
नई दिल्ली: नेशनल हाईवे (National Highway) के निर्माण की गति को तेज करने के लिए केंद्र सरकार नेशनल हाईवे एक्ट (National Highway Act) में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। इस संशोधन के तहत, यदि किसी परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि पांच वर्षों तक उपयोग में नहीं लाई जाती है, तो इसे मूल मालिकों को वापस कर दिया जाएगा। इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाना और नेशनल हाईवे डेवलपमेंट (NH Development) के कार्यों को गति देना है।
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भूमि अधिग्रहण पर आपत्ति दर्ज करने की सीमा तय
सूत्रों के अनुसार, नए संशोधन में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि हाईवे अथॉरिटी या भूमि मालिकों को मुआवजे की राशि पर कोई आपत्ति दर्ज करने के लिए तीन महीने की समय-सीमा दी जाएगी। तीन महीने के बाद कोई भी आपत्ति मान्य नहीं होगी। इससे भूमि अधिग्रहण को लेकर होने वाली कानूनी अड़चनें कम होंगी और हाईवे प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे किए जा सकेंगे।
राजमार्गों के विकास के लिए नए प्रावधान
प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, सरकार अब किसी भी इंटरचेंज (Interchange) को नेशनल हाईवे घोषित कर सकेगी, जिसमें रेल और हवाई मार्ग सहित अन्य परिवहन सुविधाएं शामिल होंगी। यह संशोधन वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है, ताकि सड़क परिवहन व्यवस्था को और अधिक सुगम और प्रभावी बनाया जा सके।
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विभिन्न मंत्रालयों की राय ली गई
इस संशोधन पर कई मंत्रालयों की राय ली गई है, जिनमें नागरिक उड्डयन, रेलवे, रक्षा, शिपिंग, कोयला, पर्यावरण, कानूनी मामलों और राजस्व विभाग शामिल हैं। सभी मंत्रालयों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित संशोधन तैयार किए जा रहे हैं।
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया होगी डिजिटल
सरकार भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक पोर्टल शुरू करेगी, जहां अधिग्रहण से जुड़ी अधिसूचनाएं सार्वजनिक रूप से उपलब्ध होंगी। इससे प्रभावित लोगों को सभी जानकारी ऑनलाइन मिल सकेगी और प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी। इसके अलावा, सड़क किनारे सुविधाओं, सार्वजनिक उपयोगिताओं, टोल प्लाजा और कार्यालयों के लिए भी भूमि अधिग्रहण किया जा सकेगा।
अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त नियम
हाईवे मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि एक बार अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के बाद, किसी भी व्यक्ति को उस भूमि पर निर्माण कार्य करने या अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं होगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि देखा गया है कि अधिक मुआवजा पाने के उद्देश्य से कई लोग अधिग्रहण की पहली अधिसूचना के बाद जल्दबाजी में घर या दुकानें बना लेते हैं। इससे न केवल कानूनी विवाद बढ़ते हैं, बल्कि परियोजनाओं में देरी भी होती है।
हाईवे निर्माण की रफ्तार बढ़ाने पर सरकार का जोर
मोदी सरकार का लक्ष्य देश में बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है और इसके लिए हाईवे निर्माण की गति को बढ़ाना आवश्यक है। इस संशोधन के लागू होने से भूमि अधिग्रहण से जुड़ी जटिलताओं को कम किया जा सकेगा और हाईवे प्रोजेक्ट्स तेजी से पूरे किए जा सकेंगे।