
UPI Transactions को लेकर सोशल मीडिया पर इन दिनों एक अफवाह तेजी से फैल रही है कि यदि कोई भी व्यक्ति 2,000 रुपये से ज्यादा का डिजिटल पेमेंट करता है तो उस पर सरकार गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) वसूल सकती है। इस दावे ने आम यूजर्स के बीच चिंता बढ़ा दी है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो रोजमर्रा की खरीदारी या ट्रांसफर के लिए UPI का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब वित्त मंत्रालय ने इस अफवाह की सच्चाई सामने रख दी है और स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई योजना फिलहाल सरकार के पास नहीं है।
सोशल मीडिया पर अफवाह, मंत्रालय ने किया खंडन
बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह मैसेज वायरल हो रहा था कि सरकार 2,000 रुपये से अधिक के UPI ट्रांजैक्शंस पर GST लगाने जा रही है। इससे आम उपभोक्ता वर्ग में हलचल मच गई थी। हालांकि, शुक्रवार को वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) की ओर से एक आधिकारिक बयान जारी कर इस तरह की खबरों को ‘बिल्कुल झूठा और भ्रामक’ करार दिया गया। मंत्रालय ने कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और इस तरह की अफवाहें पूरी तरह से आधारहीन हैं।
वित्त मंत्रालय के बयान में स्पष्ट किया गया कि UPI Transactions पर 2,000 रुपये से ऊपर GST लगाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है, और न ही सरकार इस दिशा में कोई कदम उठा रही है। बयान में कहा गया कि ऐसी झूठी खबरें सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए फैलाई जा रही हैं और जनता को इनसे सावधान रहना चाहिए।
GST क्या है? कब और क्यों किया गया लागू
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) एक इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम है जिसे भारत सरकार ने 1 जुलाई 2017 को लागू किया था। यह टैक्स सिस्टम विभिन्न केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स जैसे कि वैट (VAT), सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि को मिलाकर एकीकृत करता है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य था कि टैक्स प्रणाली को आसान, पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाए।
GST को ‘One Nation, One Tax’ के सिद्धांत पर आधारित बताया गया। इसका मतलब है कि पूरे देश में एक समान टैक्स रेट लागू हो, जिससे व्यापार करने में आसानी हो और टैक्स चोरी की संभावना कम हो।
GST के तहत कितने टैक्स स्लैब हैं?
भारत में GST चार प्रमुख स्लैब्स में विभाजित है:
5%, 12%, 18%, और 28%। इसके अतिरिक्त कुछ वस्तुएं और सेवाएं 0% टैक्स स्लैब में आती हैं, जैसे कि खाद्यान्न और दवाइयां। दूसरी ओर, लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर 28% तक का टैक्स लगाया जाता है। इस टैक्स व्यवस्था से भारत का टैक्स ढांचा अधिक सुगठित और व्यावसायिक रूप से समर्थ बना है।
डिजिटल इकोनॉमी को मिली मजबूती
GST लागू होने के बाद से देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है। अब लगभग सभी रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग और टैक्स पेमेंट्स ऑनलाइन ही किए जाते हैं। इससे जहां टैक्स चोरी पर रोक लगी है, वहीं इंटरस्टेट बिजनेस करना भी आसान हुआ है। हालांकि, इसकी शुरुआत में छोटे व्यापारियों को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, लेकिन समय के साथ इस प्रणाली को और अधिक यूजर फ्रेंडली बना दिया गया।
क्या भविष्य में UPI ट्रांजैक्शन पर टैक्स लग सकता है?
वर्तमान में इस सवाल का सीधा जवाब ‘नहीं’ है। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है। हालांकि, किसी भी नीति में भविष्य में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन फिलहाल UPI Transactions पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाया जा रहा है, चाहे वह 2,000 रुपये से ऊपर ही क्यों न हो।
सरकार डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है और UPI जैसे डिजिटल भुगतान माध्यम को बढ़ावा देने के लिए निरंतर काम कर रही है। ऐसे में इन ट्रांजैक्शंस पर टैक्स लगाना खुद सरकार की डिजिटल इकोनॉमी नीति के विपरीत होगा।
क्यों फैलती हैं ऐसी अफवाहें?
ऐसी अफवाहों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कई बार राजनीतिक उद्देश्यों, तो कभी सरकारी नीतियों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए जानबूझकर इस तरह की गलत सूचनाएं फैलाई जाती हैं। वहीं, कई बार आम लोग भी बिना पुष्टि किए किसी भी मैसेज को सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड कर देते हैं, जिससे गलत जानकारी तेजी से फैलती है।
सरकार का क्या कहना है?
वित्त मंत्रालय ने अपील की है कि आम जनता और मीडिया ऐसे किसी भी दावे पर भरोसा न करे जो आधिकारिक स्रोतों से ना आया हो। मंत्रालय ने कहा है कि ऐसी अफवाहों से न केवल जनता भ्रमित होती है, बल्कि देश की वित्तीय व्यवस्था पर भी गलत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि UPI एक निशुल्क और सरल पेमेंट प्रणाली है, जिसे और मजबूत किया जाएगा।