घर के बाहर लगी तार में कितना होता है करंट? जानिए कितनी होती है वोल्टेज और बचाव के तरीके

क्या आप जानते हैं आपके घर के बाहर फैली बिजली की तारों में कितनी खतरनाक मात्रा में करंट दौड़ता है? पढ़िए इस रिपोर्ट में पूरी जानकारी और जानिए किन छोटी-छोटी सावधानियों से आप बिजली के झटके से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।

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Written byRohit Kumar

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घर के बाहर लगी तार में कितना होता है करंट? जानिए कितनी होती है वोल्टेज और बचाव के तरीके
घर के बाहर लगी तार में कितना होता है करंट? जानिए कितनी होती है वोल्टेज और बचाव के तरीके

बिजली हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अहम हिस्सा है, चाहे घर हो, दफ्तर या फिर सड़कें, हर जगह बिजली के तार फैले हुए हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि घर के बाहर लगी तारों में कितना करंट (Current) होता है और क्या इंसान इससे बच सकता है? बिजली जितनी फायदेमंद है, उतनी ही खतरनाक भी है। अगर थोड़ी सी भी लापरवाही हो जाए तो इसका झटका जानलेवा साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

घर के बाहर लगे तारों में कितनी मात्रा में होता है करंट?

भारत में घरेलू उपयोग के लिए जो बिजली आपूर्ति होती है वह सामान्यतः 220 वोल्ट (Volt) के एकल फेज (Single Phase) पर आधारित होती है। जबकि, औद्योगिक क्षेत्रों और भारी उपकरणों के लिए तीन फेज (Three Phase) की सप्लाई दी जाती है, जिसका वोल्टेज इससे कहीं अधिक होता है।

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बिजली वितरण कंपनियां या विद्युत विभाग (Electricity Department) घरों तक जो बिजली पहुंचाते हैं, उसका वोल्टेज 220 से 250 वोल्ट के बीच होता है। वहीं, बड़े सबस्टेशनों (Substation) से छोटे सबस्टेशनों तक जो आपूर्ति की जाती है, वह 120 kV, 66 kV या 33 kV एसी (AC) 50 हर्ट्ज (Hz) की होती है। यह वोल्टेज इतनी अधिक होती है कि यदि कोई सीधे संपर्क में आ जाए तो गंभीर चोट या मृत्यु भी हो सकती है।

तार का मोटापा (thickness) और उसकी गुणवत्ता भी यह निर्धारित करती है कि वह कितनी धारा (Current) वहन कर सकता है। जितना अधिक लोड (Load) होगा, उतनी अधिक मात्रा में करंट प्रवाहित होगा। इसका अर्थ है कि बिजली के तारों में न सिर्फ वोल्टेज, बल्कि बहने वाली करंट की मात्रा भी काफी अधिक होती है।

करंट लगने पर शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

जब कोई व्यक्ति बिजली के संपर्क में आता है, तो उसके शरीर से करंट गुजरने लगता है। करंट का शरीर पर प्रभाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि करंट का परिमाण, संपर्क का समय और करंट का रास्ता। यदि करंट हृदय (Heart) या मस्तिष्क (Brain) से होकर गुजरता है तो इसका परिणाम अत्यंत घातक हो सकता है।

बिजली का झटका लगने पर त्वचा, नसें, मांसपेशियां और आंतरिक अंग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। करंट से शरीर की मांसपेशियों में सिकुड़न (Contraction) हो सकती है, जिससे व्यक्ति तार से चिपक भी सकता है। इसके अलावा, यदि करंट अधिक समय तक शरीर में प्रवाहित होता है तो हृदय गति रुकने (Cardiac Arrest) जैसी घातक स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

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करंट के प्रभाव को क्या चीजें और गंभीर बनाती हैं?

करंट का शरीर पर क्या असर होगा, यह कई बातों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी गीली सतह (Wet Surface) पर खड़े व्यक्ति को बिजली का झटका लगता है, तो प्रभाव अधिक घातक हो सकता है, क्योंकि पानी करंट का बहुत अच्छा चालक (Conductor) होता है। इसी तरह, यदि करंट शरीर के महत्वपूर्ण अंगों जैसे हृदय, फेफड़े या मस्तिष्क से होकर गुजरता है तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

यह भी ध्यान देना जरूरी है कि वोल्टेज जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक तीव्रता से करंट प्रवाहित होगा और उतना ही अधिक नुकसान संभावित है। इसलिए बिजली के तारों के आसपास हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए और किसी भी तरह की मरम्मत या छेड़छाड़ प्रशिक्षित इलेक्ट्रिशियन (Electrician) से ही करानी चाहिए।

कैसे बचा जा सकता है बिजली के झटके से?

बिजली के झटकों से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए। हमेशा सूखे हाथों से ही किसी भी विद्युत उपकरण (Electrical Equipment) को छूना चाहिए। गीले हाथों से बिजली के संपर्क में आना बेहद खतरनाक हो सकता है।

इसके अलावा, सुरक्षा उपकरण जैसे रबर के दस्ताने (Rubber Gloves) और इंसुलेटेड जूते (Insulated Shoes) का इस्तेमाल करना चाहिए। घरों में अर्थिंग (Earthing) की सही व्यवस्था होनी चाहिए ताकि अचानक करंट के बहाव की स्थिति में खतरे को टाला जा सके।

बिजली की लाइनों के आसपास खेलते समय बच्चों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। खुले तारों या टूटे हुए केबल्स (Cables) से दूरी बनाकर रखना भी बेहद जरूरी है।

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