
एक महीने में दो बैंकों पर गिरी गाज, लाइसेंस रद्द होने के कारण ग्राहकों के सामने असमंजस की स्थिति खड़ी हो गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में लखनऊ स्थित एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक (HCBL Co-operative Bank) का बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई 19 मई 2025 से प्रभावी मानी जाएगी। बैंक की वित्तीय स्थिति को देखते हुए आरबीआई ने यह सख्त कदम उठाया है, जिससे बैंकिंग बिजनेस पूरी तरह ठप हो गया है। इससे पहले अप्रैल में अहमदाबाद स्थित Colour Merchants Co-operative Bank का भी लाइसेंस इसी कारण से रद्द किया गया था।
क्यों रद्द हुआ HCBL बैंक का लाइसेंस?
आरबीआई द्वारा जारी बयान के मुताबिक, HCBL बैंक के पास पर्याप्त पूंजी (Capital) नहीं थी और न ही उसकी कमाई की संभावना (Earning Prospects) आशाजनक थी। बैंक के परिचालन की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अपने जमाकर्ताओं का धन सुरक्षित रूप से वापस कर सके। बैंक ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के कई नियमों का भी उल्लंघन किया था। रिजर्व बैंक का मानना है कि अगर ऐसे बैंक को आगे काम करने दिया गया, तो यह जमाकर्ताओं के हितों के लिए घातक हो सकता है।
बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह बंद
बैंक का लाइसेंस रद्द होते ही उसे डिपॉजिट लेना (Deposit Acceptance) और राशि लौटाना (Repayment) जैसे बैंकिंग कार्य तुरंत बंद करने का आदेश दे दिया गया है। 19 मई 2025 के बाद से बैंक कोई भी बैंकिंग सेवा नहीं दे सकेगा। उत्तर प्रदेश के सहकारिता आयुक्त और रजिस्ट्रार को बैंक को बंद करने और एक लिक्विडेटर नियुक्त करने का निर्देश भी दे दिया गया है, जो बैंक की परिसंपत्तियों और देनदारियों की प्रक्रिया को संभालेगा।
जमाकर्ताओं को क्या मिलेगा DICGC से?
लाइसेंस रद्द होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जमाकर्ताओं का पैसा क्या सुरक्षित है? डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की नीति के अनुसार, किसी भी लाइसेंस रद्द बैंक में जमा करने वाले ग्राहक को 5 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज (Deposit Insurance) मिलता है।
आरबीआई के अनुसार, HCBL बैंक के 98.69% जमाकर्ताओं को उनकी पूरी जमा राशि DICGC के तहत मिल जाएगी। 31 जनवरी 2025 तक DICGC द्वारा 21.24 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। यानी अधिकांश ग्राहकों को किसी बड़े नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा।
Colour Merchants Co-op Bank पर भी गिरी थी गाज
इससे पहले, 16 अप्रैल 2025 को आरबीआई ने अहमदाबाद के Colour Merchants Co-operative Bank का लाइसेंस भी रद्द किया था। इस बैंक की स्थिति भी HCBL जैसी ही थी — अपर्याप्त पूंजी और कमाई की उम्मीद नहीं होने के चलते आरबीआई को हस्तक्षेप करना पड़ा।
पिछले साल भी रद्द हुए थे कई बैंक लाइसेंस
पिछले एक साल में भी कई सहकारी बैंकों पर आरबीआई की सख्ती देखने को मिली है। 12 नवंबर 2024 को विजयवाड़ा के दुर्गा को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक का लाइसेंस रद्द किया गया था, वहीं 4 जुलाई 2024 को बनारस मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक पर भी यही कार्रवाई हुई थी। इन सभी मामलों में कॉमन फैक्टर रहा बैंक की वित्तीय कमजोरी और नियामकीय अनुपालन में विफलता।
ग्राहकों के लिए सबक और संकेत
लगातार बैंकों पर गिर रही गाज से ग्राहकों को यह सबक मिलना चाहिए कि वे जहां भी पैसा जमा कर रहे हैं, वहां की वित्तीय स्थिति, RBI की रेटिंग और बैंक की नेटवर्थ (Net Worth) जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान दें। सहकारी बैंकों में अक्सर ट्रांसपेरेंसी और वित्तीय अनुशासन की कमी देखी जाती है, जिससे ऐसे हादसे होते हैं।
नियामकीय सख्ती का नया दौर
RBI की तरफ से यह स्पष्ट संकेत है कि बैंकिंग सिस्टम में कमजोर संस्थाओं को अब बख्शा नहीं जाएगा। यह कदम बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी भी है। हालांकि इससे अल्पकालिक रूप से ग्राहकों में भय का माहौल बन सकता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप में यह ग्राहक हितों की रक्षा करता है।