
दिल्ली में नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति (Electric Vehicle Policy) को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया है। राजधानी की सड़कों पर प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक माने जाने वाले सीएनजी-CNG ऑटो रिक्शाओं के नए रजिस्ट्रेशन को 15 अगस्त 2025 से पूरी तरह से बंद किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने यह निर्णय वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और ई-वाहनों (Electric Vehicles) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया है। इस नई नीति के तहत पुरानी ऑटो रिक्शा फ्लीट को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक में बदला जाएगा।
15 अगस्त 2025 से लागू होगी नई नीति
दिल्ली सरकार की इस योजना के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त 2025 से राजधानी में नए सीएनजी ऑटो रिक्शा का पंजीकरण बंद कर दिया जाएगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि कोई भी नया ऑटो ड्राइवर अब सीएनजी वाहन खरीदकर उसका रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकेगा। सरकार चाहती है कि आने वाले वर्षों में दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह ई-वाहनों पर आधारित बना दिया जाए।
2027 तक 95% नए वाहन इलेक्ट्रिक होंगे
इस नीति का उद्देश्य 2027 तक दिल्ली में रजिस्टर हो रहे सभी नए वाहनों में से 95% को इलेक्ट्रिक बनाना है। यह लक्ष्य न केवल दिल्ली को भारत की सबसे बड़ी ई-वाहन राजधानी बना सकता है, बल्कि रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम होगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस दिशा में विभिन्न विभाग और एजेंसियां मिलकर काम करेंगी ताकि लक्ष्य समय पर पूरा किया जा सके।
ऑटो चालकों की चिंता और मांगें
जहां सरकार इस नीति को पर्यावरण के लिहाज से जरूरी बता रही है, वहीं ऑटो चालकों में इसको लेकर चिंता का माहौल है। दिल्ली ऑटो यूनियन और कई चालकों ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों में शिफ्ट करने के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है।
पुराने सीएनजी ऑटो को इलेक्ट्रिक में बदलना न सिर्फ महंगा है, बल्कि चार्जिंग स्टेशनों की कमी, बैटरी लाइफ और मरम्मत जैसे मुद्दे भी सामने आ सकते हैं। इसलिए ऑटो चालकों ने मांग की है कि सरकार उन्हें सब्सिडी, ईएमआई में राहत, मुफ्त ट्रेनिंग और चार्जिंग स्टेशनों की बेहतर व्यवस्था दे ताकि वे आसानी से बदलाव को अपना सकें।
पर्यावरणीय फायदे और सरकारी तर्क
दिल्ली सरकार का कहना है कि यह निर्णय पूरी तरह से सार्वजनिक हित में है। राजधानी की हवा की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है और वाहनों से निकलने वाला धुआं उसमें अहम भूमिका निभा रहा है। भले ही सीएनजी को पहले एक साफ ईंधन माना जाता था, लेकिन अब इलेक्ट्रिक वाहन उससे भी ज्यादा स्वच्छ और किफायती साबित हो रहे हैं।
सरकार का दावा है कि यह नीति दिल्ली की हवा को साफ करने में बड़ी भूमिका निभाएगी। इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा बल्कि फ्यूल इंपोर्ट पर भी निर्भरता घटेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।
भविष्य की तैयारी और चुनौतियां
नई नीति लागू करने के साथ ही सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना। फिलहाल दिल्ली में कई जगहों पर चार्जिंग स्टेशन तो हैं, लेकिन उनकी संख्या और पहुंच पर्याप्त नहीं है।
सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इलेक्ट्रिक ऑटो की कीमतें किफायती हों और उनके रखरखाव की सुविधा आसानी से मिले। इसके साथ ही एक ट्रांजिशन प्लान तैयार करना जरूरी होगा जिसमें पुराने ऑटो ड्राइवरों को इलेक्ट्रिक में ट्रांसफर करने के लिए चरणबद्ध और व्यावहारिक व्यवस्था हो।