गया के 43 गांव से गुजरेगी बुलेट ट्रेन! जमीन सर्वे को 2 साल, मुआवज़े पर मचा बवाल

बुलेट ट्रेन अब सिर्फ सपना नहीं, हकीकत बनने जा रही है! गया जिले के 43 गांवों में ज़मीन का सर्वे पूरा, किसानों में मुआवजे को लेकर हलचल… 6 लाख की मांग, लेकिन सरकार दे रही सिर्फ 2 लाख! पूरी जानकारी के लिए पढ़ें आगे

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Written byRohit Kumar

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गया के 43 गांव से गुजरेगी बुलेट ट्रेन! जमीन सर्वे को 2 साल, मुआवज़े पर मचा बवाल
गया के 43 गांव से गुजरेगी बुलेट ट्रेन! जमीन सर्वे को 2 साल, मुआवज़े पर मचा बवाल

बुलेट ट्रेन (Bullet Train) के सपने को साकार करने की दिशा में बिहार के गया (Gaya) जिले में कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। मेट्रो परियोजना के सर्वे के बाद अब बुलेट ट्रेन को लेकर ज़मीन अधिग्रहण (Land Acquisition) की कवायद शुरू हो चुकी है। वाराणसी-पटना-हावड़ा हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (Varanasi-Patna-Howrah High Speed Rail Corridor) के तहत बनने वाली इस बुलेट ट्रेन परियोजना में गया जिले के छह प्रखंडों के 43 गांवों से होकर ट्रेन गुजरेगी।

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छह प्रखंडों के 43 गांवों में हुआ जमीन का सर्वे

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नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (National High Speed Rail Corporation Limited – NHSRCL) द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा के अनुसार, गया जिले के टनकुप्पा, मानपुर, खिजरसराय, फतेहपुर, बोधगया और डोभी प्रखंड के 43 गांवों में भूमि अधिग्रहण के लिए खाता-खेसरा (Khasra-Khatauni) की सूची तैयार की गई है।

इन क्षेत्रों में सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है और अब भूमि स्वामियों के दस्तावेजों की जांच की प्रक्रिया जिला प्रशासन के भू-अर्जन विभाग द्वारा की जा रही है। सर्वे में सरकारी और गैर सरकारी जमीनों का भी वर्गीकरण किया जा रहा है ताकि सही तरीके से मुआवजा और अधिग्रहण सुनिश्चित किया जा सके।

जमीन अधिग्रहण और मुआवजा को लेकर उठे सवाल

मानपुर प्रखंड के बरेव गांव के ग्रामीणों ने जानकारी दी कि बुलेट ट्रेन को लेकर लगभग दो वर्ष पूर्व सर्वेक्षण दल आया था। उस समय किसानों को अपने ज़मीन संबंधी दस्तावेज़ सुधारने के लिए कहा गया था। हालांकि, अब तक मुआवजा वितरण या अधिग्रहण की ठोस प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।

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ग्रामीणों के अनुसार, फिलहाल सरकार द्वारा 2 लाख रुपए प्रति कट्ठा का मुआवजा प्रस्तावित किया गया है, लेकिन उनकी मांग है कि यह राशि कम से कम 6 लाख रुपए प्रति कट्ठा होनी चाहिए, क्योंकि परियोजना से उन्हें प्रत्यक्ष रूप से कोई लाभ नहीं होगा, जबकि भूमि का नुकसान ज़रूर होगा।

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किन-किन गांवों से गुजरेगी बुलेट ट्रेन?

एनएचएसआरसीएल की ओर से जिन गांवों का चयन किया गया है, उनमें प्रमुख हैं — दरजियाचक, ढीवर, इचौई, सदाबहा, शिला, अकुंरहवा, बरसौना, अमरी, बारा, बरेव, बैजलेट, दुमैला, बारागंधार, गेरे, ईग्ना, लखनपुर, मंझौली, रसलपुर, सोहैबपुर, बाना, बीजोपुर, लालगंज, लोदीपुर, मोकामचक, नमरियावां, नौडीहा, रौनिया, डुमरीचट्टी, जयपुर, जम्हेता, कठौतिया, खिरा, मनहोना, पहाड़पुर, रातोखुर्द, लोहाचकरी और मनुहरी।

वाराणसी से हावड़ा तक का सफर सिर्फ साढ़े तीन घंटे में

यह हाई स्पीड ट्रेन परियोजना वाराणसी से हावड़ा तक लगभग 799.293 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। बुलेट ट्रेन की अधिकतम गति 350 किलोमीटर प्रति घंटे होगी और यह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी। गया समेत बिहार के पांच जिलों को इस परियोजना के तहत चिन्हित किया गया है। इन जिलों में 260 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड ट्रैक (Elevated Track) बनाया जाएगा।

प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में वाराणसी से हावड़ा होते हुए गया, पटना, आरा और बक्सर को जोड़ा जाएगा। दूसरे चरण में दिल्ली से वाराणसी तक का हाई स्पीड कॉरिडोर तैयार किया जाएगा।

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जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया

गया के एडीएम परितोष कुमार ने बताया कि एनएचएसआरसीएल द्वारा भेजे गए खाता-खेसरा की जांच की जा रही है। संबंधित गांवों के ग्रामीणों से समन्वय स्थापित किया जा रहा है और सभी कागजातों की सत्यता सुनिश्चित की जा रही है। इसके बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी और मुआवजे का निर्धारण किया जाएगा।

बिहार में बुलेट ट्रेन का भविष्य

बिहार में बुलेट ट्रेन (Bullet Train in Bihar) की शुरुआत से राज्य के बुनियादी ढांचे (Infrastructure) में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। इससे यात्रियों को कम समय में एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी और क्षेत्रीय विकास को भी बल मिलेगा। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण और मुआवजा जैसे मुद्दे अभी भी प्रमुख चुनौती बने हुए हैं।

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