का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे वित्त विभाग और कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल की मंजूरी मिल चुकी है। इस प्रस्ताव को मौजूदा बजट सत्र में पेश किया जाएगा।

किसे कितना मिलेगा आरक्षण?

कर्नाटक में सिविल कार्यों में पहले से ही आरक्षण की व्यवस्था लागू है। फिलहाल, निम्नलिखित वर्गों को आरक्षण मिलता है:

  • SC/ST ठेकेदारों को 24%
  • OBC कैटेगरी-1 को 4%
  • OBC कैटेगरी-2A को 15%

अब अगर मुस्लिम ठेकेदारों को OBC कैटेगरी-2B में 4% आरक्षण दिया जाता है, तो कुल आरक्षण बढ़कर 47% हो जाएगा। साथ ही, इन आरक्षित वर्गों के ठेकेदारों के लिए अधिकतम टेंडर सीमा भी बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दी जाएगी।

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पहली बार कब दिया गया था आरक्षण?

सिविल कार्यों में ठेकेदारों के लिए आरक्षण देने की शुरुआत 2013-18 के बीच हुई थी, जब सिद्धारमैया पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने SC/ST ठेकेदारों के लिए आरक्षण की शुरुआत की थी। इस साल की शुरुआत में सरकार ने दो OBC कैटेगरी (कैटेगरी-1 और कैटेगरी-2A) को भी इसी तरह का आरक्षण दिया।

OBC कैटेगरी-1 में बेस्टा, उप्पारा और दलित ईसाई जैसे समुदाय आते हैं, जबकि कैटेगरी-2A में कुरुबा, इडिगा और अन्य 100 से अधिक समुदाय शामिल हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया खुद कुरुबा समुदाय से आते हैं।

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बीजेपी का विरोध, इसे बताया असंवैधानिक

भाजपा ने इस प्रस्ताव को लेकर कड़ा विरोध जताया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम तुष्टिकरण की राजनीति का एक हिस्सा है। उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार समाज को धर्म के आधार पर बांट रही है।

बीजेपी के अनुसार, मुस्लिम समुदाय को पहले से ही शिक्षा और रोजगार में आरक्षण दिया जा रहा है, जो पहले ही संविधान विरोधी है। अब सरकारी ठेकों में भी उन्हें 4% आरक्षण देना “तुष्टिकरण की चरम सीमा” है।

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लिंगायत और वोक्कालिगा ठेकेदारों की नाराजगी

लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के ठेकेदार इस प्रस्ताव से असंतुष्ट हैं। उनका कहना है कि उन्हें किसी भी प्रकार का आरक्षण नहीं मिलता, जबकि अन्य समुदायों को विशेष छूट दी जा रही है। इन समुदायों का मानना है कि सरकार को धर्म के बजाय आर्थिक पिछड़ेपन को आधार बनाना चाहिए।

सरकार की रणनीति क्या है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम के पीछे सरकार की अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग और दलितों का समर्थन मजबूत करने की रणनीति है। कांग्रेस सरकार चाहती है कि मुस्लिम समुदाय के साथ OBC और SC/ST का भी समर्थन बना रहे।

हालांकि, यह प्रस्ताव कानूनी और राजनीतिक विवादों में फंस सकता है। यदि यह आरक्षण लागू होता है, तो इसे अदालत में चुनौती भी दी जा सकती है।

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