ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में यहां लगते हैं ₹2.38 लाख से ₹3.34 लाख! जानिए क्यों है नामुमकिन जैसा मुश्किल

हजारों यूरो की लागत, कई बार फेल होने का डर, और कड़े नियमों की जंजीर जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस पाना अब सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार बन चुका है। पढ़िए यह रिपोर्ट जो हर प्रवासी और छात्र के लिए जरूरी है!

Photo of author

Written byRohit Kumar

verified_75

Published on

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में यहां लगते हैं ₹2.38 लाख से ₹3.34 लाख! जानिए क्यों है नामुमकिन जैसा मुश्किल
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में यहां लगते हैं ₹2.38 लाख से ₹3.34 लाख! जानिए क्यों है नामुमकिन जैसा मुश्किल

जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) हासिल करना इन दिनों सिर्फ समय और मेहनत की मांग नहीं करता, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। खासकर युवाओं और प्रवासी छात्रों के लिए यह एक बड़ी बाधा बनता जा रहा है। ‘एडीएसी’ (ADAC) जैसे जर्मनी के प्रमुख ऑटोमोबिल क्लब के अनुसार, एक सामान्य ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने में 2,500 यूरो से लेकर 3,500 यूरो तक का खर्च आ सकता है। कई मामलों में यह आंकड़ा 5,000 यूरो तक भी पहुंच जाता है।

महंगी प्रक्रिया, कठिन परीक्षा

जर्मनी में ड्राइविंग की पढ़ाई काफी विस्तृत और कठोर नियमों से भरी होती है। उम्मीदवारों को कम-से-कम 14 थिअरी क्लास और 12 प्रैक्टिकल क्लास लेना जरूरी होता है। थिअरी परीक्षा में पास होने के बाद भी प्रैक्टिकल टेस्ट पास करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। यदि कोई व्यावहारिक परीक्षा में फेल हो जाए तो अगला प्रयास करने के लिए 130 यूरो तक खर्च करना पड़ता है।

Earthnewj से अब व्हाट्सप्प पर जुड़ें, क्लिक करें

टीयूवी एसोसिएशन (TÜV Association) के आंकड़ों के अनुसार, अब लगभग हर दो में से एक उम्मीदवार थिअरी परीक्षा में असफल हो जाता है। प्रैक्टिकल परीक्षा में भी असफलता की दर 30 प्रतिशत से ज्यादा हो चुकी है। इसका अर्थ है कि ड्राइविंग लाइसेंस पाने की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक जटिल हो चुकी है।

प्रवासियों के लिए और भी मुश्किल

प्रवासियों के लिए यह प्रक्रिया और भी कठिन हो जाती है। भारतीय मूल की छात्रा वर्षा अय्यर, जो 2018 में जर्मनी पढ़ाई के लिए आई थीं, को ड्राइविंग लाइसेंस लेने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने थिअरी परीक्षा पहली बार में पास कर ली, लेकिन प्रैक्टिकल टेस्ट में पांच बार असफल रहीं। कुल मिलाकर, उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस पर 5,000 यूरो से अधिक खर्च किए, जो उनकी पूरी बचत के बराबर था।

भाषा की बाधाएं, यातायात नियमों की भिन्नता और सड़क की दिशा जैसी चीजें प्रवासियों के लिए बड़ी चुनौतियां बन जाती हैं। वर्षा के मुताबिक, “जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस एक विशेषाधिकार है, जो बाकी सुविधाओं के द्वार खोलता है। लेकिन हर किसी के लिए यह विशेषाधिकार हासिल करना आसान नहीं है।”

क्यों इतना महंगा है ड्राइविंग सीखना?

