
आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में बाइक (Bike) एक अहम भूमिका निभाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बाइक में डीजल इंजन (Diesel Engine) क्यों नहीं दिया जाता, जबकि कारें पेट्रोल और डीजल दोनों विकल्पों में उपलब्ध होती हैं? यह सवाल लाखों लोगों के दिमाग में कई बार आता है। तो चलिए, आज हम इस दिलचस्प सवाल का पूरा और तकनीकी जवाब विस्तार से जानते हैं।
डीजल और पेट्रोल इंजन के काम करने के तरीके में क्या है फर्क?
डीजल इंजन (Diesel Engine) और पेट्रोल इंजन (Petrol Engine) के बीच का मूल अंतर उनकी काम करने की प्रक्रिया में छुपा होता है। पेट्रोल इंजन में ईंधन और हवा का मिश्रण पहले बनता है और फिर स्पार्क प्लग से उसमें आग लगाई जाती है। वहीं डीजल इंजन में सिर्फ हवा को पहले कंप्रेस किया जाता है और बाद में उसमें डीजल का इंजेक्शन होता है, जो खुद-ब-खुद जलने लगता है।
डीजल ईंधन में पेट्रोल के मुकाबले ज्यादा ऊर्जा होती है, और इसके जलने के लिए ज्यादा कंप्रेशन रेशियो (Compression Ratio) की जरूरत होती है। इस वजह से डीजल इंजन को ज्यादा मजबूत और भारी बनाना पड़ता है।
क्यों बाइक में नहीं दिया जाता डीजल इंजन?
सबसे पहला कारण यह है कि डीजल इंजन का आकार और वजन दोनों पेट्रोल इंजन के मुकाबले कहीं ज्यादा होता है। बाइक एक हल्का वाहन होता है, जिसे हैंडल करना आसान होना चाहिए। अगर इसमें भारी डीजल इंजन जोड़ दिया जाए तो उसका संतुलन और नियंत्रण मुश्किल हो जाएगा।
कंप्रेशन रेशियो ज्यादा होने के कारण डीजल इंजन की बनावट भी मजबूत करनी होती है। इसके चलते इंजन भारी और बड़ा हो जाता है। यही वजह है कि डीजल इंजन वाली बाइक (Diesel Bike) को डिजाइन करना बेहद जटिल और महंगा काम होता है।
पॉवर की जरूरत बाइक में उतनी नहीं होती
डीजल इंजन की खासियत होती है उसकी हाई टॉर्क जेनरेशन क्षमता। यानी डीजल इंजन कम आरपीएम पर भी ज्यादा ताकत दे सकता है। लेकिन बाइक में इतनी ताकत की जरूरत ही नहीं होती। बाइक का मुख्य उद्देश्य होता है तेज़ी से चलना, न कि भारी सामान खींचना या उबड़-खाबड़ रास्तों पर चलना।
इसलिए बाइक में हाई पॉवर डीजल इंजन लगाने का कोई वास्तविक फायदा नहीं होता, उल्टा इससे बाइक का वज़न और कीमत दोनों बढ़ जाते हैं।
यह भी पढें-बिना लाइसेंस के चला सकते हैं ये 5 सस्ते Electric Scooters – जानिए फीचर्स और कीमत
लागत और मेंटेनेंस भी है एक बड़ी वजह
डीजल इंजन बनाना पेट्रोल इंजन के मुकाबले काफी महंगा होता है। इसका निर्माण ज्यादा सटीकता और महंगे मैटेरियल्स से होता है, ताकि वह ज्यादा कंप्रेशन को सह सके। ऐसे में अगर बाइक में डीजल इंजन लगाया जाए तो उसकी कीमत बजट बाइक्स (Budget Bikes) के दायरे से बाहर चली जाएगी।
सिर्फ निर्माण ही नहीं, डीजल इंजन का मेंटेनेंस (Maintenance) भी महंगा होता है। इंजन में ज्यादा कंपन और शोर होता है, जिससे उसकी उम्र भी कम हो जाती है। इसके साथ ही, समय-समय पर खास तरह की सर्विसिंग की जरूरत होती है।
इंजन का वज़न और डिजाइन में आती है बाधा
बाइक की खूबी उसकी कॉम्पैक्ट डिजाइन और हैंडलिंग होती है। डीजल इंजन भारी और बड़ा होता है, जिससे बाइक की संतुलन क्षमता कमजोर हो सकती है। इसके अलावा, फ्यूल एफिशिएंसी (Fuel Efficiency) भी बाइक के लिए एक अहम पहलू होता है। जबकि डीजल इंजन का वज़न इसकी माइलेज को प्रभावित कर सकता है।
इंजन के वज़न के कारण चेसिस को भी ज्यादा मजबूत बनाना पड़ता है, जिससे पूरी बाइक का वजन और लागत दोनों बढ़ जाती हैं। यह सब मिलकर बाइक को असुविधाजनक और महंगा बना देते हैं।
यह भी देखें-Electric Scooter खरीदने से पहले जरूर चेक करें ये 5 बातें, वरना हो सकता है नुकसान
पहले कुछ कंपनियों ने की थी कोशिश, लेकिन नहीं मिली सफलता
आपको जानकर हैरानी होगी कि कुछ कंपनियों ने डीजल इंजन बाइक बनाने की कोशिश की थी। रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) ने एक समय में Taurus Diesel नामक बाइक लॉन्च की थी, लेकिन उसका वजन इतना ज्यादा था कि लोग उसे पसंद नहीं कर पाए। धीरे-धीरे यह प्रोजेक्ट बंद कर दिया गया।
इससे यह साफ हो जाता है कि डीजल इंजन का बाइक में इस्तेमाल तकनीकी रूप से संभव तो है, लेकिन व्यवहारिक रूप से कारगर नहीं।
पेट्रोल इंजन ही है बाइक के लिए आदर्श विकल्प
बाइक का लक्ष्य होता है हल्के वजन, अच्छी माइलेज और तेज़ परफॉर्मेंस का संतुलन। यह संतुलन केवल पेट्रोल इंजन ही प्रदान कर सकता है। कम कीमत, आसान मेंटेनेंस और हल्का निर्माण इसे बाइक के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं।
भविष्य में इलेक्ट्रिक बाइक (Electric Bike) और हाइब्रिड टेक्नोलॉजी (Hybrid Technology) इस क्षेत्र में नए विकल्प ला सकते हैं, लेकिन फिलहाल पेट्रोल इंजन ही बाइक की दुनिया में सबसे उपयुक्त विकल्प बना हुआ है।