चिट फंड घोटाला! करोड़ों लेकर कंपनी फरार, ऑफिस और मोबाइल बंद, निवेशकों की उड़ी नींद

निवेशकों के लिए यह एक बुरा सपना बन चुका है! चिट फंड कंपनी ने करोड़ों रुपये लेकर अपनी सारी ऑफिस गतिविधियां बंद कर दीं और मोबाइल नंबर भी गायब हो गए। अब निवेशक पूरी तरह से परेशान हैं, उनकी मेहनत की कमाई लुप्त हो गई। जानें पूरी कहानी और क्या होगा इन निवेशकों का भविष्य!

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Written byRohit Kumar

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चिट फंड घोटाला! करोड़ों लेकर कंपनी फरार, ऑफिस और मोबाइल बंद, निवेशकों की उड़ी नींद
चिट फंड घोटाला! करोड़ों लेकर कंपनी फरार, ऑफिस और मोबाइल बंद, निवेशकों की उड़ी नींद

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर से एक चिट फंड कम्पनी के द्वारा व्यापारियों से करोड़ों रुपये लेकर फरार होने का मामला सामने आया है। इस कम्पनी ने पहले अपना ऑफिस बंद किया और फिर अधिकारियों ने अपने मोबाइल फोन बंद करके बातचीत भी बंद कर दी। इससे घबराए हुए व्यापारी अब अदालत के माध्यम से इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं। व्यापारी संजय कुमार अग्रहरी ने गोरखपुर कोतवाली थाने में कम्पनी के 11 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। इस मामले में आरोप है, कि कम्पनी के अधिकारियों ने ठगी करने के बाद सभी संपर्कों को बंद कर दिया और अब उनकी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं हो रही है।

कम्पनी की ठगी का खुलासा और व्यापारी का आरोप

गोरखपुर के कोतवाली क्षेत्र के निवासी व्यापारी संजय कुमार अग्रहरी ने पुलिस को बताया कि इस चिट फंड कम्पनी ने शहर में अपने निवेशकों से ढाई करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा की थी, जो अब तक लौटाई नहीं गई है। इस कम्पनी ने पहले अपना ऑफिस बंद किया, और फिर कम्पनी के अधिकारी, जिनमें महाराष्ट्र के थाणे के समीर अग्रवाल (सीएमडी) और वाराणसी के कुछ अधिकारी भी शामिल थे, इन सबने मोबाइल बंद करके निवेशकों से सभी संपर्क तोड़ दिए। इस स्थिति ने व्यापारियों को पूरी तरह से भ्रमित कर दिया है।

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संजय ने बताया कि 2017 में उन्हें एक परिचित मुरारी मिश्रा ने इस कम्पनी के बारे में बताया और इसके बाद संजय ने इसमें निवेश करना शुरू किया। कम्पनी की ओर से पहले तो सभी निवेशकों को समय पर लाभांश भी दिया गया, लेकिन 2024 में जैसे ही निवेश की राशि परिपक्व होनी शुरू हुई, तब से कम्पनी के अधिकारियों ने भुगतान देने में आनाकानी शुरू कर दी। अन्ततः 29 नवम्बर 2024 को कम्पनी की वेबसाइट भी बंद कर दी गई, और फिर अधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार के भुगतान से इंकार कर दिया गया।

कम्पनी के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज

गोरखपुर के व्यापारी संजय कुमार अग्रहरी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत का सहारा लिया और कोतवाली थाने में कम्पनी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। संजय का कहना है कि जब उन्होंने फरवरी 2025 में अधिकारियों से अपनी राशि की मांग की, तो उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। इस मामले में आरोपित 11 लोगों में से कुछ गोरखपुर, वाराणसी और महाराष्ट्र के निवासी हैं। मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

निवेशकों का पैसा फंसा, करोड़ों की राशि का हुआ नुकसान

संजय अग्रहरी के अलावा कई अन्य निवेशक भी इस कम्पनी के शिकार हुए हैं। संजय ने अपनी 26 लाख रुपये की रकम निवेश की थी, लेकिन अब तक उन्हें कोई भी राशि वापस नहीं मिली है। इसके अलावा, कई अन्य व्यापारी भी इस कम्पनी में निवेश करने के बाद अपने पैसे की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। इन निवेशकों में अजय यादव, ज्योति गुप्ता, तमन्ना परवीन, रामदत्त साहनी, शारदा गुप्ता, संजय राज और कई अन्य लोग शामिल हैं। इन सभी ने कम्पनी के अधिकारियों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है।

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ठगी के बाद कम्पनी का पता जालसाजों का तंत्र

संजय ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि कम्पनी के कार्यालय की स्थिति बार-बार बदलती रही। पहले यह ऑफिस एल्युमिनियम फैक्ट्री के पास था, फिर उसे बशारतपुर स्थित एक अन्य स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया। कम्पनी के अधिकारियों ने लगातार निवेशकों से मिलने के लिए होटल में बैठकें आयोजित कीं, लेकिन अब सभी संपर्क बंद हो चुके हैं और निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है। जब यह मामला गहराया, तो निवेशकों ने अपने निवेश की वापसी के लिए कम्पनी के अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई भी अधिकारी अब उनका जवाब देने को तैयार नहीं है।

पुलिस ने शुरू की जांच

गोरखपुर के एसपी सिटी, अभिनव त्यागी ने बताया कि इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है और सभी आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस अब यह जानने की कोशिश कर रही है कि इस ठगी के पीछे किस तरह का नेटवर्क काम कर रहा था और कम्पनी के अधिकारियों ने किस योजना के तहत निवेशकों को ठगा है।

संजय अग्रहरी की तरह कई अन्य व्यापारी भी अपने निवेश की वापसी के लिए अदालत की शरण ले चुके हैं। अब पुलिस और अदालत की ओर से न्याय की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, निवेशकों के लिए यह एक बड़ा सबक बन चुका है कि बिना पूरी जानकारी और विश्वास के किसी भी कम्पनी में निवेश न किया जाए।

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