क्या ब्रिटेन की सेना में फिर से बनेगी सिख रेजीमेंट? सरकार ने बताया पूरा प्लान

ब्रिटेन की सेना में सिख रेजीमेंट की स्थापना को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। रक्षा मंत्री Lord Coaker ने इस प्रस्ताव पर चर्चा के संकेत दिए हैं, जबकि रक्षा मंत्रालय ने इसे सिरे से नकारा किया है। जानिए क्या है इस विवाद के पीछे की सच्चाई और क्या भविष्य में सिख रेजीमेंट की वापसी संभव है?

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Written byRohit Kumar

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क्या ब्रिटेन की सेना में फिर से बनेगी सिख रेजीमेंट? सरकार ने बताया पूरा प्लान
क्या ब्रिटेन की सेना में फिर से बनेगी सिख रेजीमेंट? सरकार ने बताया पूरा प्लान

ब्रिटेन की सेना में सिख रेजीमेंट (Sikh Regiment) के गठन को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। हाल ही में ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence – MOD) ने इस मुद्दे पर अपनी परिस्थतिया साफ से रूप से बताई है। कि रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विषय पर वर्तमान समय में काफी चर्चा देखने को मिली है, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय को अपना रुख दिखाना पड़ रहा है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स (House of Lords) में इस पर उठे सवालों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया, कि क्या ब्रिटेन की सेना में सिखों के लिए एक अलग रेजीमेंट का गठन होना चाहिए?

लॉर्ड सहोता ने उठाया सवाल, रक्षा मंत्री ने दिए संकेत

7 जुलाई को ब्रिटिश संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में सिख रेजीमेंट पर चर्चा की शुरुआत हुई, जब लॉर्ड सहोता ने ब्रिटेन के रक्षा मंत्री लॉर्ड कोकर से यह सवाल पूछा कि क्या इस दिशा में कोई ठोस प्रगति हुई है। सहोता ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि ब्रिटिश राज के दौरान सिख सैनिकों ने अद्वितीय वीरता का प्रदर्शन किया, खासतौर से प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में। ऐसे में यह उचित होगा कि उनके योगदान को मान्यता देते हुए ब्रिटिश सेना में एक अलग सिख रेजीमेंट का गठन किया जाए।

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इस पर रक्षा मंत्री लॉर्ड कोकर ने जवाब देते हुए कहा कि वे इस अनुरोध पर विचार करने को तैयार हैं और इस मुद्दे पर लॉर्ड सहोता से मिलकर चर्चा करना चाहेंगे कि और क्या किया जा सकता है ताकि ब्रिटिश सेना में सिखों के योगदान को मान्यता दी जा सके। इस उत्तर को कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने संकेत के तौर पर लिया कि ब्रिटिश सरकार सिख रेजीमेंट के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

MOD ने साफ बता दिया की फिलहाल नहीं है कोई योजना

हालांकि, ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय (MOD) ने इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है ,कि फिलहाल सिख रेजीमेंट बनाने की कोई योजना नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए बयान में MOD के सूत्रों ने बताया कि यह विषय कई वर्षों से चर्चा में है ,लेकिन वर्तमान में इस पर कोई आधिकारिक विचार नहीं चल रहा है। MOD के मुताबिक, ब्रिटेन का समानता अधिनियम (Equality Act) किसी भी जातीय या धार्मिक आधार पर विशेष रेजीमेंट के गठन को बंद कर देता है।

MOD ने कहा कि वे ब्रिटिश सेना में सिखों के ऐतिहासिक और वर्तमान योगदान को पूरी तरह से मान्यता देते हैं, लेकिन इसके लिए अलग रेजीमेंट बनाना ब्रिटेन के भेदभाव विरोधी कानून का उल्लंघन होगा। इसलिए फिलहाल सिख रेजीमेंट बनाने की कोई संभावना नहीं दिख रही।

लॉर्ड सहोता का पलटवार-भेदभाव का नहीं है मामला

दूसरी ओर, लॉर्ड सहोता इस मुद्दे को केवल समानता अधिनियम तक सीमित मानने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सेना में पहले से ही रॉयल यॉर्कशायर रेजीमेंट, रॉयल वेल्श, ब्रिगेड ऑफ गोरखा (Brigade of Gurkhas) और रॉयल रेजीमेंट ऑफ स्कॉटलैंड जैसी क्षेत्रीय पहचान पर आधारित रेजीमेंट्स मौजूद हैं। उन्होंने तर्क दिया कि इन रेजीमेंट्स में शामिल होने के लिए व्यक्ति को जरूरी नहीं कि संबंधित क्षेत्र का ही हो।

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सहोता ने जोर देकर कहा कि ब्रिटेन में जातीय अल्पसंख्यकों की सेना में भागीदारी कम होती जा रही है। अगर सिख रेजीमेंट बनाई जाती है तो इससे सिख समुदाय को सेना में शामिल होने की एक प्रेरणा मिलेगी। यह रेजीमेंट न सिर्फ सिख विरासत और परंपरा का प्रतिनिधित्व करेगी, बल्कि पगड़ी और दाढ़ी जैसे धार्मिक प्रतीकों को भी खुले तौर पर सम्मान देगी।

भारत-ब्रिटेन संबंधों में सकारात्मक संकेत

सिख रेजीमेंट का गठन सिर्फ ब्रिटेन के भीतर की बात नहीं होगी, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषकर भारत और दक्षिण एशिया के देशों के साथ ब्रिटेन के रिश्तों में सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जाएगा। सहोता का मानना है कि यह कदम ब्रिटेन में रह रहे सिखों को गर्व का अनुभव कराएगा और उनकी राष्ट्रीय सेवा में भागीदारी को बढ़ावा देगा।

पुराने समय में सिख सैनिकों की भूमिका

यह ध्यान देने योग्य है कि ब्रिटिश साम्राज्य के शासनकाल में सिख सैनिकों ने कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ी थी। खासकर प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में हजारों सिख सैनिकों ने ब्रिटिश सेना का हिस्सा बनकर वीरता दिखाई थी। उस समय ब्रिटिश भारतीय सेना में सिखों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। ऐसे में लॉर्ड सहोता जैसे नेताओं का यह कहना कि इस इतिहास को मान्यता देने के लिए एक समर्पित रेजीमेंट बनाना जरूरी है, पूरी तरह से भावनात्मक और ऐतिहासिक आधार पर खड़ा होता है।

MOD का लक्ष्य सबको साथ लेकर चलना

ब्रिटिश MOD का कहना है कि वे सेना में विविधता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन इसे किसी एक विशेष धर्म या जातीय समूह की रेजीमेंट बनाकर नहीं, बल्कि संरचनात्मक बदलावों और प्रतिनिधित्व में वृद्धि के जरिए पूरा किया जाएगा। वे सेना में सभी जातीय समूहों के योगदान को मान्यता देने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन इससे ब्रिटेन के समानता कानून का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।

क्या यह मुद्दा फिर उठेगा?

भविष्य में यह कहना मुश्किल है कि क्या सिख रेजीमेंट का मुद्दा फिर से गंभीरता से उठेगा, लेकिन वर्तमान में MOD के बयान ने साफ कर दिया है कि इस दिशा में कोई आधिकारिक कदम नहीं उठाया जा रहा है। फिर भी लॉर्ड सहोता और जैसे अन्य नेता इस विचार को बार-बार आगे लाते रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह बहस अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।

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