
8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर केंद्र सरकार की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। जनवरी 2025 में इसकी औपचारिक घोषणा पहले ही की जा चुकी है, लेकिन आयोग के गठन की प्रक्रिया अभी भी प्रगति पर है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, आयोग का गठन अगले 2 से 3 सप्ताह में हो सकता है। इस खबर ने देशभर के करोड़ों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में एक नई उम्मीद जगा दी है, जो लंबे समय से वेतन संशोधन का इंतजार कर रहे थे।
8वें वेतन आयोग से जुड़ी संभावनाएं और कर्मचारियों की उम्मीदें
8वें वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्तों में व्यापक सुधार करना है। पिछली बार 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को 2016 में लागू किया गया था। वर्तमान में न्यूनतम बेसिक सैलरी ₹18,000 प्रति माह है, जिसे 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद ₹26,000 से ₹34,560 तक बढ़ाए जाने की संभावना है। यदि यह बढ़ोतरी 92% तक पहुंचती है, तो यह अब तक की सबसे बड़ी वेतन वृद्धि में गिनी जाएगी।
फिटमेंट फैक्टर में संभावित बदलाव और उसका प्रभाव
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है जिससे कर्मचारियों की कुल सैलरी तय की जाती है। 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था। अब खबर है कि 8वें वेतन आयोग में इसे बढ़ाकर 2.86 या यहां तक कि 3.68 किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की वर्तमान बेसिक सैलरी ₹18,000 है और नया फिटमेंट फैक्टर 2.86 लागू होता है, तो उनकी नई सैलरी ₹51,480 हो जाएगी। वहीं अगर 3.68 का फैक्टर तय किया गया, तो यह आंकड़ा और अधिक हो सकता है, जिससे कर्मचारियों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।
किन लोगों को मिलेगा 8वें वेतन आयोग का लाभ
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देश के लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा। इनमें भारतीय सेना (Defence Forces), रेलवे (Railways), केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), और केंद्र सरकार के मंत्रालयों तथा विभागों में कार्यरत कर्मचारी शामिल हैं। साथ ही, राज्य सरकारें भी इस आयोग की सिफारिशों के आधार पर अपने कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन कर सकती हैं, जैसा कि पहले भी देखा गया है।
सिफारिशों के लागू होने की संभावित समय-सीमा
यदि सभी औपचारिकताएं समय पर पूरी हो जाती हैं, तो 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 की शुरुआत में लागू हो सकती हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग की प्रक्रिया और राजनीतिक परिस्थितियों के कारण इसमें देरी संभव है, और यह प्रक्रिया 2027 तक भी खिंच सकती है। पिछली वेतन आयोगों की कार्यप्रणाली को देखकर यह आशंका पूरी तरह निराधार भी नहीं लगती।
क्या होगा सरकार पर आर्थिक असर?
8वें वेतन आयोग के लागू होने से सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, लेकिन इसके साथ ही कर्मचारियों की क्रय शक्ति में भी बढ़ोतरी होगी। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और उपभोक्ता खर्च (Consumer Spending) में वृद्धि होगी, जो अर्थव्यवस्था को गति देने वाला कदम माना जाता है। हालांकि, इसके लिए सरकार को अतिरिक्त बजटीय प्रावधान करने होंगे, जिससे राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) पर दबाव पड़ सकता है। ऐसे में सरकार को यह संतुलन साधने की चुनौती भी होगी।
राजनीतिक दृष्टिकोण से क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?
8वें वेतन आयोग को केवल एक प्रशासनिक कदम मानना गलत होगा। यह एक ऐसा निर्णय है जो सामाजिक और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 2024 के आम चुनावों के बाद केंद्र सरकार इस आयोग के गठन और सिफारिशों को लागू करने को एक जनहितकारी और लोकप्रिय कदम के रूप में प्रस्तुत कर सकती है। इससे न केवल लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी, बल्कि सरकार के प्रति भरोसा भी मज़बूत होगा, खासकर उन वर्गों में जो लंबे समय से आर्थिक सुधार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।