
भारत में निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) ने पेंशन योजना EPS-95 को लेकर एक अहम घोषणा की है, जिससे लाखों कर्मचारियों को सीधे लाभ मिलने की उम्मीद है। EPFO New Update के तहत अब कर्मचारियों को पेंशन प्राप्त करने के लिए जरूरी न्यूनतम सेवा अवधि, UAN नंबर की भूमिका और PF-EPS के योगदान संबंधी नियमों को विस्तार से समझाया गया है।
यह जानकारी उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो अपने रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय की योजना बना रहे हैं और चाहते हैं कि उन्हें EPS यानी Employees Pension Scheme का पूरा लाभ मिले।
क्या है EPS-95 योजना और कौन कर सकता है इसका लाभ?
EPS-95, यानी कर्मचारी पेंशन योजना 1995, EPFO द्वारा शुरू की गई एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसका उद्देश्य संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक सुनिश्चित मासिक पेंशन प्रदान करना है। इस योजना के तहत कर्मचारी को पेंशन पाने के लिए कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करनी होती है।
हालांकि, यदि कोई कर्मचारी 9 साल 6 महीने तक सेवा करता है, तो EPFO उसे 10 साल की सेवा के बराबर मानता है और वह पेंशन का पात्र बन जाता है। यदि नौकरी की अवधि इससे कम है, तो कर्मचारी को पेंशन नहीं मिलेगी, लेकिन वह अपने PF खाते की संपूर्ण राशि निकाल सकता है।
EPS और PF में कैसे होता है योगदान?
निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और DA (महंगाई भत्ता) का 12% हिस्सा हर माह पीएफ खाते में जमा होता है।
इसमें से कर्मचारी का पूरा 12% हिस्सा EPF (Employees’ Provident Fund) में जमा होता है, जबकि नियोक्ता द्वारा किए जाने वाले योगदान में से 8.33% हिस्सा EPS में और बाकी 3.67% हिस्सा EPF में जाता है।
इस तरह से कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से नियमित योगदान के जरिए एक मजबूत रिटायरमेंट फंड तैयार होता है, जो भविष्य में पेंशन के रूप में लाभ प्रदान करता है।
नौकरी की अवधि कम हो तो क्या मिलेगा पेंशन का लाभ?
यह सवाल अकसर सामने आता है कि अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल से कम की नौकरी की है, तो क्या वह पेंशन का हकदार होगा?
EPFO के नियमों के अनुसार, यदि कर्मचारी ने दो अलग-अलग संस्थानों में 5-5 साल की नौकरी की है और उनके बीच अधिकतम 2 साल का अंतर रहा है, तो इन दोनों सेवाओं को जोड़ा जा सकता है।
लेकिन इसकी शर्त यह है कि कर्मचारी का UAN (Universal Account Number) एक ही होना चाहिए। यदि UAN नंबर एक ही है और दोनों सेवाएं उसी से जुड़ी हैं, तो कुल कार्यकाल को जोड़कर 10 साल की सेवा मानी जाएगी और कर्मचारी पेंशन पाने का पात्र होगा।
UAN नंबर क्या है और क्यों है यह जरूरी?
UAN यानी यूनिवर्सल अकाउंट नंबर, EPFO द्वारा दिया गया 12 अंकों का स्थायी पहचान नंबर होता है। यह नंबर कर्मचारी के जीवनभर अपरिवर्तित रहता है, चाहे वह कितनी बार भी नौकरी बदले।
UAN के अंतर्गत विभिन्न नौकरियों में मिले PF खातों को एक ही स्थान पर जोड़ा जा सकता है, जिससे कर्मचारी अपने पूरे कार्यकाल की पीएफ जानकारी एक जगह पर देख सकता है।
UAN की मदद से कर्मचारी पुराने PF खाते से पैसा निकाल सकता है या उसे नए खाते में ट्रांसफर कर सकता है। इससे नौकरी बदलने पर पेंशन या पीएफ के लाभ में कोई बाधा नहीं आती।
कैसे सुनिश्चित करें कि EPS और PF में सही योगदान हो रहा है?
EPFO का यह भी सुझाव है कि कर्मचारी समय-समय पर अपने PF खाते की स्थिति चेक करते रहें। यह देखना जरूरी है कि उनके वेतन से कटने वाली राशि सही खाते में जमा हो रही है या नहीं।
क्योंकि केवल सही योगदान और सही UAN के तहत जुड़े खातों से ही कर्मचारी को EPS-95 के अंतर्गत पेंशन का पूर्ण लाभ मिल सकता है।
इसलिए, कर्मचारियों को चाहिए कि वे EPFO की आधिकारिक वेबसाइट या UMANG ऐप के जरिए अपने PF बैलेंस और EPS अंशदान की स्थिति नियमित रूप से जांचते रहें।
EPFO की नई घोषणा से कौन-कौन होंगे लाभार्थी?
इस नई घोषणा से खास तौर पर वे कर्मचारी लाभान्वित होंगे जिन्होंने अलग-अलग कंपनियों में काम किया है लेकिन अपना UAN एक ही रखा है।
अब ऐसे कर्मचारियों के लिए, जिनकी सेवाएं जोड़कर 10 साल पूरी हो जाती हैं, पेंशन का रास्ता खुल गया है। इससे पहले, नौकरी की अवधि अलग-अलग संस्थानों में होने पर पेंशन का लाभ मिलना मुश्किल होता था।
EPFO के इस कदम से अब लाखों कर्मचारियों को राहत मिलने वाली है और उनके रिटायरमेंट की योजना पहले से ज्यादा सुरक्षित मानी जा सकती है।