
पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न होते हैं, खासकर तब जब किसी एक उत्तराधिकारी द्वारा बिना अन्य सह-वारिसों की अनुमति के संपत्ति को बेच दिया जाता है। भारतीय कानून इस मामले में काफी स्पष्ट है कि बिना सभी वैध उत्तराधिकारियों की सहमति के पैतृक संपत्ति की बिक्री अमान्य मानी जा सकती है। अगर किसी बहन ने पैतृक संपत्ति को बिना बंटवारे और अन्य वारिसों की अनुमति के बेच दिया है, तो प्रभावित व्यक्ति सिविल कोर्ट में जाकर सेल डीड (Sale Deed) को रद्द करवाने की मांग कर सकता है।
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कोर्ट से संपत्ति बिक्री रद्द करवाने का अधिकार
अगर कोई वारिस यह पाता है कि उसके हिस्से की संपत्ति बिना उसकी जानकारी या अनुमति के बेची गई है, तो वह सिविल कोर्ट में जाकर न केवल सेल डीड रद्द करवाने के लिए मुकदमा (Civil Suit) दायर कर सकता है, बल्कि संपत्ति को दोबारा बेचने या ट्रांसफर करने पर भी अस्थायी रोक (Injunction) लगाने की मांग कर सकता है। कोर्ट इस दौरान सभी वैध उत्तराधिकारियों के हितों की रक्षा करता है और किसी भी असंगत लेन-देन को अवैध ठहरा सकता है।
पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी की गणना कैसे होती है
पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी की गणना इस आधार पर होती है कि कितने कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heirs) जीवित हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं, तो तीनों को संपत्ति में बराबर-बराबर यानी 1/3-1/3 का हिस्सा मिलेगा। यदि माता या पिता में से कोई एक मृत्यु से पहले संपत्ति का विभाजन नहीं करते हैं, तो Hindu Succession Act, 2005 के तहत सभी संतानें समान अधिकार की हकदार बनती हैं।
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पैतृक संपत्ति बेचने के लिए जरूरी दस्तावेज
यदि बंटवारे (Partition) के बाद कोई बहन अपने हिस्से की संपत्ति बेचना चाहती है, तो उसके पास कुछ आवश्यक दस्तावेज होने चाहिए। इसमें Partition Deed या कोर्ट का आदेश, म्यूटेशन रिकॉर्ड (Mutation Record) जिसमें उसका नाम दर्ज हो, संपत्ति कर रसीदें (Property Tax Receipts), पहचान पत्र (Identity Proof) और पैन कार्ड (PAN Card) शामिल हैं। साथ ही, एक वैध Sale Deed का ड्राफ्ट भी अनिवार्य है। इन दस्तावेजों की मौजूदगी से खरीदार को भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचने में मदद मिलती है।
अदालत का रुख: बिना सहमति की बिक्री पर क्या होता है
अदालत आमतौर पर ऐसे मामलों में बिक्री को रद्द कर सकती है, खासकर जब यह साबित हो जाए कि सभी वैध उत्तराधिकारियों की सहमति नहीं ली गई थी। यदि संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति “Bona Fide Purchaser” यानी वास्तविक खरीदार है और उसने खरीद के समय उचित सावधानी (Due Diligence) बरती थी, तब भी संपत्ति का असली मालिक या सह-वारिस उसे कोर्ट में चुनौती दे सकता है।
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पैतृक संपत्ति विवाद में जल्द समाधान का तरीका
पैतृक संपत्ति विवाद से बचने के लिए परिवार के सभी सदस्यों के बीच स्पष्ट बातचीत और बंटवारे का वैध दस्तावेज होना चाहिए। यदि विवाद उत्पन्न होता है, तो अदालत से स्थगन आदेश (Stay Order) लेना और जल्दी सुनवाई की मांग करना भी एक प्रभावी उपाय हो सकता है। इसके अलावा, संपत्ति के संयुक्त स्वामित्व (Co-ownership) को खत्म करने के लिए भी Partition Suit फाइल किया जा सकता है।