
जब भी कोई नया वाहन खरीदा जाता है, तो उस पर नंबर प्लेट (Number Plate) लगाई जाती है जो आगे और पीछे दोनों तरफ होती है। लेकिन कई बार लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर इस नंबर प्लेट की आवश्यकता क्यों होती है और यह किस प्रकार लाभदायक होती है। यह जानना जरूरी है कि वाहन की नंबर प्लेट केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि वाहन की पहचान और सुरक्षा से जुड़ी एक अहम कड़ी है।
भारत में नंबर प्लेट को संबंधित स्थानीय आरटीओ (RTO) द्वारा जारी किया जाता है, जो न सिर्फ वाहन का पंजीकरण प्रमाण होती है, बल्कि किसी भी वाहन के मालिक और उसकी वैधता की पुष्टि भी करती है। आइए जानते हैं, नंबर प्लेट वाहन के लिए क्यों जरूरी होती है और इसके क्या-क्या लाभ होते हैं।
हादसों और अपराधों में नंबर प्लेट से होती है पहचान
नंबर प्लेट का सबसे पहला और प्रमुख उद्देश्य है – वाहन की पहचान। जब कोई वाहन सड़क पर चलता है, और अगर किसी दुर्घटना या आपराधिक घटना में शामिल हो जाता है, तो उस वाहन की नंबर प्लेट के आधार पर ही उसकी पहचान संभव हो पाती है।
किसी एक्सीडेंट के बाद यदि आरोपी वाहन घटनास्थल से फरार हो जाए, तो वहां मौजूद लोग या सीसीटीवी फुटेज से उसकी नंबर प्लेट देखकर पुलिस उस वाहन तक पहुंच सकती है। इससे अपराधियों को पकड़ना आसान हो जाता है। इसके अलावा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की स्थिति में भी नंबर प्लेट से वाहन चालक की जानकारी निकाली जा सकती है।
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चोरी हुए वाहन को ढूंढने में कारगर
अगर किसी का वाहन चोरी हो जाता है, तो नंबर प्लेट के माध्यम से उसे ढूंढने में मदद मिलती है। पुलिस या अन्य सुरक्षा एजेंसियां नंबर प्लेट को ट्रैक कर सकती हैं। इसके जरिए चोरी हुए वाहन को सीमाओं पर चेक पोस्ट या टोल नाकों पर रोका जा सकता है।
इसके अलावा, गाड़ियों में आजकल GPS या अन्य ट्रैकिंग तकनीकों के साथ नंबर प्लेट को जोड़कर वाहन की निगरानी आसान हो गई है। इससे वाहन मालिक को भी मानसिक सुरक्षा मिलती है कि उनका वाहन सुरक्षित है।
कानूनी वैधता की पुष्टि करती है नंबर प्लेट
नंबर प्लेट यह दर्शाती है कि वाहन सरकारी मानकों और नियमों के अनुसार रजिस्टर्ड है। बिना नंबर प्लेट वाला वाहन सड़क पर चलने की स्थिति में गैर-कानूनी माना जाता है और उस पर जुर्माना भी लग सकता है।
ट्रैफिक पुलिस द्वारा जब भी किसी वाहन को रोका जाता है, तो सबसे पहले उसके नंबर प्लेट के आधार पर ही वाहन की वैधता और ड्राइवर के दस्तावेजों की जांच होती है।
सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है
जब नया वाहन खरीदा जाता है और उसका पंजीकरण (Registration) होता है, तो सरकार को उसका शुल्क मिलता है। नंबर प्लेट जारी करते समय भी आरटीओ एक निश्चित राशि चार्ज करता है। यह राशि सरकार के खाते में जाती है, जिसका उपयोग सड़क निर्माण, मरम्मत, और अन्य परिवहन सेवाओं के विकास में किया जाता है।
इस तरह से देखा जाए तो नंबर प्लेट से सरकार को राजस्व (Revenue) भी प्राप्त होता है जो देश की बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में सहायक होता है।
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बीमा और प्रदूषण नियंत्रण में भी सहायक
वाहन पर लगी नंबर प्लेट से बीमा कंपनियां वाहन की इंश्योरेंस डिटेल्स (Insurance Details) आसानी से निकाल सकती हैं। इसके अलावा, नंबर प्लेट के माध्यम से यह भी पता लगाया जा सकता है कि वाहन ने पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट बनवाया है या नहीं।
आधुनिक तकनीक के साथ अब नंबर प्लेट को स्कैन करके वाहन की संपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जिसमें उसका बीमा, प्रदूषण स्तर, फिटनेस, टैक्स स्थिति आदि शामिल होती है।
टोल और पार्किंग में होती है मदद
कुछ देशों और अब भारत के भी कुछ हिस्सों में, टोल टैक्स (Toll Tax) और पार्किंग फीस (Parking Fee) की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नंबर प्लेट को स्कैन किया जाता है। इससे न केवल समय की बचत होती है बल्कि डिजिटल रिकॉर्ड भी तैयार होता है।
फास्टैग (FASTag) जैसी टेक्नोलॉजी को भी नंबर प्लेट से जोड़ा जा रहा है ताकि वाहन का प्रवेश और निकास रिकॉर्ड किया जा सके।
बिना नंबर प्लेट के वाहनों पर नियंत्रण असंभव
अगर किसी भी वाहन पर नंबर प्लेट नहीं हो, तो उसे ट्रैक करना लगभग असंभव हो जाएगा। ऐसे वाहनों से सड़क पर अव्यवस्था फैल सकती है। नंबर प्लेट ट्रैफिक प्रबंधन और रोड सेफ्टी का एक महत्वपूर्ण अंग बन गई है।
इसके बिना न तो वाहन की वैधता तय की जा सकती है और न ही उसके उपयोग को नियमों के अनुसार नियंत्रित किया जा सकता है। यही कारण है कि सभी वाहनों पर नंबर प्लेट अनिवार्य की गई है।