
यूजीसी ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा है, की हेल्थकेयर से जुड़े कोर्स ऑनलाइन या ODL मोड से नहीं पढ़ाए जा सकेंगे, इससे कई अहम विषय प्रभावित होंगे, जिन संस्थानों के पास पहले से ऑनलाइन या ODL मोड में इन कोर्सेस की मान्यता है, वह वापस ले ली जाएगी, बदलाव एकेडमिक सेशन 2025- 26 से लागू होगा।
यह कदम नेशनल कमीशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स एक्ट, 2021 के तहत उठाया गया है, इस फैसले से सायकोलॉजी, माइक्रोबायलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी जैसे अहम सब्जेक्ट्स पर असर पड़ेगा, और अब किसी भी तरह की मनमानी नहीं चलेगी, क्यूंकि फॉरेन यूनिवर्सिटीज और अनअप्रूव्ड प्रोग्राम्स से जुड़े कोर्सेस पर भी यूजीसी ने सख्ती बढ़ा दी है।
पूर्व मान्यता प्राप्त कोर्स भी होंगे रद्द
यूजीसी ने यह भी घोषणा की है की जिन संस्थानों को पहले ही इन विषयों में ODL या ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने की अनुमति दी जा चुकी है, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी, इस निर्णय का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा जैसे वयवहारिक और प्रयोगात्मक क्षेत्रों में गुणवत्ता सुनिश्चित करना है, उन प्रोग्रामों में जहां कई विषयों की विशेषज्ञता एक साथ दी जाती है, जैसे B.A में राजनितिक विज्ञानं, इतिहास, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, महिला अध्ययन आदि वहां केवल स्वास्थ्य सेवा सम्बन्धी विषयों की मान्यता वापस ली जाएगी, अन्य विषयों को यह प्रतिबन्ध प्रभावित नहीं करेगा।
ऑनलाइन हेल्थकेयर कोर्स में नहीं होंगे नए एडमिशन
यूजीसी ने स्पष्ट किया है, की ऐसे संस्थान, जिन्हें पहले ही इन कोर्स को ऑनलाइन या ODL मोड में संचालित की मंजूरी दी जा चुकी थी, उनकी मान्यता भी अब वापस ले ली जाएगी। HEIs को साफ निर्देश हैं कि वे 2025-26 से इन कोर्स मेंनए स्टूडेंट्स को एड्मिशन न दिया जाए।
छात्रों की सुरक्षा के लिए कदम
यूजीसी की ओर से लिए गए इस फैसले पर एक्सपर्ट्स का कहना है, की यह कदम छात्रों को उन कोर्सों से बचाने के लिए लिया गया है, जो हायर एजुकेशन और जॉब के लिए मान्य न हों खासकर हेथकेयर जैसे क्षेत्र में, जहां नौकरी और उच्च शिक्षा के लिए वैलिड सर्टिफिकेट होना मेंडेटरी है, हेल्थकेयर और एलायड डिसिप्लिन्स में प्रोफेशनल रिकग्निशन बहुत जरुरी है।