ड्राइविंग स्कूलों में बढ़ती लागत की कई वजहें हैं। इन दिनों प्रशिक्षक बढ़ती गाड़ी की कीमतें, ईंधन की लागत, किराए और योग्य प्रशिक्षकों की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया राज्य के ड्राइविंग प्रशिक्षकों के संघ के अध्यक्ष कुर्ट बार्टेल्स कहते हैं, “आज के युवा सड़कों पर कम और स्मार्टफोन पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा क्लासेस की जरूरत होती है।”

इसके अलावा, ट्रेनिंग में ई-स्कूटर, एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम जैसे नए पहलुओं को भी शामिल करना पड़ता है, जिससे लागत और बढ़ जाती है।

अन्य देशों से सस्ता लाइसेंस भी आसान नहीं

कई लोग लाइसेंस के लिए पोलैंड जैसे पड़ोसी देशों का रुख करते हैं, जहां 600 से 900 यूरो तक में थिअरी और प्रैक्टिकल क्लासेस पूरी की जा सकती हैं। लेकिन एडीएसी की प्रवक्ता काटारीना लुका का कहना है कि “लोग भूल जाते हैं कि उस देश से लाइसेंस प्राप्त करने के लिए वहां कम-से-कम 185 दिन रहना अनिवार्य है।” इसके अलावा यात्रा और रहन-सहन का खर्च अलग होता है।

Also ReadSmart Bijli Meter की ‘महा’ गड़बड़ी! उपभोक्ता परेशान, अचानक हजारों-लाखों का बिल, जानें पूरा मामला

Smart Bijli Meter की ‘महा’ गड़बड़ी! उपभोक्ता परेशान, अचानक हजारों-लाखों का बिल, जानें पूरा मामला

सिम्युलेटर हो सकते हैं समाधान?

ड्राइविंग ट्रेनिंग को किफायती बनाने के संभावित उपायों में ड्राइविंग सिम्युलेटर (Driving Simulator) का प्रयोग एक विकल्प माना जा रहा है। इसमें गियर बदलना, ब्रेक लगाना जैसी बुनियादी चीजें वर्चुअली सिखाई जा सकती हैं। फ्रांस जैसे देशों में यह तकनीक पहले से प्रयोग में है।

हालांकि जर्मनी में इसे अभी तक आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है। बार्टेल्स के अनुसार, “सिम्युलेटर कभी भी असल ड्राइविंग की जगह नहीं ले सकते, खासकर जब बात ऑटोबान या रात में गाड़ी चलाने की हो।”

सुधार की मांग और राजनीतिक बहस

क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (CDU) के परिवहन नीति प्रवक्ता फ्लोरियान म्यूलर का मानना है कि “ड्राइविंग एजुकेशन को समय के अनुसार आधुनिक और किफायती बनाना जरूरी है।” उन्होंने प्रस्ताव रखा कि ड्राइविंग पाठ्यक्रम को अपडेट किया जाए ताकि वह सड़क की मौजूदा स्थितियों को प्रतिबिंबित करे।

हालांकि बुंडेसटाग में उनके इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है, फिर भी दबाव बना हुआ है क्योंकि 2020 से अब तक ट्रेनिंग और टेस्ट की लागत में 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है, जो मुद्रास्फीति से काफी अधिक है।

क्या है आगे का रास्ता?

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ड्राइविंग लाइसेंस को सस्ता और सुलभ बनाने के लिए सैद्धांतिक परीक्षा को सरल किया जाना चाहिए। वहीं कुछ का कहना है कि इसकी असली जड़ व्यावहारिक क्लासेस की लागत है, जिसे कम करना संभव नहीं है क्योंकि सड़क की जटिलता और नई तकनीकों के कारण ट्रेनिंग की गहराई और महत्ता बढ़ी है।

फिलहाल के लिए, जर्मनी में ड्राइविंग लाइसेंस एक चुनौतीपूर्ण, महंगा और समय लेने वाला प्रक्रिया बना हुआ है, खासकर उनके लिए जो सीमित संसाधनों में जिंदगी चला रहे हैं।

Also Readक्या एक ही बैंक में दो सेविंग अकाउंट खोलना सही है? जानिए इसके फायदे और नुकसान

क्या एक ही बैंक में दो सेविंग अकाउंट खोलना सही है? जानिए इसके फायदे और नुकसान

You might also like

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें