
देश में वक्फ संशोधन बिल को लेकर घमासान मचा हुआ है। Supreme Court में इस बिल को चुनौती दी गई है, जिसकी सुनवाई फिलहाल जारी है। हाल ही में मोदी सरकार ने Supreme Court से स्पष्ट तौर पर कहा है कि संसद द्वारा बनाए गए कानून की वैधता को देखते हुए वक्फ कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती। केंद्र सरकार ने जवाबी हलफनामा दायर करते हुए अपने रुख का मजबूती से बचाव किया है।
केंद्र सरकार ने वक्फ कानून का क्यों किया बचाव?
केंद्र सरकार ने Supreme Court में दायर जवाबी हलफनामे में कहा है कि वक्फ अधिनियम में संशोधन प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्यों वाले संसदीय पैनल द्वारा किए गए थे। इन संशोधनों से पहले बहुत व्यापक, गहन और विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया था। सरकार का कहना है कि संसद के निर्णय पर रोक लगाने से संविधान के ढांचे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
केंद्र ने कहा कि वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाएं गलत तथ्यों पर आधारित हैं। इन याचिकाओं में दावा किया गया है कि संशोधन से धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जबकि ऐसा नहीं है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालतें संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत कानूनों की समीक्षा कर सकती हैं, लेकिन किसी भी कानून पर अंतरिम रोक लगाने से पहले उसके दूरगामी परिणामों पर विचार करना आवश्यक है।
वक्फ संपत्ति में चौंकाने वाली वृद्धि का दावा
सरकार ने अपने हलफनामे में वक्फ संपत्तियों को लेकर भी अहम जानकारी साझा की। मंत्रालय ने बताया कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20 लाख हेक्टेयर से अधिक की वृद्धि हुई है। हलफनामे में कहा गया कि मुगल काल से लेकर आजादी से पहले और फिर आजादी के बाद के दौर में भारत में कुल 18,29,163.896 एकड़ जमीन वक्फ के तहत पंजीकृत की गई थी।
यह आंकड़ा इस बात को दर्शाता है कि वक्फ संपत्तियों में निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे कानून की प्रासंगिकता और आवश्यकता और भी अधिक बढ़ जाती है। हलफनामा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में संयुक्त सचिव शेरशा सी शेख मोहिद्दीन द्वारा दायर किया गया।
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख तय
इस मामले में Supreme Court में सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार ने तर्क दिया है कि अदालत को अंतरिम आदेश पारित करने से पहले कानून की वैधता और संभावित प्रभावों का गंभीरता से आकलन करना चाहिए। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 5 मई की तारीख तय की है, जिसमें अंतरिम आदेश के मामले पर विचार किया जाएगा।
केंद्र का रुख यह भी स्पष्ट करता है कि संसद द्वारा पारित कानूनों पर रोक लगाने का अर्थ होगा विधायी प्रक्रिया में न्यायपालिका का हस्तक्षेप, जो लोकतंत्र के मूल ढांचे के विपरीत हो सकता है।
संशोधन के पीछे सरकार का तर्क
सरकार ने कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन के पीछे मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, बढ़ती वक्फ संपत्तियों और उनके दुरुपयोग की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए आवश्यक सुधार किए गए हैं। सरकार ने इस संशोधन को न केवल संवैधानिक बल्कि समाजहित में भी आवश्यक बताया।