
भारतीय बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (Horticultural Produce Exporters Association – HPEA) और इसके सदस्य, जो प्याज निर्यात क्षेत्र में प्रमुख हितधारक हैं, ने सरकार से 20% प्याज निर्यात शुल्क हटाने की अपील की है। उनका कहना है कि इस शुल्क के कारण भारत के प्याज निर्यात क्षेत्र को भारी नुकसान हो रहा है और किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
यह भी देखें: अब Voter ID को भी Aadhaar से लिंक करना जरूरी? चुनाव आयोग ने लिया बड़ा फैसला
भारत में प्याज उत्पादन में वृद्धि
भारत में प्याज उत्पादन में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। विशेष रूप से 2024-25 की उत्पादन वर्ष में देर से खरीफ और रबी फसल दोनों में काफी बढ़ोतरी हुई है। देर से खरीफ फसल का रकबा 26.5% बढ़कर 2.10 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पहले 1.66 लाख हेक्टेयर था। इसी के साथ उत्पादन में भी 26.5% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो 29.65 लाख टन होने की संभावना है, जबकि पिछले वर्ष यह 23.44 लाख टन था।
रबी फसल में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है। रबी फसल का रकबा 20.14% बढ़कर 13.00 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले वर्ष यह 10.82 लाख हेक्टेयर था। इसके उत्पादन में 29.3% की वृद्धि का अनुमान है, जो 247 लाख टन तक पहुंच सकता है, जबकि पिछले वर्ष यह 191 लाख टन था।
इस उत्पादन वृद्धि के कारण भारतीय बाजार में प्याज की आपूर्ति में अधिशेष की स्थिति बन सकती है। ऐसे में निर्यात शुल्क जारी रखने से किसान और प्याज निर्यात उद्योग को गंभीर नुकसान होने की आशंका है।
यह भी देखें: कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए खुशखबरी! DA बढ़ोतरी के साथ मिलेगा एरियर का फायदा, तारीख तय
निर्यात शुल्क का नकारात्मक प्रभाव
20% निर्यात शुल्क के कारण भारतीय प्याज निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा में नुकसान उठाना पड़ रहा है। पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धी देशों ने इस स्थिति का लाभ उठाया है और वैश्विक प्याज बाजार में अपना प्रभुत्व बढ़ा लिया है।
आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से दिसंबर 2023-24 के दौरान भारतीय प्याज निर्यात में 51.8% की भारी गिरावट आई है। 2022-23 में इसी अवधि के दौरान भारत ने 17.44 लाख टन प्याज निर्यात किया था, जो 2023-24 में घटकर केवल 8.41 लाख टन रह गया। इस गिरावट के चलते किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है और भारतीय प्याज निर्यातक अपना बाजार हिस्सा खोते जा रहे हैं।
निर्यात शुल्क हटाने के संभावित लाभ
खोया हुआ बाजार हिस्सा वापस मिलेगा
- प्याज पर उच्च निर्यात शुल्क के कारण भारतीय निर्यातकों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता खो दी है। यदि सरकार जल्द निर्यात शुल्क हटा लेती है तो भारतीय प्याज निर्यातक अपना खोया हुआ बाजार हिस्सा वापस पा सकते हैं।
यह भी देखें: IndusInd Bank: आपका पैसा बैंक में सुरक्षित है? पढ़ें, RBI ने अब क्या बड़ा बयान दिया
किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति
- निर्यात शुल्क हटने के बाद किसान अपने उत्पाद के लिए बेहतर कीमत प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी आय में सुधार होगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
संभावित संकट से बचाव
- अधिक उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में अधिशेष प्याज से किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। निर्यात शुल्क हटाकर इस स्थिति से बचा जा सकता है और अतिरिक्त उत्पादन को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा जा सकता है।
कृषि क्षेत्र का समग्र विकास
- निर्यात शुल्क हटने से कृषि क्षेत्र को समग्र रूप से लाभ होगा। इससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलेगा और भारतीय कृषि उत्पादों की मांग में भी वृद्धि होगी। साथ ही इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
यह भी देखें: LIC पॉलिसी होल्डर्स सावधान! कंपनी ने जारी की चेतावनी, हो सकता है बड़ा नुकसान
सरकार से अपील
भारतीय बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (HPEA) ने सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द प्याज निर्यात शुल्क को हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाए। इससे भारत को प्याज निर्यात क्षेत्र में अपनी स्थिति को पुनः मजबूत करने का अवसर मिलेगा और किसानों को उनकी मेहनत का उचित फल मिल सकेगा।