
बैंक लॉकर (Bank Locker) एक ऐसी सुविधा है, जो ग्राहकों को अपने कीमती सामान जैसे ज्वेलरी, दस्तावेज आदि को सुरक्षित रखने के लिए दी जाती है। यह सेवा ग्राहकों को बैंक की सुरक्षित जगह में दी जाती है और इसके लिए एक निश्चित शुल्क के साथ-साथ कुछ नियमों का पालन करना होता है। बैंक में लॉकर लेने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानना जरूरी है, खासकर की FD (Fixed Deposit) की शर्तें, लॉकर में क्या रखा जा सकता है और क्या नहीं, रेंट कितनी होती है और अगर लॉकर से सामान चोरी हो जाए तो बैंक की जिम्मेदारी क्या होगी।
कौन कर सकता है बैंक लॉकर के लिए आवेदन?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की गाइडलाइंस के अनुसार, बैंक लॉकर की सुविधा केवल उन्हीं व्यक्तियों को मिल सकती है जिनके पास उस बैंक में सेविंग अकाउंट या करंट अकाउंट हो। लॉकर के आवेदन के लिए ग्राहक को अपना PAN कार्ड या आधार कार्ड देना होता है और साथ ही एक वैध एड्रेस प्रूफ भी जरूरी होता है।
FD की शर्तें: कितने की Fixed Deposit है जरूरी?
अक्सर यह माना जाता है कि बैंक लॉकर लेने के लिए भारी-भरकम फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करानी पड़ती है, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है। RBI की गाइडलाइन के मुताबिक, कोई भी बैंक FD के नाम पर ग्राहक से जरूरत से ज्यादा रकम नहीं मांग सकता। लॉकर के एनुअल रेंट के अधिकतम 3 गुना तक की FD ही ली जा सकती है।
उदाहरण के लिए, अगर आप एक छोटा लॉकर लेते हैं जिसका सालाना किराया 4,000 रुपये है, तो बैंक आपसे अधिकतम 12,000 रुपये की FD करवा सकता है। इसका उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि ग्राहक लॉकर का रेंट समय पर भर सके।
लॉकर का साइज कैसे होता है तय?
लॉकर के साइज की बात करें तो यह पूरी तरह ग्राहक की जरूरतों पर निर्भर करता है। बैंक में लॉकर लेने के लिए एक औपचारिक एग्रीमेंट साइन किया जाता है। साइज सिंगल-टायर्ड से लेकर मल्टी-टायर्ड तक हो सकता है। जो जितना बड़ा लॉकर चाहता है, उसे उतना ही ज्यादा किराया देना होगा।
कितना देना होता है लॉकर का रेंट?
लॉकर का रेंट दो बातों पर निर्भर करता है — पहला, लॉकर का साइज और दूसरा, बैंक की लोकेशन। मेट्रो सिटी में रेंट अपेक्षाकृत ज्यादा होता है। इसके अलावा, बैंक ग्राहक से सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में FD या कैश अमाउंट भी ले सकता है।
SBI जैसे बैंक में लॉकर का किराया 2,000 से 12,000 रुपये सालाना है, जबकि ICICI बैंक में यह 1,200 से 5,000 रुपये तक होता है। वहीं, HDFC बैंक में यह चार्ज 3,000 से लेकर 20,000 रुपये तक हो सकता है। PNB और केनरा बैंक में भी यह रेंज 1,250 से 10,000 रुपये तक जाती है।
लॉकर की चाबी किसके पास रहती है?
जब लॉकर अलॉट हो जाता है, तो ग्राहक को एक स्पेसिफिक नंबर की चाबी दी जाती है। बैंक अपने पास उस लॉकर की मास्टर की (Master Key) रखता है। लॉकर को केवल ग्राहक और बैंक की उपस्थिति में ही खोला जा सकता है।
पहले आओ पहले पाओ की नीति
बैंक लॉकर की उपलब्धता सीमित होती है, इसलिए इसे ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर अलॉट किया जाता है। अगर किसी शाखा में लॉकर की वेटिंग लिस्ट है, तो आपको इंतजार करना पड़ सकता है। साथ ही, लॉकर रेंट कटौती के लिए आपके अकाउंट में एक न्यूनतम राशि बनाए रखना अनिवार्य होता है।
क्या रख सकते हैं और क्या नहीं?
बैंक लॉकर में आप जूलरी, कीमती स्टोन, जरूरी दस्तावेज जैसे प्रॉपर्टी पेपर्स, वसीयत, पॉलिसी आदि सुरक्षित रूप से रख सकते हैं। लेकिन इसमें कैश, करेंसी, हथियार, विस्फोटक, ड्रग्स, रेडियोएक्टिव मटीरियल या कोई भी गैरकानूनी सामान नहीं रखा जा सकता। इसके अलावा सड़ने वाली चीजें या ऐसी कोई वस्तु जिससे बैंक या अन्य ग्राहकों को खतरा हो, वह भी प्रतिबंधित है।
लॉकर से सामान चोरी या नुकसान हो जाए तो क्या होगा?
RBI की नई गाइडलाइन के मुताबिक, यदि बैंक की लापरवाही के कारण लॉकर में रखा सामान चोरी हो जाता है या उसे कोई नुकसान होता है, तो बैंक को इसका मुआवजा देना होगा। अगर यह नुकसान बैंक कर्मचारी की धोखाधड़ी के चलते हुआ है, तो बैंक की देयता लॉकर के वार्षिक किराए के 100 गुना तक हो सकती है।
बैंक की जिम्मेदारी है कि वह परिसर की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए, जैसे CCTV कैमरा, एंट्री-एग्जिट लॉग, डबल लॉकिंग सिस्टम आदि।