
भारत में जातिगत जनगणना की प्रक्रिया को लेकर लंबे समय से चर्चा हो रही थी, और अब मोदी सरकार ने आखिरकार इस पर हरी झंडी दे दी है। केंद्र सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय से देश की सबसे बड़ी जाति वर्ग का आंकड़ा साफ होने की उम्मीद है। जातिगत जनगणना की प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि देश में हर जाति के कितने लोग हैं, इसका एक साफ और सटीक डेटा इकट्ठा किया जाए, ताकि सरकारी योजनाएं उसी आधार पर बनाई जा सकें।
इस साल से जाति आधारित जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो सकती है, और इसके आंकड़े 2026 तक सामने आने की संभावना है। यह एक बड़ा और विस्तृत सर्वे होगा, जो देश में विभिन्न जाति समूहों की संख्या, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करेगा।
जाति आधारित जनगणना की महत्ता
जातिगत जनगणना का मुख्य उद्देश्य समाज में विभिन्न जातियों की स्थिति का आंकलन करना है, ताकि सरकारी योजनाओं का निर्माण करते समय इन जातियों की आवश्यकता और स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सके। यह जनगणना शिक्षा, रोजगार, आय और राजनीतिक हिस्सेदारी के संदर्भ में महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करेगी। इसके आधार पर नीति निर्माताओं को बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी और देशभर में सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे।
ओबीसी वर्ग पर विशेष ध्यान
हालांकि, पहले भी जाति आधारित जनगणना हो चुकी है, लेकिन पिछली जनगणनाओं में OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) को पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया था। इस बार, ओबीसी को विशेष रूप से शामिल किया जाएगा, क्योंकि माना जाता है कि भारत की सबसे बड़ी आबादी इसी वर्ग से आती है। अब तक OBC वर्ग की संख्या के बारे में सटीक जानकारी नहीं थी, और इस बार इसकी सही संख्या सामने आने की उम्मीद है।
1931 के बाद से जातिगत जनगणना नहीं हुई
भारत में आखिरी बार 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी, और उसके बाद से कोई ऐसी जनगणना नहीं हुई, जिसमें जाति आधारित आंकड़े सामने आए हों। उस समय के आंकड़ों के आधार पर, यह कहा गया था कि OBC की आबादी लगभग 52% थी। इसके बाद, मंडल कमीशन की सिफारिशों के तहत ओबीसी के लिए आरक्षण लागू किया गया था, लेकिन जनगणना के बिना कोई ठोस आंकड़ा नहीं था। अब, जाति आधारित जनगणना से यह स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है, और इससे ओबीसी वर्ग की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।
जातिगत जनगणना से क्या बदलाव होंगे?
जातिगत जनगणना के बाद, OBC और अन्य जातियों को अपनी स्थिति के बारे में बेहतर समझ होगी। वे अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर सरकार से अपने अधिकारों के लिए ज्यादा स्पष्ट और ठोस तरीके से मांगें रख सकेंगे। इसके अलावा, जनगणना के आंकड़ों के आधार पर सरकार को विभिन्न जातियों के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी, जो उनके वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखेगा।
विपक्षी दलों की भूमिका
जातिगत जनगणना के समर्थन में विपक्षी दलों ने लंबे समय से आवाज उठाई थी। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसी प्रमुख विपक्षी पार्टियों का कहना है कि यह जनगणना उनकी लंबी मांग का परिणाम है। उनका मानना है कि यह फैसला देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर समझने में मदद करेगा और विभिन्न जातियों को उनके अधिकारों से लैस करेगा।