
उत्तराखंड सरकार ने किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 फीसदी सब्सिडी देने की घोषणा की है। खासतौर पर लघु और सीमांत किसानों को ध्यान में रखते हुए राज्य में फार्म मशीनरी बैंक (Farm Machinery Bank) की स्थापना की जाएगी, जिससे किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र आसानी से उपलब्ध हो सकें। इस योजना का उद्देश्य किसानों की मेहनत को कम करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है।
महिला श्रमिकों के बोझ को कम करने की दिशा में पहल
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि का भार मुख्य रूप से महिलाओं पर होता है। राज्य सरकार ने इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए इस योजना की रचना की है। फार्म मशीनरी बैंक गांव के स्तर पर बनाए जाएंगे, ताकि महिला किसानों की पहुंच भी इन कृषि यंत्रों तक हो सके। महिला श्रम को कम करने के साथ-साथ यह योजना कृषि को अधिक वैज्ञानिक और यांत्रिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
क्या है फार्म मशीनरी बैंक और कैसे मिलेगा लाभ
फार्म मशीनरी बैंक एक ऐसा समूह होगा जिसमें 8 से 10 किसान मिलकर एक यूनिट बनाएंगे। इस समूह को सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 प्रतिशत सब्सिडी या अधिकतम चार लाख रुपये, जो भी कम हो, प्रदान किया जाएगा। इस सहायता से किसान ट्रैक्टर, थ्रेशर, पावर टिलर, रीपर, सीड ड्रिल जैसे आधुनिक यंत्र खरीद सकेंगे।
कृषि विभाग ने स्पष्ट किया है कि राज्य में लगभग 10,000 किसान समूहों को इस योजना का लाभ मिलेगा। राज्य सरकार इसके लिए 400 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित कर चुकी है।
किराए पर देकर किसान कमा सकेंगे अतिरिक्त आमदनी
इस योजना की एक और खासियत यह है कि किसान समूह इन यंत्रों को किराए पर भी दे सकेंगे। इससे उनकी अतिरिक्त आमदनी होगी और आसपास के अन्य किसान भी इन यंत्रों का लाभ उठा सकेंगे। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा और किसान आत्मनिर्भर बनेंगे।
कृषि निदेशक केसी पाठक ने बताया कि राज्य के पर्वतीय जिलों में अधिकतर किसान लघु और सीमांत हैं, जो महंगे कृषि यंत्र नहीं खरीद सकते। ऐसे किसानों को ध्यान में रखते हुए यह योजना विशेष रूप से कारगर सिद्ध होगी। गांव-गांव में मशीनरी बैंक बनाकर इन यंत्रों को साझा किया जाएगा, जिससे हर किसान तक इनका लाभ पहुंचेगा।
आवेदन की प्रक्रिया क्या होगी?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को एक समूह बनाकर कृषि विभाग में आवेदन करना होगा। आवेदन की प्रक्रिया को जल्द ही विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन किया जाएगा। इसके अलावा किसानों को स्थानीय कृषि अधिकारी की मदद से भी इस योजना की जानकारी और आवेदन में सहायता मिलेगी।
प्रत्येक समूह को यह सिद्ध करना होगा कि वे संयुक्त रूप से यंत्रों का उपयोग और रखरखाव कर सकते हैं। साथ ही, उन्हें यह भी बताना होगा कि वे किस प्रकार इन यंत्रों को अपने क्षेत्र के अन्य किसानों को किराए पर उपलब्ध कराएंगे।
छोटे किसानों को मिलेगा बड़ा सहारा
राज्य सरकार के अनुसार, उत्तराखंड में 90 प्रतिशत से अधिक किसान लघु एवं सीमांत हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वे महंगे कृषि यंत्र खरीद सकें। इसलिए यह योजना उनके लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है।
इसके तहत न केवल आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध होंगे बल्कि इससे उत्पादन लागत कम होगी और समय की बचत भी होगी। साथ ही किसान पारंपरिक खेती से हटकर वैज्ञानिक और मशीनी खेती की ओर बढ़ेंगे।
योजना से जुड़े व्यापक लाभ
यह योजना केवल सब्सिडी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी। जब किसान यंत्र किराए पर देंगे, तो इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि इससे स्थानीय स्तर पर सेवा क्षेत्र का विकास भी होगा।
कृषि यंत्रों की उपलब्धता से किसानों को अपनी फसल की बुवाई और कटाई समय पर करने में मदद मिलेगी, जिससे उपज की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होगा।
राज्य सरकार का मानना है कि Renewable Energy, Smart Farming और Agri-Tech की दिशा में भी यह एक आधार तैयार करेगा। भविष्य में इन मशीनरी बैंकों को सौर ऊर्जा से भी जोड़ा जा सकता है, जिससे ऊर्जा की लागत भी कम होगी।
किसानों के लिए स्वर्णिम अवसर
यह योजना उत्तराखंड के किसानों के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। कृषि यंत्रों की पहुंच, महिला किसानों का सशक्तिकरण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार और अतिरिक्त आय जैसे कई लाभ इस योजना से जुड़े हैं। राज्य सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय से उत्तराखंड में कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी और यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल बन सकता है।