
केंद्र सरकार द्वारा गठित 8th Pay Commission (आठवां वेतन आयोग) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। मोदी सरकार इस बार वेतन आयोग की प्रक्रिया को मात्र 200 दिनों में पूरा करने की दिशा में काम कर रही है। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि अब तक जितने भी वेतन आयोग बने हैं, उनकी सिफारिशों को लागू करने में दो से ढाई साल का समय लग चुका है। लेकिन इस बार सरकार रिकॉर्ड समय में वेतनमान संशोधन लागू करने की तैयारी में है।
जनवरी में हुई थी 8th Pay Commission की घोषणा
इस वर्ष जनवरी में केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी, जिसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगी। अब इस दिशा में सरकार ने तेज़ी से कदम बढ़ाते हुए आयोग के लिए जरूरी स्टाफ की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इस सप्ताह 35 पदों का ब्यौरा जारी किया है, जिन्हें प्रतिनियुक्ति के ज़रिए भरा जाएगा। इन पदों के लिए पांच साल की APAR (Annual Performance Appraisal Report) और विजिलेंस क्लीयरेंस की भी अनिवार्यता रखी गई है।
आयोग का गठन रिकॉर्ड समय में, चेयरमैन की घोषणा बाकी
हालांकि अभी तक 8th Pay Commission के चेयरमैन और सदस्यों की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन जल्द ही यह ऐलान किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आज़ादी के बाद पहला मौका होगा जब सरकार सिर्फ 200 दिनों के भीतर वेतन आयोग का गठन कर, उसकी सिफारिशों को लागू करने का काम कर डालेगी। इसके लिए आयोग को अगले छह-सात महीनों में अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपनी होगी।
सरकार ने मांगी थीं टर्म ऑफ रेफरेंस पर सिफारिशें
वेतन आयोग के गठन से पहले सरकार ने सभी हितधारकों से टर्म ऑफ रेफरेंस (Terms of Reference) के लिए सुझाव मांगे थे। 10 फरवरी को राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम की स्थायी समिति की बैठक हुई थी, जिसमें कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने टर्म ऑफ रेफरेंस में शामिल की जाने वाली मांगों की सूची सरकार को सौंप दी थी। हालांकि अभी तक सरकार की ओर से टर्म ऑफ रेफरेंस की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी महीने इसके बारे में विवरण सामने आ जाएगा।
Pay Matrix रहेगा वही, बदलेगा सिर्फ डेटा
इस बार 7वें वेतन आयोग के दौरान बनाए गए Pay Matrix को ही आधार बनाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि पूरी प्रणाली को दोबारा डिज़ाइन करने की आवश्यकता नहीं है, बस उसमें नया डेटा डालकर संशोधित किया जाएगा। Pay Matrix, ‘Dr. Aykroyd’ फॉर्मूले पर आधारित है, और अब केवल Fitment Factor पर निर्णय लिया जाना बाकी है।
यदि Fitment Factor 2.0 तय किया जाता है, तो न्यूनतम बेसिक सैलरी जो फिलहाल ₹18,000 है, वह बढ़कर ₹36,000 हो सकती है। वहीं, अगर Fitment Factor 1.9 रखा गया, तो बेसिक ₹34,200 तक पहुंच सकता है। इसका फैसला पूरी तरह से सरकार के विवेक पर निर्भर करेगा।
अन्य भत्तों में भी होगा संशोधन
इसके अलावा HRA (House Rent Allowance), TA (Travel Allowance) में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। वर्तमान में Pay Matrix में 18 लेवल हैं, लेकिन संभावना है कि इनमें कुछ लेवल आपस में मर्ज कर दिए जाएं। साथ ही ड्यूटी के दौरान कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में बीमा राशि भी बहुत कम है, जिसे बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है।
तकनीकी युग में तेज़ होगा वेतन आयोग का काम
केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के अनुसार, पहले वेतन आयोग के सदस्य विदेशी दौरे करते थे ताकि अन्य देशों के वेतनमानों का अध्ययन किया जा सके। इससे समय की खपत होती थी। लेकिन अब डिजिटल युग में ऑनलाइन माध्यम से अन्य देशों की Salary Structure, Economic Policies और सरकारी नियमों की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। इस कारण अब वेतन आयोग की रिपोर्ट तैयार करने में समय की भारी बचत होगी।
हर 10 नहीं, 5 साल में हो वेतन संशोधन
Confederation of Central Government Employees & Workers के महासचिव एस.बी. यादव का कहना है कि अब वेतनमान में संशोधन हर 10 नहीं, बल्कि 5 साल में होना चाहिए। मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में महंगाई दर बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, ऐसे में दस साल का अंतराल कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
सरकार बना सकती है नया रिकॉर्ड
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस बार अगर सरकार निर्धारित समय के भीतर 8th Pay Commission की रिपोर्ट को लागू करती है, तो यह अब तक का सबसे तेज़ वेतन आयोग बनने का रिकॉर्ड बन जाएगा। पूर्व में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय इस प्रक्रिया में 18 महीने लगे थे, जबकि उससे पहले 2 से 2.5 साल लगते रहे हैं। इस बार तकनीक, डेटा उपलब्धता और पहले से बने Pay Matrix के कारण सरकार के पास काम जल्दी करने का मौका है।