
Apple ने भारत से iPhones और अन्य डिवाइस बड़ी मात्रा में अमेरिका भेजे हैं, और यह सब कुछ अमेरिकी टैरिफ डेडलाइन से पहले तेजी से अंजाम दिया गया। कंपनी ने 5 अप्रैल 2025 से लागू हो रहे 10% रेसिप्रोकल टैरिफ से बचने के लिए यह बड़ा कदम उठाया। इस डेडलाइन से पहले, Apple ने भारत में निर्मित अपने iPhone मॉडल्स और अन्य प्रोडक्ट्स को कम से कम पांच कार्गो प्लेनों के जरिए अमेरिका शिफ्ट कर दिया।
भारत में बनते iPhone की बढ़ती अहमियत
भारत में Apple की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, विशेषकर Foxconn और Pegatron की फैक्ट्रियां, iPhone असेंबली का प्रमुख केंद्र बन चुकी हैं। Apple लगातार चीन से बाहर अपनी प्रोडक्शन डिपेंडेंसी को कम करने की रणनीति पर काम कर रही है, और भारत इसका सबसे अहम हिस्सा बन चुका है। ऐसे में अमेरिकी टैरिफ जैसे निर्णयों के बीच भारत से iPhone का निर्यात और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
रेसिप्रोकल टैरिफ के असर से बचने की कोशिश
5 अप्रैल से अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर 10% रेसिप्रोकल टैरिफ लागू कर दिया है, जो कि भारतीय टैरिफ के जवाब में लाया गया है। यह निर्णय Apple जैसी कंपनियों के लिए तगड़ा झटका बन सकता था, क्योंकि इससे उनके प्रोडक्ट्स की अमेरिकी मार्केट में लागत और कीमत दोनों बढ़ जातीं। इसी के चलते कंपनी ने यह तेज़ रफ्तार निर्णय लिया और भारी मात्रा में स्टॉक पहले ही अमेरिका शिफ्ट कर दिया।
पांच प्लेनों में भरकर गईं बड़ी खेप
जानकारी के मुताबिक, Apple ने कुल पांच अलग-अलग कार्गो विमानों में iPhones और अन्य प्रोडक्ट्स की खेप अमेरिका भेजी। इन विमानों में भारत में बने iPhone 15 और iPhone 15 Plus मॉडल्स की बड़ी संख्या शामिल थी। यह पहली बार नहीं है जब Apple ने टैरिफ से बचने के लिए समय से पहले प्रोडक्ट्स शिप किए हों, लेकिन इस बार का ऑपरेशन कहीं ज्यादा बड़ा और संगठित रहा।
भारत-अमेरिका ट्रेड रिलेशन और टेक कंपनियों की तैयारी
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टेक्नोलॉजिकल व्यापार के बीच टैरिफ को लेकर यह नई चुनौती सामने आई है। Apple के अलावा भी कई टेक कंपनियां इस नए टैरिफ से प्रभावित हो सकती हैं, और वे पहले से ही अपने लॉजिस्टिक्स मॉडल को रिवाइज कर रही हैं। खासकर iPhone जैसे हाई-एंड कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ लागू होना, मार्केट में प्राइसिंग और डिमांड को सीधे प्रभावित कर सकता है।
भारत में Apple का बढ़ता निवेश
Apple ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में बड़ा निवेश किया है। कंपनी ने अपने मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स के जरिए भारत में iPhone प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया है। मौजूदा रिपोर्ट्स के अनुसार, Apple 2025 के अंत तक भारत में बनने वाले iPhone का हिस्सा 25% तक पहुंचाना चाहती है, जो कि इसके वैश्विक प्रोडक्शन का एक बड़ा भाग होगा। ऐसे में, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए Apple पहले से ही लॉन्ग-टर्म प्लानिंग में जुटी हुई है।
अमेरिका में बढ़ सकती हैं Apple प्रोडक्ट्स की कीमतें
हालांकि Apple ने फिलहाल भारी मात्रा में स्टॉक भेजकर टैरिफ के असर को टाला है, लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक नहीं टिक सकती। यदि अमेरिका टैरिफ को बनाए रखता है, तो Apple को या तो अपनी प्रोडक्शन स्ट्रैटजी में बदलाव करना होगा या फिर अमेरिकी बाजार में iPhones और अन्य प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ानी होंगी। यह उपभोक्ताओं के लिए बड़ा झटका हो सकता है, खासकर जब iPhone पहले ही प्रीमियम सेगमेंट का प्रोडक्ट है।
भारत को मिल सकती है लॉन्ग टर्म फायदा
इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत Apple की सप्लाई चेन का अहम केंद्र बन चुका है। आने वाले समय में, अगर अमेरिका-चीन या अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड टेंशन्स बनी रहती हैं, तो भारत को इसके लॉन्ग टर्म में फायदे मिल सकते हैं। Apple जैसी कंपनियां अपने लॉजिस्टिक्स को और मजबूत करेंगी और भारत में इन्वेस्टमेंट और रोजगार के नए अवसर सामने आएंगे।