
नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट के बाद दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए गांधी परिवार को नोटिस जारी किया है। अब इस बहुचर्चित मामले की अगली सुनवाई 8 मई 2025 को निर्धारित की गई है।
यह केस भारतीय राजनीति में एक लंबे समय से विवाद का केंद्र रहा है और अब अदालत की ताजा कार्रवाई ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के सामने एक नई चुनौती पेश कर दी है।
कब और कैसे शुरू हुआ था National Herald Case?
National Herald Case की शुरुआत 2014 में उस समय हुई थी जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में एक निजी आपराधिक शिकायत दायर की थी। इस शिकायत पर 26 जून 2014 को मजिस्ट्रेट अदालत ने संज्ञान लिया था, जिसके बाद से यह मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है।
सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप था कि गांधी परिवार ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्ति हड़पने की कोशिश की है। यह संपत्ति कभी कांग्रेस से जुड़े अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़ी हुई थी, जिसे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शुरू किया गया था।
ED की जांच और चार्जशीट का दायर होना
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस केस की जांच वर्ष 2021 में शुरू की थी। ईडी की जांच के मुताबिक, गांधी परिवार द्वारा नियंत्रित एक कंपनी ‘यंग इंडियन’ के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की 90 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को ट्रांसफर करने की कोशिश की गई। जांच के बाद ईडी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत कई अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
ईडी की इस चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि यंग इंडियन नामक कंपनी को केवल 50 लाख रुपये में AJL की संपत्तियों का नियंत्रण सौंपा गया, जबकि इन संपत्तियों की बाजार कीमत कई सौ करोड़ रुपये थी। इस चार्जशीट के दायर होते ही अदालत ने आरोपियों को समन भेजते हुए अगली सुनवाई की तारीख 8 मई तय कर दी है।
गांधी परिवार की प्रतिक्रिया और कांग्रेस का रुख
सोनिया गांधी और राहुल गांधी पहले भी कई बार यह दावा कर चुके हैं कि यह केस पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध के तहत बनाया गया है। कांग्रेस पार्टी ने इसे सत्तारूढ़ भाजपा की साजिश करार देते हुए कहा है कि विपक्ष को दबाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
पार्टी के प्रवक्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है और विपक्षी नेताओं को बदनाम करने की साजिश रच रही है। वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी दिल्ली और अन्य शहरों में प्रदर्शन किए और गांधी परिवार के समर्थन में नारेबाजी की।
कोर्ट की अगली कार्यवाही पर टिकी निगाहें
अब सभी की नजरें 8 मई 2025 की सुनवाई पर टिकी हुई हैं। दिल्ली की अदालत में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पेश होने के लिए कहा गया है। अगर कोर्ट चार्जशीट को स्वीकार कर लेता है, तो दोनों नेताओं को बड़ी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।
यह सुनवाई राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि देश में आगामी लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में विपक्ष के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक राहुल गांधी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई से राजनीतिक तापमान और बढ़ सकता है।
नेशनल हेराल्ड केस का राजनीतिक प्रभाव
National Herald Case भारतीय राजनीति में एक प्रतीक बन चुका है कि किस प्रकार सत्ता और विपक्ष के बीच कानूनी और नैतिक लड़ाई लड़ी जा रही है। कांग्रेस जहां इसे लोकतंत्र की हत्या मानती है, वहीं भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम का हिस्सा बताती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है, विशेष रूप से तब जब गांधी परिवार को अदालत में लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़े।