घर के लिए सही सोलर पैनल सिस्टम का चयन करें, यहाँ देखें

सोलर पैनल के द्वारा बिजली की सभी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं, और बिल को जीरो कर सकते हैं।

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Written byRohit Kumar

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घर के लिए सही सोलर पैनल सिस्टम का चयन करें, यहाँ देखें

आपके लिए बेस्ट सोलर सिस्टम

आज के समय में बिजली की मांग हर दिन बढ़ रही है, ऐसे में नागरिकों को बढ़े हुए बिजली के बिल भी मिलते हैं। बिजली की जरूरतों को पूरा करने में सोलर पैनल सिस्टम लोकप्रिय हो रहे हैं। सोलर पैनल पॉल्यूशन के बिना ही सोलर एनर्जी को बिजली में कन्वर्ट करते हैं। सोलर सिस्टम को अपनाने से ग्राहकों को काफी लाभ होते हैं।

घर में बिजली का लोड जानना

Electrical load in the house

बिजली के मीटर से

बिजली वितरक कंपनी कस्टमर्स के घर में बिजली के मीटर लगाते हैं, जो यूज हो रही पावर को यूनिट (kW/घंटा) में बताते हैं। महीने की खपत के अनुसार कस्टमर्स हर दिन बिजली के खर्च को जान सकते हैं। महीने में प्रयोग की जाने वाली बिजली के अनुसार से हर दिन की बिजली की कैलकुलेशन कर सकते हैं।

बिजली के बिल से

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बिजली के बिल से भी घर में बिजली की खपत की जानकारी प्राप्त की जा सकती है, सामान्यतः मासिक, छमाही, सालाना आधार बिजली के लोड की जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं। यदि महीने में आप का बिल 150 यूनिट रहता है तो ऐसे में आप हर दिन औसतन 5 यूनिट बिजली चलाई जा सकती है।

जरूरी सोलर पैनल सिस्टम की किलोवाट कैपेसिटी जानना

सोलर पैनल के 3 प्रकार के उपलब्ध रहते हैं- पॉलीक्रिस्टलाइन, मोनोक्रिस्टलाइन और बाइफेशियल। पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल को घर में सर्वाधिक चुना जाता है। हर सोलर पैनल की अपनी कैपेसिटी रहती है, जिससे पावर जनरेशन को तय किया जा सकता है। सोलर पैनल सही दिशा एवं सही कोण पर लगाने के बाद आप सही से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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मोनोक्रिस्टलाइन और बाइफेशियल पैनल आधुनिक तकनीक के पैनल होते हैं, इनकी दक्षता ज्यादा रहती है। 1kW सोलर पैनल से उचित धूप में प्रतिदिन 5 यूनिट बिजली बनाई जा सकती है। बिजली के लोड के अनुसार आप सोलर पैनल की क्षमता का चयन कर सकते हैं।

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सोलर पैनल सिस्टम के टाइप और टोटल खर्च

Solar system Type and total cost
  • ऑफ ग्रिड सोलर सिस्टम- इस प्रकार के सिस्टम में पैनल से बनने वाली बिजली को बैटरी में स्टोर किया जा सकता है, इस स्टोर बिजली का प्रयोग पावर बैकअप के रूप में यूजर करते हैं। अपनी जरूरत के अनुसार और इंवर्टर की रेटिंग के अनुसार बैटरी लगी जाती है। इस प्रकार के सिस्टम को अधिक बिजली कटौती वाले स्थानों के लिए बेस्ट बताया गया है।
  • ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम- इस प्रकार के सिस्टम में सोलर पैनल से बनने वाली बिजली को ग्रिड के साथ शेयर किया जाता है, शेयर्ड बिजली की कैलकुलेशन करने के लिए नेट-मिटरिंग की जाती है। इस प्रकार बिजली बिल को कम किया जा सकता है। ऐसे सिस्टम को कम बिजली कटौती वाले स्थानों के लिए उपयुक्त बताया गया है।
  • हाइब्रिड सोलर सिस्टम- यह एक आधुनिक प्रकार का सोलर सिस्टम है, इस सिस्टम में ग्रिड को भी बिजली भेजी जाती है और बैटरी में भी बिजली को स्टोर किया जा सकता है। इस सिस्टम को लगाने में ज्यादा खर्चा होता है।

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