रतन टाटा की वसीयत पर बड़ा खुलासा! संपत्ति बंटवारे को लेकर कोर्ट की चेतावनी

देश के सबसे सादगीपूर्ण उद्योगपति रतन टाटा की आखिरी वसीयत में छुपे हैं कई चौंकाने वाले नाम और फैसले। उन्होंने न सिर्फ परिवार, दोस्तों और कर्मचारियों को संपत्ति सौंपी, बल्कि समाजसेवा के लिए भी बड़ा कदम उठाया। पढ़ें पूरी कहानी, किसे मिला करोड़ों का तोहफा…

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Written byRohit Kumar

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रतन टाटा की वसीयत पर बड़ा खुलासा! संपत्ति बंटवारे को लेकर कोर्ट की चेतावनी
रतन टाटा की वसीयत पर बड़ा खुलासा! संपत्ति बंटवारे को लेकर कोर्ट की चेतावनी

देश के दिग्गज उद्योगपति और परोपकार की मिसाल माने जाने वाले रतन टाटा (Ratan Tata) का निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ था। अपने जीवन में सादगी, समाजसेवा और दूरदर्शिता के लिए प्रसिद्ध रतन टाटा ने अपने अंतिम समय में भी यह सिद्ध कर दिया कि उनके लिए देश, समाज और अपने करीबी लोग हमेशा प्राथमिकता में रहे। रतन टाटा प्रॉपर्टी (Ratan Tata Property) को लेकर जो जानकारियां सामने आई हैं, वे बेहद प्रेरणादायक और अनोखी हैं।

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कुल संपत्ति और वसीयत की प्रमुख बातें

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रतन टाटा की कुल संपत्ति करीब 3,900 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें Tata Sons के शेयर, बैंक बैलेंस, महंगी घड़ियां, पेंटिंग्स और अन्य मूल्यवान दस्तावेज शामिल हैं। अपनी वसीयत में उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनकी अधिकांश संपत्ति समाजसेवा के लिए समर्पित की जाएगी।

उन्होंने 70% हिस्सेदारी Ratan Tata Endowment Foundation (RTEF) को और 30% Ratan Tata Endowment Trust (RTET) को दी है। ये दोनों संस्थाएं चैरिटेबल और Renewable Energy, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। टाटा ने यह भी स्पष्ट किया कि Tata Sons के शेयर किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं बेचे जा सकते, केवल किसी मौजूदा शेयरधारक को ही हस्तांतरित किए जा सकते हैं।

वसीयत में जुड़े लोगों के नाम

रतन टाटा की वसीयत में करीब दो दर्जन लोगों के नाम हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • उनके भाई जिमी टाटा (Jimmy Tata)
  • दो सौतेली बहनें शिरीन जीजीभॉय (Shireen Jejeebhoy) और दीना जीजीभॉय (Deanna Jeejeebhoy)
  • पूर्व विश्वासपात्र और Tata Group की पूर्व कर्मचारी मोहिनी दत्ता (Mohini Dutta)
  • उनके करीबी मित्र मेहली मिस्त्री (Mehli Mistry)

उनकी दो सौतेली बहनों और मोहिनी दत्ता को संयुक्त रूप से संपत्ति का एक-तिहाई-एक-तिहाई हिस्सा मिला है, वहीं भाई जिमी को मुंबई के जुहू में स्थित बंगले का एक हिस्सा और उनके आभूषण मिले हैं।

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नो-कॉन्टेस्ट क्लॉज और कानूनी सुरक्षा

रतन टाटा ने अपनी वसीयत में एक महत्वपूर्ण शर्त जोड़ी जिसे ‘No-Contest Clause’ कहा जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति वसीयत को अदालत में चुनौती देता है, तो उसे अपनी दी हुई संपत्ति खोनी पड़ सकती है। इस प्रावधान का उद्देश्य था कि संपत्ति के वितरण में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो।

संपत्ति का विस्तृत ब्योरा

रतन टाटा की संपत्ति में केवल शेयर ही नहीं, बल्कि कला और संग्रहणीय वस्तुएं भी शामिल थीं। उनके पास:

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  • 11 लग्जरी कारें
  • 65 महंगी घड़ियां (ब्रांड्स: शॉपार्ड, पैटेक फिलिप, बुल्गारी, टिफ़नी)
  • 21 एंटीक टाइमपीस
  • 52 महंगी पेन (कार्टियर, शेफर, मोंट ब्लांक)
  • अनेक पेंटिंग्स और कलात्मक वस्तुएं थीं

इन सबकी अनुमानित कीमत 12 करोड़ रुपये आंकी गई है।

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करीबी मित्र को मिली खास विरासत

मेहली मिस्त्री को रतन टाटा ने अलीबाग स्थित 6.16 करोड़ रुपये की संपत्ति और अपनी तीन बंदूकें सौंपी हैं। इससे उनकी निजी रिश्तों के प्रति गहरी संवेदनशीलता झलकती है।

बैंक बैलेंस और अन्य निवेश

रतन टाटा के बैंक खातों में 385 करोड़ रुपये जमा थे, जिसे तीन हिस्सों में शिरीन, दीना और मोहिनी दत्ता के बीच बांटा गया है। टाटा की कई कंपनियों में भी हिस्सेदारी थी, जैसे:

  • TCS (826 करोड़ रुपये)
  • Tata Motors (101 करोड़ रुपये)
  • Tata Technologies (64 करोड़ रुपये)
  • Tata Capital (36 करोड़ रुपये)

इसके अलावा उन्होंने UrbanClap, MapMyGenome, और अमेरिकी कंपनी Alcoa Corporation में भी निवेश कर रखा था। इन सभी हिस्सों को RTEF और RTET के बीच समान रूप से बांटा गया।

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वसीयत का इतिहास और कानूनी प्रक्रिया

रतन टाटा ने अपनी पहली वसीयत 18 अप्रैल 1996 को बनाई थी, जिसे उन्होंने नवंबर 2009 में संशोधित किया। इसके बाद उनकी अंतिम और कानूनी मान्यता प्राप्त वसीयत 23 फरवरी 2022 को तैयार की गई, जिसे उन्होंने चार बार संशोधित किया। उनकी अंतिम वसीयत पर दो गवाहों—चार्टर्ड अकाउंटेंट दिलीप ठक्कर और डॉ. पोरस कपाड़िया के हस्ताक्षर हैं। वसीयत को बॉम्बे हाईकोर्ट में लागू करने की प्रक्रिया जारी है।

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