
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (AY 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने से पहले टैक्सपेयर्स को नए नियमों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने ITR फॉर्म्स में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे रिटर्न फाइल करना आसान तो हुआ है, लेकिन कुछ नई शर्तें और प्रक्रिया भी लागू की गई हैं। ये बदलाव खासकर उन लोगों के लिए अहम हैं जो ITR1, ITR2, ITR3 और ITR4 फॉर्म का उपयोग करते हैं।
ITR1 और ITR4 के लिए टैक्स एलिजिबिलिटी बढ़ी
पहले जहां लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट (Long Term Investment) से 1 लाख रुपये तक के मुनाफे पर ITR1 और ITR4 फॉर्म का उपयोग नहीं किया जा सकता था, वहीं अब इस लिमिट को बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। इसका सीधा फायदा उन टैक्सपेयर्स को मिलेगा जिन्होंने Equity या Equity Mutual Fund में निवेश से मुनाफा कमाया है। पहले इस स्थिति में ITR2 या ITR3 फॉर्म ही भरना पड़ता था, लेकिन अब ITR1 और ITR4 से भी इसे फाइल किया जा सकता है।
आधार एनरोलमेंट आईडी अब मान्य नहीं
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए अब सिर्फ Aadhaar Number ही मान्य होगा। पहले अगर किसी के पास आधार नहीं था तो वह Aadhaar Enrolment ID के जरिए भी रिटर्न फाइल कर सकता था। लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए यह सुविधा समाप्त कर दी गई है। ITR1, ITR2, ITR3 और ITR5 में अब आधार एनरोलमेंट कॉलम हटा दिया गया है। यानी अब PAN और Aadhaar Number दोनों का होना अनिवार्य है।
छोटे बिजनेस के लिए न्यू टैक्स रिजीम में बदलाव
सरकार ने छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए New Tax Regime को पहले ही पेश कर दिया था। अब इसमें भी एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। करदाता अब बार-बार पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था में स्विच नहीं कर सकते। अगर कोई प्रोफेशनल या बिजनेस करने वाला व्यक्ति एक बार न्यू टैक्स रिजीम को चुनता है, तो वह लाइफटाइम में सिर्फ एक बार ही ओल्ड टैक्स सिस्टम में वापसी कर सकता है।
ITR-4 में अब यह खुलासा भी करना जरूरी होगा कि क्या आपने पहले Form 10-IEA फाइल किया है, और उसकी तारीख तथा पावती संख्या क्या थी। साथ ही यह भी बताना होगा कि क्या चालू वर्ष में भी आप नई टैक्स व्यवस्था से बाहर रहना चाहते हैं या नहीं।
सेक्शन 206AB और 206CCA को किया गया समाप्त
इनकम टैक्स कानून के तहत टैक्स डिडक्शन और कलेक्शन से जुड़े दो सेक्शन 206AB और 206CCA को अब पूरी तरह से हटा दिया गया है। इन सेक्शनों के कारण टैक्स डिडक्टर और कलेक्टर को कई बार तकनीकी जटिलताओं का सामना करना पड़ता था। इन्हें हटाकर अब टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया गया है।
सेक्शन 87A के तहत छूट की सीमा बढ़ी
वित्त मंत्री द्वारा फरवरी 2025 में पेश बजट के तहत Section 87A में मिलने वाली छूट को बढ़ा दिया गया है। पहले यह छूट 25,000 रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया गया है। इसका सीधा लाभ उन टैक्सपेयर्स को मिलेगा जिनकी सालाना इनकम 12 लाख रुपये तक है। इसका मतलब यह हुआ कि अब 12 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
TDS नियमों में संशोधन
1 अप्रैल 2025 से TDS (Tax Deducted at Source) के कई नियम बदले गए हैं। खासतौर पर Senior Citizens के लिए एक बड़ा बदलाव किया गया है, जिसमें ब्याज आय (Interest Income) पर TDS की लिमिट को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है। यह बदलाव उन सीनियर सिटीज़न्स के लिए राहतभरा है जो ब्याज के माध्यम से अपनी आय अर्जित करते हैं।
ई-फाइलिंग के लिए नई यूटिलिटीज का इंतजार जरूरी
इनकम टैक्स के पोर्टल पर जब आप रिटर्न फाइल करने जाएंगे तो वहां ITR फाइलिंग के लिए e-Utilities का इंतजार करना जरूरी होगा। ये यूटिलिटीज हर वर्ष अपडेट की जाती हैं और रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को डिजिटल रूप से पूरा करने में मदद करती हैं। जैसे ही ये यूटिलिटीज जारी होंगी, तभी आप अपनी इनकम के अनुसार सही फॉर्म भर पाएंगे।