
भारत देश में स्वछता सर्वेक्षण 2024-25 के रिजल्ट आ चुके हैं, इस लिस्ट में जहां देश के सबसे साफ शहर भी हैं वहीं कुछ शहर ऐसे हैं जो सबसे गंदे हैं। ये सर्वेक्षण में लोगों के द्वारा दी गयी रैंकिंग, कचरा प्रबंधन, खुले में शौचमुक्त (ODF) स्थिति और सार्वजनिक स्थानों में साफ सफाई के आधार पर की जाती हैं. तो इस लिस्ट में वो कौन से शहर हैं जो टॉप रैंक नहीं पा सके और जहां साफ सफाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है. जानते हैं।
भारत देश के सबसे गंदे शहरों का प्रदर्शन
भारत के सबसे गंदे शहरों की सूची में तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों के बड़े शहर प्रमुख स्थान पर हैं। इन राज्यों के शहरों की खराब रैंकिंग ने यह साबित कर दिया है कि कचरा प्रबंधन और साफ सफाई के मामलो में सुधार की आवश्यकता है। सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, मदुरै, लुधियाना, चेन्नई और पटना जैसे शहरों में साफ-सफाई कचरा प्रबंधन में अभी कभी पीछे है।
मदुरै सबसे गंदा शहर
सबसे गंदे शहरो में मदुरै, तमिलनाडु का शहर सबसे निचला स्थान प्राप्त करने वाले शहरों में से एक है। इस शहर में 10 लाख से अधिक आबादी रहती है और स्वच्छता के मामले में यह शहर सबसे पीछे है। मदुरै का कचरा संग्रहण और प्रबंधन में गंभीर समस्याएँ हैं, जो इसके खराब प्रदर्शन की मुख्य वजह मानी जा रही है।
लुधियाना और चेन्नई कचरा प्रबंधन की समस्याएँ
इसी तरह देखा जाए तो लुधियाना,पंजाब भी प्रदूषण और कचरा प्रबंधन की परेशानियों के कारण अभी तक भी अच्छी रैकिंग प्राप्त करने में सफल नहीं हुआ है. साथ ही चेन्नई, तमिलनाडु का एक और भी ऐसा शहर है, जो साफ-सफाई के मामलो में पर पिछड़ रहा है. इसलिए कचरा संग्रहण कमी के कारण चेन्नई को भी ख़राब रैंकिग हालिस हुई है।
पटना खुले में शौच और कचरा प्रबंधन की समस्या
बिहार की राजधानी पटना भी उस सूची में शामिल हैं, जहां कचरा प्रबंधन और आज भी खुले में शौच करने की समस्या बनी हुई है। यह स्थिति जनता की परेशानी के साथ-साथ पूरे राज्य की स्वच्छता स्थिति को और भी बिगाड़ रही हैं, और इसका असर शहर की रैंकिंग पर साफ तौर पर नजर आ रहा है।
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के शहरों की स्थिति
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी और पश्चिम बंगाल के कई शहरों का प्रदर्शन भी काफी कमजोर रहा। वाराणसी में स्वच्छता मानकों में निरंतर गिरावट आई है, जिससे शहर की स्थिति और भी गंभीर हो गई है। पश्चिम बंगाल के कई शहर, जैसे हावड़ा, कृष्णानगर, आसनसोल, कोलकाता और भाटपारा, ने सर्वेक्षण में भाग नहीं लिया, लेकिन फिर भी उनकी शहरो की साफ-सफाई स्थिति में गिरावट ही देखी गई है।
सुधार के उपाय स्वच्छता में सुधार की दिशा
अगर देखा जाए तो देश के सभी राज्यों में स्वच्छता में सुधार लाने के लिए सरकार और जनता का अहम सहयोग ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके अलावा स्मार्ट कचरा प्रबंधन, नागरिकों की सोच में जागरूकता इन शहरों की स्वच्छता स्थिति में सुधार ला सकती हैं। साथ ही यदि इन शहरों के प्रशासन और नागरिक मिलकर काम करें, तो सुधार संभव है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत इन शहरों में साफ-सफाई को लेकर जागरूकता बढ़ाने के साथ एक ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है।
स्थानीय प्रशासन और नागरिकों की जिम्मेदारी
इस रिपोर्ट से यह भी साफ बताया गया है, कि स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान कचरा प्रबंधन और स्वच्छता के उपायों को लेकर गहरी समझ और सख्त नियमों की आवश्यकता है। भारत के प्रमुख शहरों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने के लिए स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह नागरिकों के साथ मिलकर काम करें और दीर्घकालिक समाधान लागू करें।
क्या भारत देश के इन राज्यों में सुधार संभव है?
यदि इन शहरों के प्रशासन और नागरिकों की साझेदारी मजबूत हो, तो भारत के अधिकांश गंदे शहरों में स्वच्छता की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। इसके लिए हर किसी की जिम्मेदारी बनती है कि वह कचरा प्रबंधन, स्वच्छता और शहर की साफ-सफाई में अपना योगदान दें।