नशे की तरह है लगातार स्मार्टफोन चलाना? 3 दिन दूर रहने पर बदल जाता है दिमाग, स्टडी में खुलासा

सिर्फ 72 घंटे बिना फोन के और दिमाग में दिखे ऐसे बदलाव जो नशे की लत से मिलते-जुलते हैं! जानिए कैसे स्मार्टफोन आपका दिमाग कंट्रोल कर रहा है और इससे बचने के आसान तरीके

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Written byRohit Kumar

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नशे की तरह है लगातार स्मार्टफोन चलाना? 3 दिन दूर रहने पर बदल जाता है दिमाग, स्टडी में खुलासा
नशे की तरह है लगातार स्मार्टफोन चलाना? 3 दिन दूर रहने पर बदल जाता है दिमाग, स्टडी में खुलासा

स्मार्टफोन की लत (Smartphone Addiction) पर बहस काफी समय से जारी है। कई लोग इसे एक गंभीर समस्या मानते हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है। हाल ही में प्रकाशित एक नई स्टडी ने इस विषय पर नई जानकारियां दी हैं। यह स्टडी ‘Computers in Human Behavior’ नामक मैगजीन में प्रकाशित हुई, जिसमें स्मार्टफोन एडिक्शन (SPA) के प्रभावों को विस्तार से बताया गया है।

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यह स्टडी स्मार्टफोन एडिक्शन के प्रभावों पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है। दिमागी गतिविधियों पर स्मार्टफोन के प्रभाव को समझने के लिए अभी और रिसर्च की आवश्यकता है। लेकिन यह स्पष्ट है कि हमें अपने स्मार्टफोन उपयोग को नियंत्रित करना होगा, ताकि इसकी लत हमें मानसिक और शारीरिक रूप से नुकसान न पहुंचाए।

72 घंटे तक स्मार्टफोन से दूरी, दिमाग में दिखे बदलाव

18 से 30 साल की उम्र के 25 युवाओं पर किए गए इस अध्ययन में उन्हें 72 घंटों यानी तीन दिनों तक स्मार्टफोन से पूरी तरह दूर रखा गया। इस दौरान उन्होंने अपने दैनिक कार्यों को जारी रखा लेकिन स्मार्टफोन का उपयोग बिल्कुल नहीं किया। अध्ययन के दौरान युवाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का गहराई से निरीक्षण किया गया।

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तीन दिनों के बाद जब उनके दिमाग की फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (fMRI) तकनीक से स्कैनिंग की गई, तो पता चला कि उनके दिमाग के कुछ हिस्सों में बदलाव हुए हैं। ये बदलाव मुख्य रूप से डोपामाइन और सेरोटोनिन से जुड़े हुए थे, जो न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं और मूड, भावनाओं और लत (Addiction) को नियंत्रित करते हैं।

स्मार्टफोन एडिक्शन और दिमागी प्रभाव

स्टडी से यह पता चला कि स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल हमारे दिमाग को उसी तरह प्रभावित करता है, जैसा कि नशे की लत के दौरान होता है। जब लोगों को अचानक स्मार्टफोन से दूर किया गया, तो उनके दिमाग में वही प्रतिक्रियाएं देखी गईं, जो किसी नशीली चीज से दूर रहने पर होती हैं।

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डोपामाइन और सेरोटोनिन का स्तर बदलने से व्यक्ति के मूड और व्यवहार में परिवर्तन देखा गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल हमारी मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

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अध्ययन की प्रक्रिया

स्टडी को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई गई:

  • प्रतिभागियों का चयन: 18 से 30 साल के 25 नियमित स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं का चयन किया गया।
  • शारीरिक और मानसिक जांच: अध्ययन से पहले यह सुनिश्चित किया गया कि वे पहले से किसी मानसिक समस्या से ग्रस्त न हों।
  • तीन दिन तक स्मार्टफोन से दूरी: इस दौरान प्रतिभागियों ने केवल दैनिक कार्य किए और परिवार व दोस्तों के साथ बातचीत की।
  • साइकोलॉजिकल टेस्ट: इस अवधि में उनके मूड और व्यवहार से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दर्ज किए गए।
  • fMRI स्कैनिंग: यह जांचने के लिए कि स्मार्टफोन से दूरी उनके दिमागी संरचना पर क्या प्रभाव डालती है।

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स्मार्टफोन एडिक्शन से बचने के उपाय

स्मार्टफोन एडिक्शन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिससे बचने के लिए हमें बेहतर आदतों को अपनाना चाहिए।

  • स्मार्टफोन का सीमित उपयोग: अनावश्यक रूप से स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से बचें।
  • डिजिटल डिटॉक्स: सप्ताह में कुछ घंटे या एक पूरा दिन बिना स्मार्टफोन के बिताने की आदत डालें।
  • सोशल इंटरेक्शन बढ़ाएं: परिवार और दोस्तों के साथ आमने-सामने बातचीत करें।
  • नींद का ध्यान रखें: स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से नींद पर असर पड़ता है, इसलिए सोने से पहले स्मार्टफोन का इस्तेमाल कम करें।
  • फिजिकल एक्टिविटी: एक्सरसाइज और आउटडोर एक्टिविटीज को प्राथमिकता दें।

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