
अक्सर हम Phone Pe, Google Pay और Paytm जैसे UPI ऐप्स का इस्तेमाल करके डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन के साथ कई कार्य करते हैं। लेकिन अब इन सिस्टम में सरकार बहुत बड़ा चेंज करने वाली है जो 1 अगस्त 2025 से लागू होने वाले हैं। यूपीआई को फ़ास्ट और सिक्योर बनाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ये नियम जारी करेगी। यह फैसला लेने के पीछे UPI ट्रांजैक्शन की स्थिति को ठीक करना है। जानकारी के लिए बता दें भारत में प्रति माह करीबन 16 अरब से भी अधिक UPI लेन-देन होता है जिससे हर दिन सर्वर डाउन देहता है यानी की ठीक से काम नहीं करता इस वजह से लोगों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है।
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1 अगस्त से होंगे बड़े बदलाव
जानकारी के लिए बता दें NPCI 1 अगस्त से UPI के सभी ऐप्स में 7 बड़े बदलाव करने जा रहा है, आइए इनके बारे में जानते हैं।
1. बैलेंस चेक करने की लिमिट – नए नियम लागू होने के बाद अब आप केवल एक दिन में 50 बार ही बैंक बैलेंस चेक कर सकते हैं।
2. लिंक्ड बैंक अकाउंट को चेक करने की लिमिट- अब आप अपने बैंक अकाउंट से लिंक्ड खाता दिन में सिर्फ 25 बार ही खोल सकते हैं।
3. ऑटोपे के लिए नए नियम- ऑटोपे ट्रांजैक्शन के लिए भी नए नियम है अब आप सुबह 10 बजे से पहले, दोपहर 1 से 5 बजे के बीच और रात 9:30 बजे के बाद, तीन तय समय स्लॉट प्रोसेस को किया जाएगा। आप इससे नेटफ्लिक्स अथवा म्युचुअल फंड की क़िस्त ऐसे जमा कर पाएंगे।
4. ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक लिमिटे- ट्रांजैक्शन स्टेटस दिन में सिर्फ तीन बार ही चेक कर पाएंगे। एक बार चेक करने पर आपको 90 सेकंड रुकना होगा।
5. पेमेंट से पहले बैंक का नाम- अब आप किसी व्यक्ति को पेमेंट करते हैं तो उसके पंजीकृत बैंक का नाम दिखाई देगा जिससे फ्रॉड का खतरा कम हो जाता है। यह नियम तो 30 जून से लागू हो चुका है।
6. पेमेंट वापसी लिमिट- नए नियम के तहत अब आप 30 दिन के भीतर 10 बार ही अपनी पेमेंट वापस ले सकते हैं। आप किसी व्यक्ति से पेमंट वापस लेना चाहते हैं तो 5 बार ही रिक्वेस्ट भेज सकते हैं।
7. बैंक और ऐप्स के लिए निर्देश- UPI ऐप्स सिस्टम में कोई परेशानी ना ऐ इसके लिए एनपीसीआई ने बैंकों को API के इस्तेमाल पर ध्यान रखने के लिए इंस्ट्रक्शन दिए हैं।
क्या पड़ेगा प्रभाव?
पहले हम बार बार अपने बैलेंस अथवा ट्रांजैक्शन स्टेटस रिफ्रेश करते रहते थे लेकिन अब आपकी यह आदत बदलने वाली है। नए नियम के तहत अब आपको ऑटोपे के लिए पीक आवर्स के अतिरिक्त अन्य समय को चेक करना है। पेमेंट करते समय पहले बैंक और रिसीवर का नाम ध्यान से देख लें। इस बदलाव से यूपीआई की डिजिटल सेवाएं और सुरक्षित और बेहतर होने वाली है।