
शादी के बाद सरनेम कैसे चेंज होता है (How can I change my surname legally): भारत में शादी के बाद नाम या सरनेम बदलने की परंपरा एक आम चलन है, खासकर महिलाओं के बीच। बहुत सी महिलाएं शादी के बाद अपने पति का सरनेम अपना लेती हैं, जबकि कुछ महिलाएं अपने पिता का सरनेम ही बनाए रखना पसंद करती हैं। यह पूरी तरह एक व्यक्तिगत चुनाव होता है, लेकिन यदि आप अपना सरनेम आधिकारिक तौर पर बदलना चाहती हैं, तो इसके लिए एक कानूनी प्रक्रिया (legal process) अपनानी होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि शादी के बाद सरनेम बदलने की कानूनी प्रक्रिया क्या होती है, और इसके लिए किन दस्तावेज़ों की जरूरत होती है।
शादी के बाद सरनेम बदलने की आवश्यकता क्यों होती है?
शादी के बाद सरनेम बदलने के पीछे सामाजिक और पारिवारिक कारण हो सकते हैं। कई बार महिलाएं अपने पति के उपनाम को अपनाकर अपने परिवार के नाम के साथ खुद को जोड़ना चाहती हैं। इसके अलावा, बैंक, पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी जैसे सरकारी दस्तावेजों में एक समान नाम होना बहुत जरूरी होता है ताकि आगे किसी प्रकार की कानूनी या प्रशासनिक अड़चन ना आए।
हालांकि, यह प्रक्रिया अनिवार्य नहीं है। भारत में कानून महिलाओं को यह स्वतंत्रता देता है कि वे चाहें तो शादी के बाद भी अपना पूर्व नाम बरकरार रख सकती हैं। लेकिन यदि कोई महिला या पुरुष कानूनी रूप से सरनेम बदलना चाहता है, तो उसे एक निश्चित प्रक्रिया को फॉलो करना होगा।
सरनेम चेंज करने की कानूनी प्रक्रिया क्या है?
शादी के बाद सरनेम चेंज करने के लिए एक निर्धारित और आधिकारिक प्रक्रिया है जिसे फॉलो करना जरूरी होता है। इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से तीन चरण शामिल होते हैं – एफिडेविट बनवाना, गजट में नोटिफिकेशन और दस्तावेजों में अपडेट।
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एफिडेविट तैयार कराना
सबसे पहला कदम है एफिडेविट (Affidavit) बनवाना। आपको एक गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर एक एफिडेविट बनवाना होता है जिसमें यह स्पष्ट रूप से लिखा हो कि आपने स्वेच्छा से अपना सरनेम बदलने का निर्णय लिया है। एफिडेविट में पुराना नाम, नया नाम, शादी की तारीख और पति का नाम शामिल होता है। इसे नोटरी द्वारा सत्यापित (notarize) कराना जरूरी है।
गजट में नोटिफिकेशन देना
एफिडेविट बनने के बाद दूसरा चरण होता है गजट नोटिफिकेशन (Gazette Notification) । भारत सरकार का प्रेस सूचना ब्यूरो (Press Information Bureau) या संबंधित राज्य सरकार का गजट विभाग आपके नाम में परिवर्तन को आधिकारिक रूप से दर्ज करता है। इसके लिए आपको आवेदन पत्र के साथ एफिडेविट, शादी का प्रमाणपत्र (Marriage Certificate), पासपोर्ट साइज फोटो और पहचान पत्र की कॉपी जमा करनी होती है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपका नया नाम गजट में प्रकाशित होता है।
दस्तावेजों में नाम अपडेट कराना
तीसरे चरण में आपको अपने सभी जरूरी दस्तावेजों में नया सरनेम अपडेट कराना होता है। इनमें आधार कार्ड (Aadhaar Card), पैन कार्ड (PAN Card), पासपोर्ट (Passport), ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक खाते, वोटर आईडी (Voter ID) और अन्य प्रमाणपत्र शामिल होते हैं। हर विभाग की अपनी अलग प्रक्रिया होती है, लेकिन सामान्यतः आपको गजट की कॉपी, एफिडेविट और शादी का प्रमाणपत्र देना होता है।
सरनेम बदलने में कितना खर्च आता है?
How much does it cost to change your surname in India: सरनेम बदलने की प्रक्रिया में खर्च एफिडेविट, गजट पब्लिकेशन और डॉक्युमेंट अपडेटिंग पर निर्भर करता है। एफिडेविट बनवाने में ₹100 से ₹300 तक का खर्च हो सकता है। गजट नोटिफिकेशन के लिए राज्य सरकार के अनुसार ₹700 से ₹1500 तक का शुल्क हो सकता है। इसके अलावा, पासपोर्ट या पैन कार्ड में नाम अपडेट करवाने के लिए भी निर्धारित फीस होती है।
क्या यह प्रक्रिया ऑनलाइन हो सकती है?
आज के डिजिटल युग में कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन और नाम अपडेट की प्रक्रिया को ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया है। उदाहरण के लिए, दिल्ली और महाराष्ट्र में नाम बदलने की प्रक्रिया आंशिक रूप से ऑनलाइन की जा सकती है। हालांकि, एफिडेविट और दस्तावेजों की हार्ड कॉपी जमा करना अब भी जरूरी होता है।
शादी के बाद सरनेम ना बदलना भी है कानूनी अधिकार
महिलाएं शादी के बाद सरनेम बदलें या नहीं, यह पूरी तरह से उनका व्यक्तिगत और कानूनी अधिकार है। भारत में संविधान किसी महिला को उसके नाम या पहचान को बदलने के लिए बाध्य नहीं करता। यदि कोई महिला शादी के बाद भी अपने पिता का सरनेम रखना चाहती है, तो वह पूरी तरह वैध है।