
हरियाणा में बिजली के बिलों में एक बार फिर से बढ़ोतरी हुई है, जिसका सीधा असर लाखों घरेलू और औद्योगिक उपभोक्ताओं पर पड़ा है। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में किए गए स्लैब में बदलाव, फिक्स चार्ज और यूनिट दर में वृद्धि के कारण बिजली बिलों में 9 से 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है। इस बदलाव से खासकर उन उपभोक्ताओं पर भारी असर पड़ा है जिनकी खपत पांच किलोवाट से ऊपर है। इन उपभोक्ताओं के बिलों में न्यूनतम 800 रुपये की वृद्धि हुई है।
स्लैब में बदलाव और यूनिट की कीमतों में वृद्धि
हरियाणा राज्य में बिजली के बिलों का निर्धारण पहले खपत की मात्रा के आधार पर स्लैब सिस्टम पर होता था, जिसमें विभिन्न खपत स्तरों के अनुसार अलग-अलग दरें लागू की जाती थीं। पहले, 50 यूनिट तक की खपत पर 2.50 रुपये से लेकर 6.30 रुपये प्रति यूनिट तक बिल लिया जाता था। लेकिन अब संशोधन के बाद, यह दर 6.50 से लेकर 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ा दी गई है। इस वृद्धि से उपभोक्ताओं के बिलों में बड़ा असर पड़ा है।
घर में बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए स्लैब भी बदले गए हैं। पहले 151-250 यूनिट तक की खपत वाले उपभोक्ताओं का स्लैब 151 से 300 यूनिट तक कर दिया गया है। इसके अलावा, 251 से 500 यूनिट वाले स्लैब को बदलकर 301 से 500 यूनिट का कर दिया गया है। इसी तरह, 501 से 800 यूनिट की खपत वाले स्लैब को अब 500 यूनिट से ऊपर का माना जा रहा है। इन बदलावों ने उपभोक्ताओं के बिलों में जबरदस्त बढ़ोतरी की है।
फिक्स चार्ज में कैसे हुई वृद्धि
सिर्फ स्लैब और यूनिट दर की बढ़ोतरी ही नहीं, बल्कि फिक्स चार्ज में भी भारी वृद्धि की गई है। पहले घरेलू उपभोक्ताओं पर फिक्स चार्ज नहीं लिया जाता था, लेकिन अब 301 से 500 यूनिट तक की खपत करने पर 50 रुपये प्रति किलोवाट और 500 यूनिट से अधिक खपत करने पर 75 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज लिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के बिलों में 375 से 450 रुपये तक की सीधी बढ़ोतरी हो गई है। पहले उपभोक्ताओं को केवल बिल का भुगतान करना होता था, लेकिन अब फिक्स चार्ज और बिल दोनों को भुगतान करना पड़ रहा है।
उद्योगों पर बढ़ी बिजली दरें
इंडस्ट्रियल कनेक्शनों पर भी बिजली दरों में वृद्धि की गई है। एलटी (50 केवीए तक) और एचटी (50 केवीए से ऊपर) कनेक्शन के लिए स्लैब में बदलाव किया गया है। पहले 20 केवीए तक फिक्स चार्ज नहीं लिया जाता था, लेकिन अब यह चार्ज सभी कनेक्शनों पर लागू किया जा रहा है। इस बदलाव से इंडस्ट्री के बिजली बिलों में भी बढ़ोतरी हुई है। पहले 185 रुपये प्रति केवीए का शुल्क था, जो अब बढ़कर 290 रुपये प्रति केवीए हो गया है।
सरकार का दावा
राज्य सरकार ने इस बढ़ोतरी को सात सालों में पहली बार किया गया कदम बताया है। सरकार के अनुसार, अधिकांश घरेलू उपभोक्ताओं को बिलों में केवल 3 से 9 प्रतिशत की वृद्धि का सामना करना पड़ा है। खासकर श्रेणी-1 और श्रेणी-2 के उपभोक्ताओं के बिलों में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, जबकि श्रेणी-3 के उपभोक्ताओं के लिए यह बढ़ोतरी 5 से 7 प्रतिशत के बीच रही है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि बिजली के बिल 4 गुना तक बढ़ गए हैं, जो कि गलत है। बिजली के बिलों का मूल्यांकन पिछले वर्ष के उसी महीने के आधार पर किया जाना चाहिए, ताकि खपत के समान पैटर्न का सही मूल्यांकन किया जा सके।
उदाहरण से समझें पंचकूला के एक उपभोक्ता का बढ़ा हुआ बिल
पंचकूला के एक घरेलू उपभोक्ता का उदाहरण लें। जनवरी 2025 में छह किलोवाट लोड पर 245 यूनिट खपत करने पर उस उपभोक्ता का बिल 1043 रुपये था। लेकिन मई 2025 में उसी उपभोक्ता का 200.76 यूनिट खपत करने पर 1830 रुपये का बिल आया। हालांकि खपत में 45 यूनिट की कमी आई थी, फिर भी बिल में बढ़ोतरी हुई। इसके कारणों में प्रति यूनिट दर में वृद्धि (3.41 रुपये से बढ़कर 6.41 रुपये प्रति यूनिट) और फिक्स चार्ज में 488.22 रुपये का इजाफा शामिल था। इस तरह, उपभोक्ताओं के लिए बिलों में भारी वृद्धि देखी गई है।
उद्योगों और अन्य उपभोक्ताओं पर असर
फिक्स चार्ज के अलावा, घरेलू उपभोक्ताओं को अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ा है, क्योंकि राज्य सरकार ने कहा है कि इस बदलाव से कुल घरेलू उपभोक्ताओं में से लगभग 94% को प्रभावित किया गया है। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि छोटे उपभोक्ताओं से न्यूनतम मासिक शुल्क हटा लिया गया है, जो पहले 100 यूनिट तक की खपत करने वालों पर लागू होता था।