Activa को EV में बदलने की सोच रहे हैं? पहले जान लें इसके फायदे-नुकसान

Activa को Electric में बदलने का क्रेज बढ़ रहा है, लेकिन ₹50,000 खर्च कर पुराना स्कूटर चलाना कितना सही है? जानें कन्वर्जन के फायदे और नुकसान, साथ ही नया इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने से तुलना आगे पढ़ें पूरी रिपोर्ट!

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Written byRohit Kumar

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Activa को EV में बदलने की सोच रहे हैं? पहले जान लें इसके फायदे-नुकसान
Activa को EV में बदलने की सोच रहे हैं? पहले जान लें इसके फायदे-नुकसान

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन तेजी से बढ़ रहा है, और Activa Electric Conversion यानी पेट्रोल स्कूटर को इलेक्ट्रिक स्कूटर में बदलने का विचार अब कई लोगों को आकर्षित कर रहा है। बढ़ते पेट्रोल दाम और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) की ओर झुकाव के बीच, यह विकल्प सुनने में तो किफायती और पर्यावरण हितैषी लगता है। लेकिन क्या वाकई में यह एक फायदे का सौदा है? जानिए इसकी पूरी सच्चाई – फायदे और नुकसान दोनों के साथ।

कैसे होता है पेट्रोल स्कूटर का इलेक्ट्रिक में कन्वर्जन

पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर, जैसे होंडा एक्टिवा (Honda Activa), को इलेक्ट्रिक में बदलने की प्रक्रिया को रेट्रोफिटिंग (Retrofit Electric Kit) कहा जाता है। इसमें सबसे पहले स्कूटर के पेट्रोल इंजन को पूरी तरह से हटाया जाता है। फिर उसमें इलेक्ट्रिक मोटर, लिथियम-आयन बैटरी, कंट्रोलर और बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (Battery Management System) इंस्टॉल किया जाता है।

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यह काम दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में मौजूद कुछ स्टार्टअप और गैरेज द्वारा किया जा रहा है। इसकी शुरुआती लागत लगभग ₹25,000 से शुरू होती है, लेकिन अच्छी बैटरी और क्वालिटी किट लगवाने पर यह खर्च ₹50,000 तक पहुंच सकता है।

एक्टिवा को इलेक्ट्रिक में बदलने के फायदे

सबसे बड़ा फायदा यह है कि बिजली पेट्रोल की तुलना में बेहद सस्ती है, जिससे रोजाना की यात्रा में काफी बचत होती है। एक बार चार्ज करने पर खर्च ₹10-15 तक आता है, जो पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम है।

इसके अलावा, इलेक्ट्रिक मोटर में चलते भाग (Moving Parts) कम होते हैं। इससे न तो इंजन ऑयल की जरूरत होती है, न ही गियर ऑयल या क्लच प्लेट की। सर्विसिंग का खर्च भी लगभग खत्म हो जाता है।

एक्टिवा इलेक्ट्रिक बनने के बाद यह Zero Emission Vehicle बन जाता है, जिससे प्रदूषण नहीं होता और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता।

कुछ राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी, रोड टैक्स में छूट और रजिस्ट्रेशन में राहत भी मिलती है।

कन्वर्जन का एक और फायदा यह है कि पुराना स्कूटर बेकार नहीं जाता। जो स्कूटर आपने वर्षों पहले खरीदा था, वह दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है – एक नए रूप में।

एक्टिवा को इलेक्ट्रिक में बदलने के नुकसान

हालांकि ये फायदे आकर्षक लगते हैं, लेकिन इसमें कई तकनीकी और कानूनी चुनौतियां भी हैं। सबसे पहले, कन्वर्जन किट की लागत ₹40,000 से ₹50,000 तक जा सकती है। इतनी राशि खर्च करने के बाद भी आपको एक नया स्कूटर नहीं मिलता, बल्कि वही पुराना बॉडी फ्रेम चलता है।

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इसके अलावा, कन्वर्टेड स्कूटर की रेंज सीमित होती है। अगर आपने सस्ती बैटरी लगाई है, तो यह सिर्फ 50-80 किलोमीटर ही चल सकता है एक बार चार्ज पर।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी एक और बड़ी समस्या है। अगर आपके क्षेत्र में चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं, तो आपको स्कूटर घर पर ही चार्ज करना होगा, जिसमें 4-6 घंटे या उससे ज्यादा का समय लग सकता है।

तकनीकी दृष्टि से देखें तो अगर कन्वर्जन सही ढंग से न किया गया हो, तो सुरक्षा (Safety) पर सवाल खड़े हो सकते हैं। स्कूटर के ब्रेकिंग सिस्टम, बैटरी इंस्टॉलेशन, वायरिंग और कूलिंग जैसी चीजें ठीक से फिट न हों तो दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं।

इसके अलावा, रेट्रोफिटिंग के बाद वाहन की ओरिजिनल कंपनी की वारंटी समाप्त हो जाती है, और वाहन का RTO अप्रूवल भी जरूरी हो जाता है। अगर बिना आरटीओ अप्रूवल के स्कूटर को चलाया जाए, तो चालान कट सकता है और वाहन जब्त भी किया जा सकता है।

क्या नया इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदना बेहतर है?

अगर आप ₹50,000 तक खर्च कर रहे हैं, तो यह सोचने लायक है कि उसी बजट में कुछ कम कीमत वाले ब्रांडेड इलेक्ट्रिक स्कूटर भी उपलब्ध हैं, जिनमें कंपनी की वारंटी, अच्छी बैटरी रेंज और बेहतर डिजाइन भी मिलता है।

बाजार में कई ऑप्शंस जैसे Ola S1 Air, TVS iQube, Ather 450X जैसी स्कूटर्स मौजूद हैं जो 80-120 किमी तक की रेंज और फास्ट चार्जिंग सपोर्ट देती हैं।

ऐसे में एक नया इलेक्ट्रिक स्कूटर न सिर्फ तकनीकी रूप से बेहतर होता है, बल्कि लीगल और सेफ्टी स्टैंडर्ड्स को भी फॉलो करता है।

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