
दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में गो हत्या का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। राजधानी की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और हर इलाके में पुलिस की तैनाती के बावजूद इस तरह की अवैध गतिविधियों का सामने आना चौंकाने वाला है। पुलिस को मिली एक PCR कॉल ने इस गोरखधंधे का पर्दाफाश किया। यह मामला राजधानी की सुरक्षा और किराये की प्रॉपर्टी के दुरुपयोग को लेकर कई अहम सवाल खड़े करता है।
जफराबाद के शख्स ने किराए पर लिया था गोदाम
जानकारी के अनुसार, नॉर्थईस्ट दिल्ली के जफराबाद इलाके का रहने वाला एक शख्स, अजीम रिजवी उर्फ राजा (उम्र 36 वर्ष) ने वसंत कुंज के एक गोदाम को किराए पर लिया था। उसने मकान मालिक को झूठे बहाने से भरोसे में लिया और गोदाम का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों के लिए करना शुरू कर दिया। शुरू में किसी को भनक नहीं लगी, लेकिन फिर एक दिन पुलिस को इस गोदाम में कुछ संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली।
पुलिस को मिली पीसीआर कॉल और हुआ खुलासा
12 अप्रैल 2025 को पुलिस को एक PCR कॉल मिली, जिसमें गोदाम में जानवरों की अवैध गतिविधियों की जानकारी दी गई थी। इसके बाद पुलिस की क्राइम टीम और फॉरेंसिक अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। गोदाम की तलाशी के दौरान एक गाय का शव बरामद किया गया, जिसे पोस्टमार्टम के लिए शवगृह भेजा गया है। शुरुआती जांच में यह साफ हो गया कि गोदाम में गो हत्या की जा रही थी।
आरोपी की गिरफ्तारी, और भी लोगों की तलाश जारी
पुलिस ने मौके से अजीम रिजवी को गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों को शक है कि इस अवैध गतिविधि में अजीम के अलावा तीन और लोग भी शामिल हैं। पुलिस इन अन्य आरोपियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। आरोपी अजीम पर भारतीय दंड संहिता (BNS), पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अवैध पशु व्यापार का अड्डा बना था गोदाम
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वसंत कुंज का यह गोदाम अवैध पशु व्यापार का केंद्र बना हुआ था। स्थानीय लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी थी। आरोपी ने काफी चतुराई से काम को अंजाम दिया, लेकिन पीसीआर कॉल के जरिए इस घिनौने कृत्य का भंडाफोड़ हो गया। जांच के दौरान गोदाम से कई ऐसे सबूत मिले हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि वहां नियमित रूप से गो हत्या की जा रही थी।
गो हत्या एक संवेदनशील मामला, पुलिस रखती है कड़ी नजर
गो हत्या भारत में हमेशा से ही एक संवेदनशील और विवादास्पद विषय रहा है। धार्मिक भावनाओं से जुड़े होने के कारण इस पर सरकार और पुलिस की विशेष नजर रहती है। बावजूद इसके इस तरह की घटनाओं का सामने आना यह दर्शाता है कि अपराधी किस तरह से कानून और प्रशासन को चकमा देकर अपने मंसूबों में सफल हो रहे हैं।
मकान मालिकों को दी जा रही है चेतावनी
इस घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे को उजागर किया है कि लोग बिना सही जांच-पड़ताल के अपनी संपत्तियां किराये पर दे देते हैं, जिससे वे अपराधियों के लिए सुरक्षित अड्डा बन जाती हैं। पुलिस समय-समय पर लोगों से अपील करती रही है कि वे किराएदारों का वेरिफिकेशन ज़रूर कराएं और उनकी पहचान की पूरी पुष्टि होने के बाद ही संपत्ति किराये पर दें। इस मामले में भी आरोपी ने फर्जी पहचान पत्र के जरिए गोदाम को किराए पर लिया था।
आगे की जांच जारी, पुलिस जुटा रही सबूत
पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है। क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस मिलकर इस पूरे नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश कर रही है। जिन तीन अन्य लोगों की पुलिस को तलाश है, उनकी पहचान जल्द सार्वजनिक की जा सकती है। साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि क्या यह गिरोह केवल दिल्ली तक सीमित था या इसका कोई इंटरस्टेट कनेक्शन भी है।